UP में पालतू बिल्ली के पंजा मारने के कारण रैबीज होने से पांच साल के बच्चे की तड़प-तड़पकर मौत।

UP। बदायूं में पालतू बिल्ली के काटने के कारण पांच वर्षीय बच्चे को एआरवी नहीं लगवाने पर रैबीज हो गया, जिसकी हालत बिगड़ने पर परिजन उसे अस्पताल लेकर पहुंचे। बच्चे को बरेली से लखनऊ रेफर किया गया, जहां उसकी मौत हो गई। पालतू बिल्ली की खरोंच को मामूली समझना बच्चे की जान पर भारी पड़ा। बृहस्पतिवार को बरेली से रेफर किए जाने के बाद केजीएमयू लखनऊ में बच्चे की जांच में रैबीज की पुष्टि हुई। रात के समय बच्चे की मौत हो गई।

स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बदायूं के बिल्सी क्षेत्र के परिवार को एआरवी लगाई। इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम सेल और राष्ट्रीय रैबीज नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल डॉ. मीसम अब्बास के मुताबिक, बृहस्पतिवार दोपहर तीन बजे बच्चे को रेफर करने के बाद उसे हाइड्रोफोबिया और एयरोफोबिया के लक्षण थे। परिवार के साथ वह केजीएमयू पहुंचा, लेकिन सीतापुर तक पहुंचने पर उसे उल्टियां होने लगीं, वह चीखने लगा और पानी को देखकर डरने लगा। दो दिन से कुछ खाए-पिए बिना उसकी कमजोरी बढ़ गई।

केजीएमयू पहुंचने पर जांच में रैबीज की पुष्टि हुई और फिर उसे क्वारंटीन कर दिया गया, जहां रात में उसकी मौत हो गई। इस घटना की सूचना के बाद, बदायूं स्वास्थ्य विभाग को सूचित किया गया। एक टीम भेजकर बिल्सी के तीन परिजनों को एआरवी लगवाया गया। साथ ही, यह अपील की गई कि यदि किसी की तबीयत बिगड़े तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र को सूचित करें, ताकि उपचार की प्रक्रिया जल्दी शुरू की जा सके।

पालतू पशु का कराएं टीकाकरण, काटे या खरोंचे लगवाएं वैक्सीन

पालतू पशुओं का टीकाकरण करवाना बेहद जरूरी है, खासकर यदि वे काटें या खरोंचें। डॉ. अब्बास के अनुसार, पालतू पशु परिवार के सदस्य की तरह होते हैं, और हम उनसे इतनी गहरी नज़दीकी बना लेते हैं कि यह समझ पाना मुश्किल होता है कि इससे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। जागरूक लोग अपने पशुओं का नियमित टीकाकरण कराते हैं, लेकिन कई लोग वैक्सीनेशन के खर्च के कारण इसे नज़रअंदाज़ करते हैं। डॉ. अब्बास ने अपील की है कि पालतू पशुओं को एंटी-रैबीज टीका जरूर लगवाना चाहिए। अगर कोई कुत्ता काटे या खरोंचें लगाएं, तो 24 घंटे के भीतर एआरवी (एंटी-रैबीज वैक्सीन) जरूर लगवाएं, जो कि निशुल्क उपलब्ध है।

पालतू पशु में यूं प्रवेश करता है रैबीज वायरस

आईवीआरआई रेफरल पोलिक्लिनिक के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अमरपाल के अनुसार, रैबीज वायरस तब प्रवेश करता है जब पालतू पशु किसी संक्रमित पशु द्वारा काटा जाता है या उसकी लार के संपर्क में आता है। इसके अलावा, संक्रमित पशु जहां बैठते हैं, वहां यदि घाव के अंश गिर जाते हैं और पालतू पशु उन पर संपर्क करता है, तो भी रैबीज का खतरा हो सकता है। लेकिन अगर पशु का टीकाकरण पहले हो चुका है, तो वायरस नष्ट हो जाता है और कोई खतरा नहीं होता।

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