भारत एक ऐसा देश है जहां महिलाओं के सम्मान को सर्वोच्च स्थान दिया गया है.
एक ओर जहां वीरांगनाओं ने अपने सम्मान के लिए जौहर की आग में आत्मदाह कर लिया था, तो वहीं कई वीर योद्धाओं ने स्त्रियों के सम्मान की रक्षा करने के लिए युद्ध किए और खून की नदियां तक बहा दी.
यूं तो भारत में महिलाओं की वजह से हुई लड़ाइयाँ, जिनका मकसद महिलाओं की रक्षा करना था.
तो आइए आज हम आपको बताते हैं भारत की पांच बड़ी ऐतिहासिक महिलाओं की वजह से हुई लड़ाइयाँ –
महिलाओं की वजह से हुई लड़ाइयाँ
रामायण
रामायण की लड़ाई के बारे में तो हर कोई जानता है. जब रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था तब उन्हें रावण के चंगुल से आज़ाद कराने के लिए श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई की थी.
कहा जाता है कि रावण की बहन शूर्पनखा श्रीराम से विवाह करना चाहती थी और वो सीता को नुकसान पहुंचाने की बार-बार धमकी दे रही थी इसलिए शूर्पनखा को सबक सिखाने के लिए लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी.
अपनी बहन शूर्पनखा का बदला लेने के लिए रावण ने सीता का अपहरण कर लिया. जिसके बाद माता सीता को छुड़ाने के लिए राम ने रावण से युद्ध किया और रावण को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी.

sita ram
महाभारत
महाभारत की लड़ाई भी द्रोपदी के सम्मान के लिए लड़ी गई थी. कहा जाता है कि पांचाल नरेश की बेटी द्रौपदी ने दुर्योधन के गलती से पानी में पैर रख देने पर उसकी खिल्ली उड़ाई थी.
जब पांचों पांडव पासा खेलने में दुर्योधन से हार गए तब उसे अपने अपमान का बदला लेने का मौका मिल गया और उसने भरी सभा में द्रोपदी का चीरहरण किया.
हालांकि श्रीकृष्ण ने उस वक्त द्रोपदी की लाज बचा ली थी लेकिन द्रोपदी ने कसम खाई थी कि वो जब तक दुर्योधन के खून से अपने बाल नहीं धोएगी तब तक अपने बालों को नहीं बांधेगी.

draupadi
श्रीकृष्ण का रुक्मिणी से युद्ध
कहा जाता है कि रुक्मिणी भगवान श्रीकृष्ण से प्रेम करती थी और उनसे विवाह करना चाहती थी. रुक्मिणी के माता-पिता भी चाहते थे कि उनकी बेटी का विवाह श्रीकृष्ण के साथ हो.
लेकिन रुक्मिणी के पांच भाईयों में से रुक्म नाम का भाई चाहता था कि उसका विवाह चेदिराम शिशुपाल के साथ हो, जिसके चलते श्रीकृष्ण को रुक्मिणी का हरण कर उनसे विवाह करना पड़ा था.
इस दौरान शिशुपाल और रुक्म दोनों से श्रीकृष्ण की सेना को युद्ध करना पड़ा था.

krishna and rukmini
पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गोरी के बीच युद्ध
कहा जाता है कि कन्नौज के राजा जयचंद और दिल्ली के राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान की आपस में नहीं बनती थी. इसी बीच जयचंद की बेटी संयोगिता को पृथ्वीराज चौहान से प्यार हो गया, लेकिन जयचंद को दोनों का प्यार नागवार गुजरा.
एक बार उन्होंने संयोगिता का स्वयंवर रचाया और देश के सभी राजकुमारों को इसमें आमंत्रित किया, लेकिन पृथ्वीराज को नहीं.
इतना ही नहीं उन्होंने पृथ्वीराज चौहान को अपमानित करने के लिए उनकी एक मूर्ति दरवाज़े पर द्वारपाल के रुप में लगवा दी, लेकिन संयोगिता ने पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति के गले में जयमाला डाल दी. द्वारपाल की मूर्ति के पीछे छुपे पृथ्वीराज चौहान भरी सभा से संयोगिता को अपने साथ भगा ले गए.
इसका बदला लेने के लिए जयचंद ने मोहम्मद गोरी को दुबारा हमला करने को उकसाया और साथ देने का वादा किया. इस कारण तराइन का एक और युद्ध हुआ.

prithviraj aur sanyogita
चित्तौड़ पर अलाउद्दीन खिलजी का हमला
कहा जाता है कि अलाउद्दीन खिलज़ी चित्तौड़ की रानी पद्मिनी की खूबूसूरती का कायल हो गया था. उसकी दीवानगी इस कदर बढ़ गई थी कि वो किसी भी हाल में पद्मिनी को पाना चाहता था.
उन्हें पाने के पागलपन में अलाउद्दीन ने चित्तौड़गढ़ पर हमला कर दिया. पद्मिनी के पति महाराजा रतन सिंह और उनके आदमियों ने बहादुरी से युद्ध किया, लेकिन वो खिलजी के हाथों हारे और मारे गए.
हालांकि अलाउद्दीन रानी पद्मिनी को पाने में असफल रहा क्योंकि चित्तौड़गढ़ किले की अन्य महिलाओं के साथ रानी पद्मिनी ने ‘जौहर’ यानि आत्मदाह कर लिया था.
ये थी महिलाओं की वजह से हुई लड़ाइयाँ – ये महिलाओं की वजह से हुई लड़ाइयाँ, असल में स्त्री के सन्मान के लिए लड़ी गई थी. ऐसा सिर्फ भारत देश में ही देखने को मिला है जहां महिलाओं के सम्मान के लिए वीरों ने अपने प्राणों की बाज़ी तक लगा दी लेकिन स्त्रियों की लाज पर कभी कोई आंच नहीं आने दी.

Rani Padmini