विश्वयुद्ध से हुआ दुनिया को फायदा

कभी किसी को सुना है जो दोनों विश्वयुद्धों के कारण हुए फायदों की बातें करने में लगा रहता हो?
या फिर ‘एडोल्फ हिटलर’ या ‘जोसफ स्टॅलिन’ जैसे महाक्रूर तानाशाहों की बड़ी-बड़ी तसवीरें अपने कमरों में लगाए उनकी बड़ी श्रद्धा भक्ति से पूजा, अर्चना करने में जुटा रहता हो?

लेकिन अगर दोनों विश्वयुद्धों को हमेशा एक गलत कोण से देखा जाए तो हम निराशावादियों से ज्यादा और कुछ नहीं कहलायेंगे. मैं तो कहता हूँ की क्यूँ ना इन विश्वयुद्धों से हुई हानियों की जगह इनसे हुए फायदों की बातें की जाए.

और ऐसा भला क्यों ना हो? लोगों को बातें करने के लिए एक और नई बात मिल जायेगी.
क्योंकि लगातार नयी-नयी बातें करते रहने से दिल-ओ-दिमाग तंदरुस्त रहता है. तब सोचिये विश्वयुद्ध की बातें करने से आपका शरीर, आपका दिमाग कितना सक्रिय हो जाएगा. सोचिये, ‘विंस्टन चर्चिल’ और ‘रूसवेल्ट’ की चतुराई, ‘जोसेफ स्टॅलिन’ की बहादुरी और ‘हिटलर’ की…….. खैर छोड़िये!

winston churchill

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लेकिन वाकई में, व्यंग को पूरी तरह हटाकर अगर इस बात पर गौर किया जाए कि विश्वयुद्धों के कारण कुछ फायदे बल्कि कई फायदे हुए हैं तो यह बात सोचना गलत नहीं होगा क्योंकि विश्वयुद्ध मानवता के लिए बहुत ही ज़रूरी सबक है. हमेशा हर क्रिया के सामने एक विपरीत और बराबर प्रतिक्रिया होती ही है. इन्ही विश्वयुद्धों की वजह से ही हमें अंग्रेजी हुकूमत से छुटकारा मिला वरना हम अभी भी अंग्रेजों द्वारा बनाये कोई नए तरीके का लगान भर रहे होते. लगान से छुटकारा पाने के लिए हर ३ महीने एक नए ‘भुवन’ को जन्म लेना पड़ता. हम अभी तक नाइंसाफी की लहरों में गोते खा रहे होते.

बल्कि सिर्फ हिंदुस्तान नहीं, आधा ‘अफ्रीका’, आधे से ज्यादा ‘चीन’ और थोडा बहुत ‘यूरोप’ इन्ही २ विश्वयुद्धों के कारण ही आज़ाद हुए हैं.

 

Happy Independence Day india

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युद्धों के परिणाम हमेशा गलत और सही ऐसे दो पक्षों में बांटे जा सकते हैं. इन्हीं विश्वयुद्धों की बदौलत ऐसी नई-नई जगहों का पता चला जो शायद अब तक अनजान ही पड़ी होती. देशों को अपनी-अपनी सैन्य रक्षा मज़बूत करने का एक नया बहाना मिल गया.

लेकिन इन विश्वयुद्धों के कारण बहुत बुरी चीज़ें भी हुई हैं. क्या सैन्य रक्षा मज़बूत करने पर ही युद्ध टाले जा सकते हैं? कि यह किसी और युद्ध को न्योता देना कहलायेगा? आखिरकार युद्धों से कुछ और फायदे भी होने चाहियें. है कि नहीं? लेकिन एक बात हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए कि फायदे अपनी जगह होते हैं और हानियाँ अपनी जगह. दोनों बिलकुल विपरीत चीज़ें हैं. इसलिए दोनों में तुलना करना समझदारी नहीं कहलाएगी. इस लिए अब फायदों को छोड़ कर दूसरे पहलु कि तरफ नज़र देनी ही पड़ेगी.

live and let live

live and let live

केवल विश्वयुद्ध ही नहीं बल्कि ऐसे कई युद्ध हैं जिन्होंने मानवता को बार-बार आगाह करने की कोशिश की है लेकिन मनुष्य है कि मानता ही नहीं. हमेशा खुद के बिछाए जाल में फंसता ही रहेगा. अगर भविष्य में ऐसा कोई महायुद्ध विनाश का स्वरुप लेने लगे तो काश कोई कृष्ण जैसा महानायक इस युद्ध को मिटाने के खातिर जन्म ले ले. विश्वयुद्धों से फायदे ज़रूर होते हैं लेकिन नुक्सान उससे कई ज्यादा.

आखिरकार अंत में सभी धर्म यही सिखाते हैं कि “जियो और जीने दो”.