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अभी तक नहीं मिले भारत के ये लुप्त हुए खजाने Ajab Gajab

अभी तक नहीं मिले भारत के ये लुप्त हुए खजाने Ajab Gajab

abhee tak nahin mile bhaarat ke ye lupt hue khajaane ajab gajab

Ajab Gajab- भारत को एक समय सोने की चिड़िया कहा जाता था, क्योंकि उस दौर के राजाओं की शानोशौकत के चर्चे दुनिया में थे। तब लोगों के शरीर पर तीन-चार किलो सोना लदा होना सामान्य बात थी। स्वर्ण मुद्राएं चलती थी। सोने के रथ बनाए जाते थे और प्राचीन राजा-महाराजा स्वर्ण आभूषणों से लदे रहते थे। सैंकड़ों वर्षों की लूट के बावजूद भारत में आज भी टनों से सोना, चांदी, जेवरात, गिन्नियां आदि गड़ा हो सकता है। और लोग सोने का मुकुट पहनते थे। मंदिरों में टनों सोना रखा रहता था। हालांकि यही दौलत दुनिया भर के हमलावरों को भी अपनी ओर खींचती थी। इसीलिए उस दौर के राजा अपने खजानों को बचाने के लिए इनसे जुड़ी जानकारियां गुप्त रखते थे। सैंकड़ों वर्षों की लूट के बावजूद भारत में आज भी टनों से सोना, चांदी, जेवरात, गिन्नियां आदि गड़ा हो सकता है। Ajab Gajab

कमरुनाग झील का खजाना
हिमाचल प्रदेश के मंडी से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित है कमरुनाग झील। स्थानीय लोग इस झील को पवित्र मानते हैं और उनका भरोसा है कि इस झील का अंत पाताल में होता है।

ऐसी मान्यता है कि झील में गहने अर्पित करने से मनोकामना पूरी होती है। दूर दूर से लोग आकर गहने झील में डालते हैं और मनोकामना मांगते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि यह झील महाभारत कालीन है। यहां एक मंदिर है जो लकड़ी का बना है और इसमें कमरुनाग की एक पुरानी मूर्ति भी रखी है।

सदियों से इस झील में गहने और रुपये आदि चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है। ये तो साफ है कि झाल की तलहटी में खजाना जना है लेकिन कितना ये कोई नहीं जानता।

पद्मनाभ स्वामी मंदिर का खजाना
ऐसा माना जाता है कि एक लाख करोड़ का खजाना अभी तक पद्मनाभ स्वामी मंदिर से निकाला जा चुका है और इससे भी अधिक खजाना वहां के तहखानों में दबा हुआ है।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक 10वीं शताब्दी में इस मंदिर को बनवाया गया था। कहीं कहीं ऐसा भी जिक्र है कि मंदिर को 16वीं शताब्दी में बनवाया गया था।

त्रावणकोर के शासकों ने अपना राज्य भगवान को समर्पित कर दिया। मंदिर से भगवान विष्णु की जो मूर्ति मिली है वो शालिग्राम की बनी हुई है।

इस मंदिर पर कभी कोई विदेश हमला नहीं हुआ। 1790 में टीपू सुल्तान ने ऐसा प्रयास तो किया लेकिन वह भी सफल नहीं हो पाए।

2011 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मंदिर के पांच तहखाने खोले गए जिनमें से एक लाख करोड़ की संपत्ति निकली। लेकिन एक तहखाना अभी बंद है और माना जा रहा है कि इसमें बेहद अनमोल चीजें हो सकती हैं।

गोलकुंडा चारमीनार का खजाना
ऐसा माना जाता है कि सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने गोलकुंडा किले और चारमीनार के बीच 15 फुट चौड़ी और 30 फुट ऊंची भूमिगत सुरंग बनवाई थी।

कहा जाता है कि इस सुरंग में शाही परिवार ने अपना शाही खजाना छुपाया था। कई लोग दावा करते हैं कि ये खजाना आज भी यहीं मौजूद है।

माना जाता है कि वैसे सुरंत को मुश्किल वक्त पर जान बचाने के लिए बनाया गया था लेकिन बाद में इसका इस्तेमाल खजाने को छुपाने के लिए किया गया।

1936 में निजाम मीर ओसमान अली ने एक नक्शा बनवाया था लेकिन खुदाई नहीं कराई गई। अभी भी कई लोग मानते हैं कि ये खजाना ढूंढने पर मिल सकता है।

मान सिंह प्रथम का खजाना
मान सिंह अकबर का सेनापति था। ऐसा कहा जाता है कि करीब 1580 में मान सिंह ने अफगानिस्तान को जीत लिया था।

वहां से वह मुहम्मद गजनी के खजाने को लेकर भारत तो आ गए लेकिन इस बारे में उन्होंने अकबर को नहीं बताया। इस खजाने को उन्होंने जयगढ़ के किले में दफन कर दिया।

ऐसी मान्यता है कि 1976 में इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी भी इस खजाने की तलाश में थीं। कई लोग दावा करते हैं कि कई महीनों तक महल में खुदाई की गई।

इन दावों के मुताबिक कई फौजी ट्रकों के जरिए इस खजाने को दिल्ली ले जाया गया। इस दौरान दिल्ली जयपुर हाइवे को आम जनता के लिए बंद कर दिया गया।

एक अन्य कहानी के मुताबिक जोधा ने इस खजाने को फतेहपुर सीकरी के एक मंदिर में रखवा दिया था लेकिन वक्त के साथ मंदिर और खजाना दोनों कहानियों में खो गए।

बिहार के राजगीर का खजाना
खजाने की एक कहानी बिहार से भी है। माना जाता है कि बिहार के राजगीर की सोनगुफा में बेशुमार सोना दफन है। इस जगह के बारे में सही सही जानकारी तो नहीं मिलती लेकिन किदवंती है कि यहां भीम ने जरासंध का वध किया था।

काफी वक्त तक यह जगह मगध साम्राज्य के आधीन रही। बौद्ध और जैन दोनों ही धर्मों के लोग यहां की गुफाओं को पवित्र बताते हैं। भारतीय पुरातत्व विभाग के मुताबिक ये गुफाएं तीसरी-चौथी शताब्दी की हैं।

सरकारी शिलालेखों के मुताबिक यहां रथ के पहियों और शंख भाषा में लिखे कुछ अंश मिले थे। ऐसा कहा जाता है कि खजाना अजातशत्रु को ना मिल जाए इसलिए बिम्बिसार ने खजाने को गुफाओं की भूलभुलैया में दबा दिया।

इन्ही कहानियों को सुनने के बाद अंग्रेजों ने भी गुफा को तोप से उड़ाने की कोशिश की थी लेकिन असफल रहे। यहां से जो मूर्ति मिली थी वह नालंदा संग्रहालय में रखी है। Ajab Gajab

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