राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत इन दिनों कानपुर प्रवास पर हैं। रविवार सुबह उन्होंने नवाबगंज स्थित दीनदयाल विद्यालय में चल रहे क्षेत्रीय कार्यकर्ता विकास वर्ग में भाग लिया और वहां शाखा में भी शामिल हुए। सुबह 5 बजे की शाखा में उन्होंने स्वयंसेवकों के साथ व्यायाम किया और संवाद किया।
संघ का साहित्य हर घर तक पहुंचाने की अपील
मोहन भागवत ने इस मौके पर कहा कि संघ समाजहित में जो कार्य कर रहा है, उससे जुड़े साहित्य और विचार को हर घर तक पहुंचाना जरूरी है। उन्होंने स्वयंसेवकों से अपील की कि वे संघ के संदेश को साधारण लोगों तक पहुंचाएं ताकि समाज में जागरूकता फैले।
पंच परिवर्तन पर खास जोर
संघ प्रमुख ने “पंच परिवर्तन” यानी घर, परिवार, समाज, संस्कृति और राष्ट्र के बदलाव पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को एकजुट करना हमारी प्राथमिकता है। हर घर में संस्कार हों, परिवार एकजुट हो और सनातन संस्कृति को फिर से घर-घर स्थापित किया जाए।
400 से अधिक स्वयंसेवकों से किया संवाद
रविवार को प्रशिक्षण वर्ग में भाग ले रहे 400 से अधिक स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने बताया कि संघ की विचारधारा को सेवा बस्तियों और समाज के हर वर्ग तक कैसे पहुंचाना है। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे समाज में सकारात्मक वातावरण बनाकर आगे बढ़ा जा सकता है।
शाखाओं की संख्या बढ़ाने की दिशा में पहल
मोहन भागवत ने कहा कि संघ के शताब्दी वर्ष को ध्यान में रखते हुए शहरों के साथ-साथ गांवों में भी सुबह-शाम लगने वाली शाखाओं की संख्या बढ़ानी होगी। इसके लिए संघ की प्रांतीय इकाइयों को विशेष जिम्मेदारी दी गई है।
प्रमुख पदाधिकारी भी रहे मौजूद
इस मौके पर सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, प्रचारक अनिल, प्रांत संघ चालक भवानी भीख, प्रांत प्रचारक श्रीराम और डॉ. अनुपम जैसे कई वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे।
मेहरबान सिंह का पुरवा में भी प्रशिक्षण वर्ग
कानपुर प्रांत इकाई की ओर से मेहरबान सिंह का पुरवा में भी एक अन्य प्रशिक्षण वर्ग चल रहा है, जिसमें आसपास के जिलों के स्वयंसेवक भाग ले रहे हैं।
54 दिन पहले भी कानपुर आए थे भागवत
गौरतलब है कि 54 दिन पहले भी मोहन भागवत कानपुर आए थे। तब उन्होंने कुटुंब प्रबोधन और पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों पर प्रांत प्रचारकों के साथ बैठक की थी। कुटुंब प्रबोधन के तहत उन्होंने पांच बिंदुओं पर काम करने की बात कही थी: भजन, भोजन, भवन, भाषा और भ्रमण।
परिवार में एकता और मातृभाषा पर ज़ोर
संघ प्रमुख ने कहा कि आज के समय में जरूरी है कि हिंदू परिवार दिन में एक बार साथ बैठकर भोजन करें, अपनी मातृभाषा में बात करें और घर का माहौल ऐसा बनाएं जो भारतीय और संस्कारयुक्त लगे। उन्होंने कहा कि यह संस्कृति को जीवित रखने का तरीका है और यही भारत की पहचान है।
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