Haryana के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने राज्य के डिफॉल्टर बिल्डरों को राहत देते हुए, लंबित बाह्य विकास शुल्क (EDC) का भुगतान न करने वाले बिल्डरों के लिए वन टाइम सेटलमेंट स्कीम की समय सीमा 30 सितंबर तक बढ़ा दी है। यह विस्तार समाधान से विकास योजना के तहत प्रदान किया गया है, जिसके माध्यम से डिफॉल्टर बिल्डरों को उनका लंबित ईडीसी बकाया चुकता करने के लिए चार महीने का अतिरिक्त समय मिलेगा, जो वर्षों से बकाया पड़ा हुआ था।
नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एके सिंह ने एक सरकारी आदेश में कहा, लाइसेंस मामलों और भूमि उपयोग परिवर्तन (CLU) मामलों के संबंध में लंबे समय से लंबित ईडीसी बकाया की वसूली के लिए सरकार ने यह फैसला किया है।
यहां पढ़िए CM सैनी के दिए गए 2 विकल्प…
पहला: अप्रैल से हर महीने 1% ब्याज देना होगा
योजना की संशोधित शर्तों के तहत, बिल्डर अब दो निपटान विकल्पों में से चुन सकते हैं। पहले विकल्प के तहत, वे 100% मूल राशि के साथ 56% बकाया ब्याज और 15 मार्च 2025 तक की गणना के अनुसार दंडात्मक ब्याज का भुगतान कर सकते हैं। 15 अप्रैल के बाद किए गए भुगतान पर यह ब्याज हर महीने 1% बढ़ेगा, जिससे यह 57% हो जाएगा और उसके बाद मासिक आधार पर बढ़ता रहेगा।
दूसरा: मूल राशि के साथ 81% ब्याज दे सकते हैं
दूसरे विकल्प के तहत, वे 15 मार्च 2025 तक मूल राशि का 50%, 81% बकाया ब्याज और दंडात्मक ब्याज का भुगतान कर सकते हैं। यहां, 15 अप्रैल के बाद ब्याज हर महीने 1% बढ़ता है, जिससे यह 82% हो जाता है और उसके बाद मासिक रूप से बढ़ता रहता है।इन लचीले विकल्पों का उद्देश्य बिल्डरों को अपना बकाया चुकाने के लिए प्रोत्साहित करना तथा शहरी बुनियादी ढांचे के विकास को सुगम बनाना है।
क्या होता है बाह्य विकास शुल्क
बाह्य विकास शुल्क (EDC) एक स्थानीय सरकार या विकास प्राधिकरण द्वारा रियल एस्टेट डेवलपर पर उनकी परियोजना के आसपास बाहरी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए लगाए जाने वाला शुल्क होता है। यह शुल्क उन बुनियादी ढांचे की लागत को कवर करता है, जो परियोजना को व्यापक शहरी सेवाओं से जोड़ता है, जैसे सड़कें, जल आपूर्ति, सीवरेज सिस्टम, और बिजली हैं।
EDC का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नया विकास मौजूदा शहर या कस्बे के बुनियादी ढांचे में सहजता से एकीकृत हो और बाहरी बुनियादी ढांचे की लागत को कवर करे।
EDC जमा होने से लोगों को क्या फायदा…
डिफाल्टर बिल्डरों के द्वारा इडीसी जमा होने से लोगों को भी राहत मिलेगी। EDC मिलने से संबंधित विकास प्राधिकरण संबंधित सोसाइटी और कालोनियों में विकास कर सकेग। दरअसल, इडीसी के जरिए मिलने वाले शुल्क के जरिए ही विकास प्राधिकरण नालियां, सीवरेज, बिजली के खंभे और सड़कें आदि बनाती है। अभी सूबे में कई ऐसी कालोनियां और सोसाइटी हैं, जहां अभी इडीसी नहीं मिलने से विकास काम नहीं हो पा रहे हैं।
जनवरी में EDC बढ़ा चुकी सरकार
Haryana सरकार ने दिसंबर 2024 में 8 साल बाद मूलभूत सुविधाओं के बदले लिए जाने वाले एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्ज (EDC) में एक साथ 20% की बढ़ोतरी कर चुकी है। जिसे सूबे में एक जनवरी से लागू भी कर दिया गया है। इसके साथ ही सरकार ने ये आदेश भी दे चुकी है जिसमें EDC में हर साल 10% की बढ़ोतरी होगी। इसका बोझ सीधा खरीदारों पर पड़ेगा क्योंकि बिल्डर पूरा शुल्क खरीदारों से वसूल करेंगे। इस कारण आवास परियोजनाओं के दाम बढ़ने तय हैं।
गुरुग्राम-फरीदाबाद में सबसे ज्यादा असर
EDC बढ़ाने का सबसे ज्यादा असर गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोहना और आसपास के क्षेत्रों पर पड़ेगा। इन क्षेत्रों में फ्लैट्स की संख्या ज्यादा है। यहां जमीन कम है या काफी महंगी है। ऐसे में लोग यहां फ्लैट्स खरीदते हैं। इसी वजह से इसे हाइपर और हाई पोटेंशियल जोन में शामिल किया गया है।
मीडियम पोटेंशियल जोन में अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, बहादुरगढ़, हिसार, रोहतक, रेवाड़ी, बावल, पलवल, जगाधरी-यमुनानगर, धारूहेड़ा, पृथला, गन्नौर और होडल को शामिल किया गया है। इन क्षेत्रों का रुख बिल्डर ज्यादा कर रहे हैं।आने वाले दिनों में यहां फ्लैट्स की संभावनाएं बढ़ेंगी। इसके अलावा भिवानी, फतेहाबाद, जींद, कैथल, महेन्द्रगढ़, नारनौल, सिरसा, झज्जर को लो पोटेंशियल जोन पर रखा है। EDC बढ़ाने का असर इन क्षेत्रों पर कम पड़ेगा।
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