Aaj ka rashifal Archives - Welcome To Ind Lives News, Latest News Hindi, Breaking News in Hindi, Live Hindi News Headlines, Top News India, Current Hindi News World, Entertainment News Hindi, Sports News Hindi, Cricket News Hindi, Business News Hindi, Popular Videos - IndLives.com https://indlives.com/tag/aaj-ka-rashifal/ IndLives.com Fri, 18 Jan 2019 16:46:58 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.3 https://indlives.com/wp-content/uploads/2018/07/cropped-logo-32x32.png Aaj ka rashifal Archives - Welcome To Ind Lives News, Latest News Hindi, Breaking News in Hindi, Live Hindi News Headlines, Top News India, Current Hindi News World, Entertainment News Hindi, Sports News Hindi, Cricket News Hindi, Business News Hindi, Popular Videos - IndLives.com https://indlives.com/tag/aaj-ka-rashifal/ 32 32 सूर्य देव के यह 108 नाम (अर्थ सहित) Aaj ka Rashifal, Dharam https://indlives.com/this-108-name-sun-god-aaj-ka-rashifal/ Fri, 18 Jan 2019 16:46:58 +0000 http://indlives.com/?p=1635

सूर्य देव के यह 108 नाम (अर्थ सहित) Aaj ka Rashifal, Dharam Aaj ka Rashifal हिन्दू धर्मानुसार भगवान सूर्य देव एक मात्र ऐसे देव हैं जो साक्षात लोगों को दिखाई देते हैं। सूर्य देव का वर्णन वेदों और पुराणों में भी किया गया है। इसके अलावा एक प्रत्यक्ष देव के रूप में सूर्य देव का […]

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सूर्य देव के यह 108 नाम (अर्थ सहित) Aaj ka Rashifal, Dharam

Aaj ka Rashifal हिन्दू धर्मानुसार भगवान सूर्य देव एक मात्र ऐसे देव हैं जो साक्षात लोगों को दिखाई देते हैं। सूर्य देव का वर्णन वेदों और पुराणों में भी किया गया है। इसके अलावा एक प्रत्यक्ष देव के रूप में सूर्य देव का वर्णन कई जगह किया गया है। इनकी पत्नी का नाम अदिति और छाया है तथा उनके पुत्र शनि देव है जिन्हें न्याय का देवता कहा जाता है। इन्हें कई नामों से जाना जाता है आइए मकर संक्रांति पर जाप करें सूर्य देव के 108 नाम अर्थ सहित:- Aaj ka Rashifal

सूर्य देव के 108 नाम
1.
अरुण: तांबे जैसे रंग वाला
2.
शरण्य- शरण देने वाला
3.
करुणारससिन्धु- करुणा-भावना के महासागर
4.
असमानबल- असमान बल वाले
5.
आर्तरक्षक- पीड़ा से रक्षा करने वाले
6.
आदित्य- अदिति के पुत्र
7. आदिभूत- प्रथम जीव
8. अखिलागमवेदिन- सभी शास्त्रों के ज्ञाता

महाभारत के अनुसार इसलिए होती है सांप की जीभ दो हिस्सों में कटी Ajab Gajab

9.
अच्युत- जिसता अंत विनाश न हो सके (अविनाशी)
10. अखिलज्ञ- सब कुछ का ज्ञान रखने वाले
11. अनन्त- जिसकी कोई सीमा नहीं है
12. इना- बहुत शक्तिशाली
13. विश्वरूप- सभी रूपों में दिखने वाला
14. इज्य- परम पूजनीय
15. इन्द्र- देवताओं के राजा
16. भानु- एक अद्भुत तेज के साथ
17. इन्दिरामन्दिराप्त- इंद्र निवास का लाभ पाने वाले
18. वन्दनीय- स्तुति करने योग्य
19. ईश- ईश्वर
20. सुप्रसन्न- बहुत उज्ज्वल
21. सुशील- नेक दिल वाला
22. सुवर्चस्- तेजोमय चमक वाले
23. वसुप्रद- धन दान करने वाले
24. वसु- देव
25. वासुदेव- श्री कृष्ण
26. उज्ज्वल- धधकता हुआ तेज वाला
27. उग्ररूप-क्रोध में रहने वाले
28. ऊर्ध्वग- आकार बढ़ाने वाला
29. विवस्वत-चमकता हुआ
30. उद्यत्किरणजाल- रोशनी की बढ़ती कड़ियों का एक जाल उत्पन्न करने वाले
31. हृषिकेश- इंद्रियों के स्वामी
32. ऊर्जस्वल- पराक्रमी
33. वीर- निडर
34. निर्जर- न बिगड़ने वाला
35. जय- जीत हासिल करने वाला
36. ऊरुद्वयाभावरूपयुक्तसारथी- बिना जांघों वाले सारथी
37. ऋषिवन्द्य- ऋषियों द्वारा पूजनीय
38. रुग्घन्त्र्- रोग विनाशक
39. ऋक्षचक्रचर- सितारों के चक्र के माध्यम से चलने वाले
40. ऋजुस्वभावचित्त- प्रकृति की वास्तविक शुद्धता को पहचानने वाले
41. नित्यस्तुत्य- प्रशस्त के लिए तैयार रहने वाला
42. ऋकारमातृकावर्णरूप- ऋकारा पत्र के आकार वाला
43. उज्ज्वल तेजस- दीप्ति वाला
44. ऋक्षाधिनाथमित्र- तारों के देवता के मित्र
45. पुष्कराक्ष- कमल नयन वाले
46. लुप्तदन्त- जिनके दांत नहीं हैं
47. शान्त- शांत रहने वाले
48. कान्तिद- सुंदरता के दाता
49. घन- नाश करने वाल
50. कनत्कनकभूष- तेजोमय रत्न वाले
51. खद्योत- आकाश की रोशनी
52. लूनिताखिलदैत्य- असुरों का नाश करने वाला
53. सत्यानन्दस्वरूपिण्- परमानंद प्रकृति वाले
54. अपवर्गप्रद- मुक्ति के दाता

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बिना माँ के जन्मे थे कृपाचार्य तथा द्रोणाचार्य, जानिए दोनों की जन्म की कथा dharam https://indlives.com/born-without-mother-kripacharya-dronacharya-know-story-birth-both-dharam/ Sat, 05 Jan 2019 19:28:25 +0000 http://indlives.com/?p=1545

बिना माँ के जन्मे थे कृपाचार्य तथा द्रोणाचार्य, जानिए दोनों की जन्म की कथा dharam dharam दुनिया के बहुत कम लोग इस बात से वाकिफ हैं कि कृपाचार्य तथा द्रोणाचार्य का जन्म कैसे हुआ. जी हाँ, इसी के साथ बहुत कम लोग इस बात से भी वाकिफ है कि दोनों ने बिना माँ के जन्म […]

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बिना माँ के जन्मे थे कृपाचार्य तथा द्रोणाचार्य, जानिए दोनों की जन्म की कथा dharam

dharam

दुनिया के बहुत कम लोग इस बात से वाकिफ हैं कि कृपाचार्य तथा द्रोणाचार्य का जन्म कैसे हुआ. जी हाँ, इसी के साथ बहुत कम लोग इस बात से भी वाकिफ है कि दोनों ने बिना माँ के जन्म लिया था. अगर आप भी उन्ही में से एक है जिन्हे इनके जन्म की कथा नहीं पता तो आइए आज हम आपको बताते हैं इनके जन्म की कथा.

अपने घर में ऐसे लाएं सुख, शांति और समृद्धि Aaj Ka Rashifal

पौराणिक कथा – गौतम ऋषि के पुत्र का नाम शरद्वान था. उनका जन्म बाणों के साथ हुआ था. उन्हें वेदाभ्यास में जरा भी रुचि नहीं थी और धनुर्विद्या से उन्हें अत्यधिक लगाव था. वे धनुर्विद्या में इतने निपुण हो गये कि देवराज इन्द्र उनसे भयभीत रहने लगे. इन्द्र ने उन्हें साधना से डिगाने के लिये नामपदी नामक एक देवकन्या को उनके पास भेज दिया. उस देवकन्या के सौन्दर्य के प्रभाव से शरद्वान इतने कामपीड़ित हुये कि उनका वीर्य स्खलित हो कर एक सरकंडे पर आ गिरा. वह सरकंडा दो भागों में विभक्त हो गया जिसमें से एक भाग से कृप नामक बालक उत्पन्न हुआ और दूसरे भाग से कृपी नामक कन्या उत्पन्न हुई.

कृप भी धनुर्विद्या में अपने पिता के समान ही पारंगत हुये. भीष्म जी ने इन्हीं कृप को पाण्डवों और कौरवों की शिक्षा-दीक्षा के लिये नियुक्त किया और वे कृपाचार्य के नाम से विख्यात हुये.गौतम ऋषि के पुत्र का नाम शरद्वान था. उनका जन्म बाणों के साथ हुआ था. उन्हें वेदाभ्यास में जरा भी रुचि नहीं थी और धनुर्विद्या से उन्हें अत्यधिक लगाव था. वे धनुर्विद्या में इतने निपुण हो गये कि देवराज इन्द्र उनसे भयभीत रहने लगे. इन्द्र ने उन्हें साधना से डिगाने के लिये नामपदी नामक एक देवकन्या को उनके पास भेज दिया. उस देवकन्या के सौन्दर्य के प्रभाव से शरद्वान इतने कामपीड़ित हुये कि उनका वीर्य स्खलित हो कर एक सरकंडे पर आ गिरा. वह सरकंडा दो भागों में विभक्त हो गया जिसमें से एक भाग से कृप नामक बालक उत्पन्न हुआ और दूसरे भाग से कृपी नामक कन्या उत्पन्न हुई. कृप भी धनुर्विद्या में अपने पिता के समान ही पारंगत हुये. भीष्म जी ने इन्हीं कृप को पाण्डवों और कौरवों की शिक्षा-दीक्षा के लिये नियुक्त किया और वे कृपाचार्य के नाम से विख्यात हुये. कालान्तर में उसी यज्ञ पात्र से द्रोण की उत्पत्ति हुई. द्रोण अपने पिता के आश्रम में ही रहते हुये चारों वेदों तथा अस्त्र-शस्त्रों के ज्ञान में पारंगत हो गये. द्रोण के साथ प्रषत् नामक राजा के पुत्र द्रुपद भी शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तथा दोनों में प्रगाढ़ मैत्री हो गई. उन्हीं दिनों परशुराम अपनी समस्त सम्पत्ति को ब्राह्मणों में दान कर के महेन्द्राचल पर्वत पर तप कर रहे थे. एक बार द्रोण उनके पास पहुँचे और उनसे दान देने का अनुरोध किया. इस पर परशुराम बोले, “वत्स! तुम विलम्ब से आये हो, मैंने तो अपना सब कुछ पहले से ही ब्राह्मणों को दान में दे डाला है. अब मेरे पास केवल अस्त्र-शस्त्र ही शेष बचे हैं. तुम चाहो तो उन्हें दान में ले सकते हो.”

द्रोण यही तो चाहते थे अतः उन्होंने कहा, “हे गुरुदेव! आपके अस्त्र-शस्त्र प्राप्त कर के मुझे अत्यधिक प्रसन्नता होगी, किन्तु आप को मुझे इन अस्त्र-शस्त्रों की शिक्षा-दीक्षा देनी होगी तथा विधि-विधान भी बताना होगा.” इस प्रकार परशुराम के शिष्य बन कर द्रोण अस्त्र-शस्त्रादि सहित समस्त विद्याओं के अभूतपूर्व ज्ञाता हो गये. शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात द्रोण का विवाह कृपाचार्य की बहन कृपी के साथ हो गया. कृपी से उनका एक पुत्र हुआ. उनके उस पुत्र के मुख से जन्म के समय अश्व की ध्वनि निकली इसलिये उसका नाम अश्वत्थामा रखा गया.

किसी प्रकार का राजाश्रय प्राप्त न होने के कारण द्रोण अपनी पत्नी कृपी तथा पुत्र अश्वत्थामा के साथ निर्धनता के साथ रह रहे थे. एक दिन उनका पुत्र अश्वत्थामा दूध पीने के लिये मचल उठा किन्तु अपनी निर्धनता के कारण द्रोण पुत्र के लिये गाय के दूध की व्यवस्था न कर सके. अकस्मात् उन्हें अपने बाल्यकाल के मित्र राजा द्रुपद का स्मरण हो आया जो कि पाञ्चाल देश के नरेश बन चुके थे. द्रोण ने द्रुपद के पास जाकर कहा, “मित्र! मैं तुम्हारा सहपाठी रह चुका हूँ. मुझे दूध के लिये एक गाय की आवश्यकता है और तुमसे सहायता प्राप्त करने की अभिलाषा ले कर मैं तुम्हारे पास आया हूँ.” इस पर द्रुपद अपनी पुरानी मित्रता को भूलकर तथा स्वयं के नरेश होने के अहंकार के वश में आकर द्रोण पर बिगड़ उठे और कहा, “तुम्हें मुझको अपना मित्र बताते हुये लज्जा नहीं आती? मित्रता केवल समान वर्ग के लोगों में होती है, तुम जैसे निर्धन और मुझ जैसे राजा में नहीं.”अपमानित होकर द्रोण वहाँ से लौट आये और कृपाचार्य के घर गुप्त रूप से रहने लगे. एक दिन युधिष्ठिर आदि राजकुमार जब गेंद खेल रहे थे तो उनकी गेंद एक कुएँ में जा गिरी.

उधर से गुजरते हुये द्रोण से राजकुमारों ने गेंद को कुएँ से निकालने लिये सहायता माँगी. द्रोण ने कहा, “यदि तुम लोग मेरे तथा मेरे परिवार के लिये भोजन का प्रबन्ध करो तो मैं तुम्हारा गेंद निकाल दूँगा.” युधिष्ठिर बोले, “देव! यदि हमारे पितामह की अनुमति होगी तो आप सदा के लिये भोजन पा सकेंगे.” द्रोणाचार्य ने तत्काल एक मुट्ठी सींक लेकर उसे मन्त्र से अभिमन्त्रित किया और एक सींक से गेंद को छेदा.

फिर दूसरे सींक से गेंद में फँसे सींक को छेदा. इस प्रकार सींक से सींक को छेदते हुये गेंद को कुएँ से निकाल दिया. इस अद्भुत प्रयोग के विषय में तथा द्रोण के समस्त विषयों मे प्रकाण्ड पण्डित होने के विषय में ज्ञात होने पर भीष्म पितामह ने उन्हें राजकुमारों के उच्च शिक्षा के नियुक्त कर राजाश्रय में ले लिया और वे द्रोणाचार्य के नाम से विख्यात हुये.

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परीक्षा में सफलता के लिए पढ़ें अत्यंत सरल सरस्वती मंत्र Dharam, Aaj Ka Rashifal https://indlives.com/read-simple-saraswati-mantra-success-exam/ Sat, 05 Jan 2019 19:21:31 +0000 http://indlives.com/?p=1542

परीक्षा में सफलता के लिए पढ़ें अत्यंत सरल सरस्वती मंत्र Dharam, Aaj Ka Rashifal, mantra, Dharam, Aaj Ka Rashifal, mantra, प्रतिदिन सुबह स्नान इत्यादि से निवृत्त होने के बाद मंत्र जप आरंभ करें। अपने सामने मां सरस्वती का यंत्र या चित्र स्थापित करें। Dharam, Aaj Ka Rashifal, mantra, भगवान विष्णु के 24 अवतार कौन से हैं, […]

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परीक्षा में सफलता के लिए पढ़ें अत्यंत सरल सरस्वती मंत्र Dharam, Aaj Ka Rashifal, mantra,

Dharam, Aaj Ka Rashifal, mantra, प्रतिदिन सुबह स्नान इत्यादि से निवृत्त होने के बाद मंत्र जप आरंभ करें।
अपने सामने मां सरस्वती का यंत्र या चित्र स्थापित करें। Dharam, Aaj Ka Rashifal, mantra,

भगवान विष्णु के 24 अवतार कौन से हैं, जानिए Aaj Ka Rashifal

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अब चित्र या यंत्र के ऊपर श्वेत चंदन, श्वेत पुष्प व अक्षत (चावल) भेंट करें और धूप-दीप जलाकर देवी की पूजा करें और अपनी मनोकामना का मन में स्मरण करके स्फटिक की माला से किसी भी सरस्वती मंत्र की शांत मन से 1 माला फेरें।

* सरस्वती मूल मंत्र :
ॐ ऐं सरस्वत्यै ऐं नम:।
* सरस्वती मंत्र :
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नम:।
* सरस्वती-गायत्री मंत्र :
ॐ सरस्वत्यै विधमहे, ब्रह्मपुत्रयै धीमहि। तन्नो देवी प्रचोद्यात।
ॐ वाग देव्यै विधमहे काम राज्या धीमहि। तन्नो सरस्वती: प्रचोदयात।

* ज्ञान वृद्धि का गायत्री मंत्र :
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
* परीक्षा भय निवारण हेतु :
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वीणा पुस्तक धारिणीम् मम् भय निवारय निवारय अभयम् देहि देहि स्वाहा।
* स्मरण शक्ति नियंत्रण हेतु :
ॐ ऐं स्मृत्यै नम:।
* विघ्न निवारण हेतु :
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं अंतरिक्ष सरस्वती परम रक्षिणी मम सर्व विघ्न बाधा निवारय निवारय स्वाहा।
* स्मरण शक्ति बढ़ाने का मंत्र :
ऐं नम: भगवति वद वद वाग्देवि स्वाहा।
* परीक्षा में सफलता के लिए :
ॐ नम: श्रीं श्रीं अहं वद वद वाग्वादिनी भगवती सरस्वत्यै नम: स्वाहा विद्यां देहि मम ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा।
जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी, कवि उर अजिर नचावहिं बानी।
मोरि सुधारिहिं सो सब भांती, जासु कृपा नहिं कृपा अघाती।।
* मां सरस्वती का मानस पूजा मंत्र :
ॐ ऐं क्लीं सौ: ह्रीं श्रीं ध्रीं वद वद वाग्-वादिनि सौ: क्लीं ऐं श्रीसरस्वत्यै नम:।
इस मंत्र का 21 बार जप करें।
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं महासरस्वत्यै नम:।

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आर्थिक लाभ के लिए करें यह उपाय, बरसेगी समृद्धि Dharam, Aaj Ka Rashifal https://indlives.com/make-remedy-economic-benefits-rainy-prosperity-dharam-aaj-ka-rashifal/ Sat, 05 Jan 2019 19:14:04 +0000 http://indlives.com/?p=1539

आर्थिक लाभ के लिए करें यह उपाय, बरसेगी समृद्धि Dharam, Aaj Ka Rashifal Dharam,  Aaj Ka Rashifal हर इंसान की जिंदगी में धन की जरूरत हमेशा बनी रहती है। वह चाहता है कि उसके जीवन में कभी धन की कमी महसूस न हो। धन के अभाव का उसको सामना न करना पड़े और सुख-समृद्धि के […]

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आर्थिक लाभ के लिए करें यह उपाय, बरसेगी समृद्धि Dharam, Aaj Ka Rashifal

Dharam,  Aaj Ka Rashifal हर इंसान की जिंदगी में धन की जरूरत हमेशा बनी रहती है। वह चाहता है कि उसके जीवन में कभी धन की कमी महसूस न हो। धन के अभाव का उसको सामना न करना पड़े और सुख-समृद्धि के साथ उसका जीवन व्यतीत हो। इसके लिए व्यक्ति हरसंभव उपाय करता है, लेकिन इसके बावजूद कई बार उसको सही राह पर चलने और विधि उपाय करने के बावजूद धन की कमी का सामना करना पड़ता है। हम आपको कुछ ऐसे शास्त्रोक्त उपायों को बता रहे हैं, जिससे आप अपने घर में सात्विक तरीके से अपने धन के अभाव को दूर कर सकते हैं और अपने जीवन में स्थाई सुख-समृद्धि का वास कर सकते हैं। Dharam,  Aaj Ka Rashifal

अपने घर में ऐसे लाएं सुख, शांति और समृद्धि Aaj Ka Rashifal

Dharam,  Aaj Ka Rashifal
1 अकस्मात धन प्राप्ति के लिए महालक्ष्मी मंदिर में लगातार सात शुक्रवार को धूप अगरबत्ती दान करें।

2 अतुल धन प्राप्ति के लिए पुष्प नक्षत्र में रविवार को बहेड़ा के जड़ और पत्ते लाएं और पूजा करने के बाद लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें और रोजाना धूप दीप दिखाकर प्रणाम करें।

3 गुरूवार को तुलसी के पौधे को दूध चढ़ाने से घर में लक्ष्मी का वास रहता है।

4 शुक्रवार को निर्धनों को गुड़-चना और मंगलवार को बंदरों को चना खिलाने से आय के स्त्रोत में वृद्धी होती है।

5 शयनकक्ष में झूठे बर्तन रखने से कारोबार में हानि होती है।

6 ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने से उधार नही रुकता है।

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भगवान विष्णु के 24 अवतार कौन से हैं, जानिए Aaj Ka Rashifal https://indlives.com/know-who-24-incarnations-lord-vishnu-aaj-ka-rashifal/ Thu, 27 Dec 2018 17:59:29 +0000 http://indlives.com/?p=1477

भगवान विष्णु के 24 अवतार कौन से हैं, जानिए Aaj Ka Rashifal Aaj Ka Rashifal  vishnu जब-जब पृथ्वी पर कोई संकट आता है तो भगवान अवतार लेकर उस संकट को दूर करते हैं। भगवान शिव और भगवान विष्णु ने कई बार पृथ्वी पर अवतार लिया है। भगवान विष्णु के 24 वें अवतार के बारे में […]

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भगवान विष्णु के 24 अवतार कौन से हैं, जानिए Aaj Ka Rashifal

Aaj Ka Rashifal  vishnu जब-जब पृथ्वी पर कोई संकट आता है तो भगवान अवतार लेकर उस संकट को दूर करते हैं। भगवान शिव और भगवान विष्णु ने कई बार पृथ्वी पर अवतार लिया है। भगवान विष्णु के 24 वें अवतार के बारे में कहा जाता है कि‘कल्कि अवतार’के रूप में उनका आना सुनिश्चित है।  vishnu

उनके 23 अवतार अब तक पृथ्वी पर अवतरित हो चुके हैं। इन 24 अवतार में से 10 अवतार विष्णु जी के मुख्य अवतार माने जाते हैं। यह है मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार, राम अवतार. कृष्ण अवतार, बुद्ध अवतार, कल्कि अवतार। आइए जानें विस्तार से….

शिव की पूजा करने वाले भोगते हैं यह श्राप shiv puja, aaj ka rashifal

vishnu
1- श्री सनकादि मुनि :
धर्म ग्रंथों के अनुसार सृष्टि के आरंभ में लोक पितामह ब्रह्मा ने अनेक लोकों की रचना करने की इच्छा से घोर तपस्या की। उनके तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने तप अर्थ वाले सन नाम से युक्त होकर सनक, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार नाम के चार मुनियों के रूप में अवतार लिया। ये चारों प्राकट्य काल से ही मोक्ष मार्ग परायण, ध्यान में तल्लीन रहने वाले, नित्यसिद्ध एवं नित्य विरक्त थे। ये भगवान विष्णु के सर्वप्रथम अवतार माने जाते हैं। Aaj Ka Rashifal
2- वराह अवतार :
धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने दूसरा अवतार वराह रूप में लिया था। वराह अवतार से जुड़ी कथा इस प्रकार है- पुरातन समय में दैत्य हिरण्याक्ष ने जब पृथ्वी को ले जाकर समुद्र में छिपा दिया तब ब्रह्मा की नाक से भगवान विष्णु वराह रूप में प्रकट हुए। भगवान विष्णु के इस रूप को देखकर सभी देवताओं व ऋषि-मुनियों ने उनकी स्तुति की। सबके आग्रह पर भगवान वराह ने पृथ्वी को ढूंढना प्रारंभ किया। अपनी थूथनी की सहायता से उन्होंने पृथ्वी का पता लगा लिया और समुद्र के अंदर जाकर अपने दांतों पर रखकर वे पृथ्वी को बाहर ले आए।
जब हिरण्याक्ष दैत्य ने यह देखा तो उसने भगवान विष्णु के वराह रूप को युद्ध के लिए ललकारा। दोनों में भीषण युद्ध हुआ। अंत में भगवान वराह ने हिरण्याक्ष का वध कर दिया। इसके बाद भगवान वराह ने अपने खुरों से जल को स्तंभित कर उस पर पृथ्वी को स्थापित कर दिया।
3- नारद अवतार :
धर्म ग्रंथों के अनुसार देवर्षि नारद भी भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। शास्त्रों के अनुसार नारद मुनि, ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से एक हैं। उन्होंने कठिन तपस्या से देवर्षि पद प्राप्त किया है। वे भगवान विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक माने जाते हैं। देवर्षि नारद धर्म के प्रचार तथा लोक-कल्याण के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहते हैं। शास्त्रों में देवर्षि नारद को भगवान का मन भी कहा गया है। श्रीमद्भागवतगीता के दशम अध्याय के 26वें श्लोक में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इनकी महत्ता को स्वीकार करते हुए कहा है- देवर्षीणाम्चनारद:। अर्थात देवर्षियों में मैं नारद हूं।
4- नर-नारायण :
सृष्टि के आरंभ में भगवान विष्णु ने धर्म की स्थापना के लिए दो रूपों में अवतार लिया। इस अवतार में वे अपने मस्तक पर जटा धारण किए हुए थे। उनके हाथों में हंस, चरणों में चक्र एवं वक्ष:स्थल में श्रीवत्स के चिन्ह थे। उनका संपूर्ण वेष तपस्वियों के समान था। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने नर-नारायण के रूप में यह अवतार लिया था।
5- कपिल मुनि :
भगवान विष्णु ने पांचवा अवतार कपिल मुनि के रूप में लिया। इनके पिता का नाम महर्षि कर्दम व माता का नाम देवहूति था। शरशय्या पर पड़े हुए भीष्म पितामह के शरीर त्याग के समय वेदज्ञ व्यास आदि ऋषियों के साथ भगवा कपिल भी वहां उपस्थित थे। भगवान कपिल के क्रोध से ही राजा सगर के साठ हजार पुत्र भस्म हो गए थे। भगवान कपिल सांख्य दर्शन के प्रवर्तक हैं। कपिल मुनि भागवत धर्म के प्रमुख बारह आचार्यों में से एक हैं। Aaj Ka Rashifal
6- दत्तात्रेय अवतार :
धर्म ग्रंथों के अनुसार दत्तात्रेय भी भगवान विष्णु के अवतार हैं। इनकी उत्पत्ति की कथा इस प्रकार है-
एक बार माता लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती को अपने पातिव्रत्य पर अत्यंत गर्व हो गया। भगवान ने इनका अंहकार नष्ट करने के लिए लीला रची। उसके अनुसार एक दिन नारदजी घूमते-घूमते देवलोक पहुंचे और तीनों देवियों को बारी-बारी जाकर कहा कि ऋषि अत्रि की पत्नी अनुसूइया के सामने आपका सतीत्व कुछ भी नहीं। तीनों देवियों ने यह बात अपने स्वामियों को बताई और उनसे कहा कि वे अनुसूइया के पातिव्रत्य की परीक्षा लें।
तब भगवान शंकर, विष्णु व ब्रह्मा साधु वेश बनाकर अत्रि मुनि के आश्रम आए। महर्षि अत्रि उस समय आश्रम में नहीं थे। तीनों ने देवी अनुसूइया से भिक्षा मांगी मगर यह भी कहा कि आपको निर्वस्त्र होकर हमें भिक्षा देनी होगी। अनुसूइया पहले तो यह सुनकर चौंक गई, लेकिन फिर साधुओं का अपमान न हो इस डर से उन्होंने अपने पति का स्मरण किया और बोला कि यदि मेरा पातिव्रत्य धर्म सत्य है तो ये तीनों साधु छ:-छ: मास के शिशु हो जाएं।
ऐसा बोलते ही त्रिदेव शिशु होकर रोने लगे। तब अनुसूइया ने माता बनकर उन्हें गोद में लेकर स्तनपान कराया और पालने में झूलाने लगीं। जब तीनों देव अपने स्थान पर नहीं लौटे तो देवियां व्याकुल हो गईं। तब नारद ने वहां आकर सारी बात बताई। तीनों देवियां अनुसूइया के पास आईं और क्षमा मांगी। तब देवी अनुसूइया ने त्रिदेव को अपने पूर्व रूप में कर दिया। प्रसन्न होकर त्रिदेव ने उन्हें वरदान दिया कि हम तीनों अपने अंश से तुम्हारे गर्भ से पुत्र रूप में जन्म लेंगे। तब ब्रह्मा के अंश से चंद्रमा, शंकर के अंश से दुर्वासा और विष्णु के अंश से दत्तात्रेय का जन्म हुआ।
7- यज्ञ :
भगवान विष्णु के सातवें अवतार का नाम यज्ञ है। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान यज्ञ का जन्म स्वायम्भुव मन्वन्तर में हुआ था। स्वायम्भुव मनु की पत्नी शतरूपा के गर्भ से आकूति का जन्म हुआ। वे रूचि प्रजापति की पत्नी हुई। इन्हीं आकूति के यहां भगवान विष्णु यज्ञ नाम से अवतरित हुए। भगवान यज्ञ के उनकी धर्मपत्नी दक्षिणा से अत्यंत तेजस्वी बारह पुत्र उत्पन्न हुए। वे ही स्वायम्भुव मन्वन्तर में याम नामक बारह देवता कहलाए।
8- भगवान ऋषभदेव :
भगवान विष्णु ने ऋषभदेव के रूप में आठवांं अवतार लिया। धर्म ग्रंथों के अनुसार महाराज नाभि की कोई संतान नहीं थी। इस कारण उन्होंने अपनी धर्मपत्नी मेरुदेवी के साथ पुत्र की कामना से यज्ञ किया। यज्ञ से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु स्वयं प्रकट हुए और उन्होंने महाराज नाभि को वरदान दिया कि मैं ही तुम्हारे यहां पुत्र रूप में जन्म लूंगा।
वरदान स्वरूप कुछ समय बाद भगवान विष्णु महाराज नाभि के यहां पुत्र रूप में जन्मे। पुत्र के अत्यंत सुंदर सुगठित शरीर, कीर्ति, तेल, बल, ऐश्वर्य, यश, पराक्रम और शूरवीरता आदि गुणों को देखकर महाराज नाभि ने उसका नाम ऋषभ (श्रेष्ठ) रखा।
9- आदिराज पृथु :
भगवान विष्णु के एक अवतार का नाम आदिराज पृथु है। धर्म ग्रंथों के अनुसार स्वायम्भुव मनु के वंश में अंग नामक प्रजापति का विवाह मृत्यु की मानसिक पुत्री सुनीथा के साथ हुआ। उनके यहां वेन नामक पुत्र हुआ। उसने भगवान को मानने से इंकार कर दिया और स्वयं की पूजा करने के लिए कहा।
तब महर्षियों ने मंत्र पूत कुशों से उसका वध कर दिया। तब महर्षियों ने पुत्रहीन राजा वेन की भुजाओं का मंथन किया, जिससे पृथु नाम पुत्र उत्पन्न हुआ। पृथु के दाहिने हाथ में चक्र और चरणों में कमल का चिह्न देखकर ऋषियों ने बताया कि पृथु के वेष में स्वयं श्रीहरि का अंश अवतरित हुआ है। Aaj Ka Rashifal
10- मत्स्य अवतार :
पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने सृष्टि को प्रलय से बचाने के लिए मत्स्यावतार लिया था। इसकी कथा इस प्रकार है- कृतयुग के आदि में राजा सत्यव्रत हुए। राजा सत्यव्रत एक दिन नदी में स्नान कर जलांजलि दे रहे थे। अचानक उनकी अंजलि में एक छोटी सी मछली आई। उन्होंने देखा तो सोचा वापस सागर में डाल दूं, लेकिन उस मछली ने बोला- आप मुझे सागर में मत डालिए अन्यथा बड़ी मछलियां मुझे खा जाएंगी। तब राजा सत्यव्रत ने मछली को अपने कमंडल में रख लिया। मछली और बड़ी हो गई तो राजा ने उसे अपने सरोवर में रखा, तब देखते ही देखते मछली और बड़ी हो गई। Aaj Ka Rashifal
राजा को समझ आ गया कि यह कोई साधारण जीव नहीं है। राजा ने मछली से वास्तविक स्वरूप में आने की प्रार्थना की। राजा की प्रार्थना सुन साक्षात चारभुजाधारी भगवान विष्णु प्रकट हो गए और उन्होंने कहा कि ये मेरा मत्स्यावतार है। भगवान ने सत्यव्रत से कहा- सुनो राजा सत्यव्रत! आज से सात दिन बाद प्रलय होगी। तब मेरी प्रेरणा से एक विशाल नाव तुम्हारे पास आएगी। तुम सप्त ऋषियों, औषधियों, बीजों व प्राणियों के सूक्ष्म शरीर को लेकर उसमें बैठ जाना, जब तुम्हारी नाव डगमगाने लगेगी, तब मैं मत्स्य के रूप में तुम्हारे पास आऊंगा।
उस समय तुम वासुकि नाग के द्वारा उस नाव को मेरे सींग से बांध देना। उस समय प्रश्न पूछने पर मैं तुम्हें उत्तर दूंगा, जिससे मेरी महिमा जो परब्रह्म नाम से विख्यात है, तुम्हारे ह्रदय में प्रकट हो जाएगी। तब समय आने पर मत्स्यरूपधारी भगवान विष्णु ने राजा सत्यव्रत को तत्वज्ञान का उपदेश दिया, जो मत्स्यपुराण नाम से प्रसिद्ध है। Aaj Ka Rashifal

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जीवन जीने की उत्तम शिक्षा देती है रामायण Aaj Ka Rashifal https://indlives.com/ramayana-gives-perfect-education-to-live-life-aaj-ka-rashifal/ Wed, 26 Dec 2018 18:19:41 +0000 http://indlives.com/?p=1472

जीवन जीने की उत्तम शिक्षा देती है रामायण Aaj Ka Rashifal Aaj Ka Rashifal भरत जी तो नंदिग्राम में रहते हैं, शत्रुघ्न लाल जी महाराज उनके आदेश से राज्य संचालन करते थे। धीरे-धीरे भगवान राम को वनवास हुए तेरह वर्ष बीत चुक थे। एक रात की बात है, माता कौशल्या जी को रात में अपने […]

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जीवन जीने की उत्तम शिक्षा देती है रामायण Aaj Ka Rashifal

Aaj Ka Rashifal भरत जी तो नंदिग्राम में रहते हैं, शत्रुघ्न लाल जी महाराज उनके आदेश से राज्य संचालन करते थे। धीरे-धीरे भगवान राम को वनवास हुए तेरह वर्ष बीत चुक थे। एक रात की बात है, माता कौशल्या जी को रात में अपने महल की छत पर किसी के चलने की आहट सुनाई दी। उनकी नींद खुल गई, दासियों को देखने के लिए भेजा। पता चला कि श्रुतिकीर्तिजी हैं, माता कौशल्या ने उन्हें नीचे बुलाया।  Aaj Ka Rashifal

Aaj Ka Rashifal
श्रुति, जो सबसे छोटी थीं महल में पहुंचीं और माता के पांव छुए। राममाता ने पूछा, श्रुति! इतनी रात को अकेली छत पर क्या कर रही हो पुत्री, क्या नींद नहीं आ रही? शत्रुघ्न कहां है, यह सुनकर श्रुति की आंखें भर आईं, वे मां से चिपट गईं और बोलीं कि उन्हें देखे तो 13 वर्ष बीत गए। सुनकर माता कौशल्या जी का कलेजा कांप गया। उन्होंने तुरंत सेवक को आवाज दी और आधी रात में ही पालकी तैयार कराई। माता ने शत्रुघ्न जी की खोज की।

काफी खोज के बाद माता की नजर एक पत्थर की शिला पर गई, जहां शुत्रघ्न अपनी बांह का तकिया बनाकर लेटे थे। आपको बता दें कि यह अयोध्या के जिस दरवाजे के बाहर भरत जी नंदिग्राम में तपस्वी बनकर रहते थे, उसी दरवाजे के भीतर ही पत्थर की यह शिला थी, जिसपर शत्रुघ्न जी लेटे थे।

माता कौशल्या बेटे शत्रुघ्न के सिराहने बैठ गईं, बालों में हाथ फिराया तो शुत्रघ्न की आंखें खुल गईं और मां को देखते ही उनके चरणों में गिर गए। बोले, आपने क्यों कष्ट किया? मुझे बुलवा लिया होता। माता कौशल्या ने पूछा कि शत्रुघ्न, यहां क्यों?
शुत्रघ्न की रुलाई फूट पड़ी, बोले- मां! भैया राम पिताजी की आज्ञा से वन चले गए, भैया लक्षमण भगवान के पीछे चले गए, भैया भरत भी नंदिग्राम में हैं, क्या ये महल, ये रथ, ये राजसी वस्त्र, विधाता ने मेरे ही लिए बनाए हैं? कौशल्या जी निरुत्तर रह गईं।

यह है रामकथा… यह भोग नहीं, त्याग की कथा है। यहां त्याग की प्रतियोगिता चल रही है और विचित्र और उत्तम बात यह है कि इसमें सभी प्रथम हैं। कोई पीछे नहीं रहा, चारों भाइयों का प्रेम और त्याग एक दूसरे के प्रति अलौकिक है। इसलिए कहा गया है कि रामायण जीवन जीने की सबसे उत्तम शिक्षा देती है।

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शिव की पूजा करने वाले भोगते हैं यह श्राप shiv puja, aaj ka rashifal https://indlives.com/shiv-puja-aaj-ka-rashifal/ Wed, 19 Dec 2018 18:04:19 +0000 http://indlives.com/?p=1448

शिव की पूजा करने वाले भोगते हैं यह श्राप shiv puja, aaj ka rashifal shiv puja, aaj ka rashifal दुनियाभर में भोलेनाथ के कई भक्त हैं जो उन्हें खूब मानते हैं. ऐसे में भोलेबाबा को भोलेनाथ इस वजह से कहते हैं क्योंकि वह सभी की मनोकामना जल्द पूरी कर देते हैं. ऐसे में आप सभी […]

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शिव की पूजा करने वाले भोगते हैं यह श्राप shiv puja, aaj ka rashifal

shiv puja, aaj ka rashifal दुनियाभर में भोलेनाथ के कई भक्त हैं जो उन्हें खूब मानते हैं. ऐसे में भोलेबाबा को भोलेनाथ इस वजह से कहते हैं क्योंकि वह सभी की मनोकामना जल्द पूरी कर देते हैं. ऐसे में आप सभी यह भी जानते ही होंगे कि पौराणिक कथा में भी शिव भगवान के कई चमत्कारों का जिक्र है. वहीं उसमे बताया गया है कि जब राजा दक्ष ने विश्व के कल्याण के लिए विशाल यज्ञ का आयोजन किया और वहां भगवान शिव और देवी सती भी थी लेकिन शिव जी ने दक्ष को प्रणाम नहीं किया था और उस वजह से दक्ष क्रोधित हो गए थे और उन्होंने भगवान शिव को श्राप दे दिया था. उन्होंने कहा था कि उन्हें किसी भी यज्ञ का कोई भाग नहीं मिलेगा. shiv puja, aaj ka rashifal

 

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वहीं भगवान शिव के साथ हुई इस घटना से क्रोधित होकर नंदी ने दक्ष को बकरे के सामान शरीर हो जाने का श्राप दे दिया था और इसी के साथ उन्होंने वहां उपस्थित सभी ब्राह्मणों को श्राप दे दिया की सभी ब्राम्हण वृद्ध होते ही अपना समस्त ज्ञान भूल जायेंगे और शेष जीवन दरिद्रता में ही बिताएंगे. इस श्राप को सुनकर भृगु ऋषि भी क्रोधित हो गये और उन्होंने सभी शिव भक्तों को श्राप दे दिया था कि जो भी शिव जी की पूजा या व्रत करेगा वो शास्त्रों के विरुद्ध होंगे और उन्हें भस्म लगाकर, जटा धारण करना होगा.

इस घटना के बाद नन्दी के श्राप से क्रोधित हो भृगु ऋषि ने भी समस्त शिव भक्तों को श्राप दिया कि जो कोई भी शिवजी का व्रत तथा पूजन करेगा, वे सभी वेद-शास्त्रों से विपरीत चलेंगे और जटा धारण कर भस्म मलकर शिव के साधक बनेंगे. वहीं उन्होंने कहा था कि वह मदिरा, मांस खाने वाले होंगे और उनका निवास स्थान श्मशान होगा. इसी कारण अघोरियों को श्मशान में देखा जाता है.

 

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जानिए कैसे हुई बेशकीमती रत्नों की उत्पत्त‍ि Aaj Ka Rashifal https://indlives.com/know-how-origin-prized-gems-aaj-ka-rashifal/ Wed, 19 Dec 2018 17:45:06 +0000 http://indlives.com/?p=1442

जानिए कैसे हुई बेशकीमती रत्नों की उत्पत्त‍ि Aaj Ka Rashifal Aaj Ka Rashifal आचार्य वराहमिहिर ने भी पुराण परंपरा का आश्रय ले आज से 1500 वर्ष पूर्व अपनी वृहतसंहिता में रत्नाध्याय का वर्णन करते हुए रत्नोत्पत्ति के कारणों का वर्णन किया है, परंतु उन्होंने साथ ही ‘केचिद्भुव: स्वभावाद्वैचित्र्यं प्राहुरूपलानाम् (पृथ्वी के स्वभाव ही से कुछ […]

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जानिए कैसे हुई बेशकीमती रत्नों की उत्पत्त‍ि Aaj Ka Rashifal

Aaj Ka Rashifal आचार्य वराहमिहिर ने भी पुराण परंपरा का आश्रय ले आज से 1500 वर्ष पूर्व अपनी वृहतसंहिता में रत्नाध्याय का वर्णन करते हुए रत्नोत्पत्ति के कारणों का वर्णन किया है, परंतु उन्होंने साथ ही ‘केचिद्भुव: स्वभावाद्वैचित्र्यं प्राहुरूपलानाम् (पृथ्वी के स्वभाव ही से कुछ लोगों के मत से रत्नों की विचित्रता हुई है) कहकर अपने ऊपर कोई जिम्मेदारी नहीं ली। Aaj Ka Rashifal

व्रत से मिलता है मोक्ष, भगवान शिव देते हैं वरदान Pradosha vrata, Aaj Ka Rashifa

रत्नानि बलाद्दैत्याद्दैधिचितोन्ये वदंन्ति जातानि।
केचिद् भुव: स्वभावाद्वैचित्र्यं प्राहुरूपलानाम।।
बलि दैत्य और दधीचि की हड्डियों से रत्नों के उत्पन्न होने की बात बताकर पृथ्वी की स्वाभाविक रत्न प्रसव सामर्थ्य की चर्चा भी की है।
हीरे – उन्होंने कहा है कि जब बलि दैत्य की अस्थियां इधर-उधर उड़कर गिरीं तब वे जहां गिरीं उस प्रदेश में इंद्रधनुष को चकाचौंध कर देने वाले विचित्र हीरे उत्पन्न हो गए।
मोती – उसकी दंतपंक्तियां नक्षत्र-मालिका की तरह आकाश तक फैली थीं, जो समुद्र आदि स्थानों में जा पड़ीं वे ‘मोती’ रूप में परिवर्तित हो गईं।
माणिक्य – सूर्य के खर-किरण से उसका जमीन पर गिरा हुआ रक्त सूखकर रजों द्वारा गगनगामी हो रहा था, पर रावण ने उसे राह में ही रोककर सिंहल द्वीप की उस नदी में डाल दिया, जहां सुपारी के पेड़ लगे हैं। तभी से उस नदी का नाम ‘रावण गंगा’ भी हो गया और उसमें पद्मराग-माणिक्य उत्पन्न होने लगे।
पन्ना –
नागराज वासुकी उस दैत्य के पितरों को लेकर आकाश पथ से जा रहे थे कि मार्ग में गरूड़ ने हमला बोल दिया। विवश हो उन्हें तुरूष्क की कलियों की सुरभि से व्याप्त माणिक्य गिरि की उपत्यका में उसे डाल देना पड़ा। वहां पन्ना की खदानें हो गईं।
लहसुनिया – सिंहल रमणियों के करपल्लव के अग्रभाग की तरह विस्तार पाने वाली सागर की तटवर्ती भूमि पर असुर के नीलनयन गिर गए। उनसे इंद्रनील मणि की उत्पत्ति हुई और मरने के समय असुर की घनघोर गर्जना से गई रंगों के वैदुर्य (लहसुनिया) उत्पन्न हुए।
पुखराज – चर्म के हिमालय पर गिर जाने से पुखराज की उत्पत्ति हुई और नाखूनों के कमलधन में पड़ जाने से कर्केत (वैक्रांत) का जन्म हुआ।
गोमेद – राक्षस के वीर्य, जो ह‍मि पर्वत के उत्तर भाग में गिरा था, से गोमेद उत्पन्न हुआ और उत्तरावर्त की जिन नदियों और प्रदेशों में अन्य अंग के अंश गिरते गए, वहां गुंजा, सुरमा, मधु, कमलनाल, वर्ण के गंधर्व, अग्नि तता केले की तरह वर्ण वाले, दीप्तिमय, पुलक, प्रकाश मान कई रत्न बन गए।
मूंगा – अग्नि ने असुर के रूप को नर्मदा में ले जाकर डाल दिया था इसलिए उसमें रुधिराक्ष (अकील) रत्न बनने लगे तथा आंतों से प्रवाल विद्रुम (मूंगे) की उत्पत्ति हुई।
स्फटि‍क – उसी असुर की चर्बी जहां-जहां कावेरी, विंध्य, पवन, चीन नेपाल आदि देशों में पहुंची वहां स्फटिक आदि की खदानें बनीं।
इस प्रकार पुराण के ‘असुर-अंग’ को हम अलग भी कर दें, तब भी उसके अंग-निर्दोष की भूमि जलाशय आदि का जो संकेत हमें मिलता है, वह उन रत्नों की जन्मभूमि के परिज्ञान-पर्यवेक्षण के लिए पर्याप्त हो सकता है। अंगों के रूप-लक्षण प्रकृति साम्य पर भी परिक्षीलन करने वाले प्रवीण पुरुषों को कोई तथ्य प्राप्त हो जाए तो विस्मय का कारण नहीं।
पौराणिक कथा के रूप में यह मान लेने की आवश्यकता नहीं कि वह मानव (असुर) अंग के द्वारा ही पदार्थोत्पादन-सूचना है। किंतु सूक्ष्म दृष्टि से विचार किया जाए तो जिन-जिन रत्नों की उत्पत्ति जिन-जिन अंगों से सूचित की है उन रत्नों को प्रकृति साधर्म्य के लिए तथा उसके उन-उन अंगों के उपयोग के औचित्य की पुष्टि से भी वस्तुस्थिति पर प्रकाश पड़ता है।
पुराण न तो विज्ञान के ग्रंथ हैं, न उपचार के। वे ऐतिहासिक तथ्यों के आध्यात्मिक एवं सामाजिक भावनाओं के कथा-रूप में सुंदर हृदयग्राही चि‍त्र हैं जिनसे सर्वसाधारण को अनुप्रेरणा मिलती है। उनमें समस्त ज्ञान, व्यापक रूप से विभिन्न स्थलों में (अपने विशेष दृष्टिकोण से ही) निहित है।
रत्नों की उत्पत्ति, उपयोगिता तथा गुण-दोषों का विवेचन यद्यपि पुराणों में स्वतंत्र रूप से नहीं है तो भी उनकी अपनी लाक्षणिक वर्णन शैली में वह तथ्य अवश्य उपलब्ध हो सकता है, जो विवेचक के विज्ञान के लिए अपेक्षित है।

रत्नों द्वारा रोग का उपचार,स्वास्थ्य के लिए रत्न,बाये हाथ में रत्न पहनने का फल,किस बीमारी में कौन सा स्टोन पहने,

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अपनी बेटी पर मोहित हो गए थे ब्रह्माजी, मिला था यह श्राप! Aaj Ka Rashifal https://indlives.com/brahma-got-fascinated-daughter-curse-aaj-ka-rashifal/ Tue, 18 Dec 2018 18:54:40 +0000 http://indlives.com/?p=1409 अपनी बेटी पर मोहित हो गए थे ब्रह्माजी, मिला था यह श्राप! Aaj Ka Rashifal Aaj Ka Rashifal आप सभी को बता दें कि हिंदू ग्रंथों और पुराणों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश को सृष्टि का निर्माता, पालनकर्ता और संहारक माने जाते हैं लेकिन कई लोगों के मन में ये सवाल आता है कि […]

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अपनी बेटी पर मोहित हो गए थे ब्रह्माजी, मिला था यह श्राप! Aaj Ka Rashifal

Aaj Ka Rashifal आप सभी को बता दें कि हिंदू ग्रंथों और पुराणों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश को सृष्टि का निर्माता, पालनकर्ता और संहारक माने जाते हैं लेकिन कई लोगों के मन में ये सवाल आता है कि विष्णु और महेश (शिव जी) के तो दुनियाभर में कई मंदिर हैं वहीं लोग घर में भी इनकी स्थापना कर इनकी पूजा करते हैं लेकिन ब्रह्मा की पूजा कभी नहीं की जाती आखिर क्यों..?Aaj Ka Rashifal

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Aaj Ka Rashifal
आप सभी को बता दें कि उनका केवल एक ही मंदिर है, जो पुष्कर में है. इसी के साथ आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर क्यों उनकी पूजा नहीं की जाती है. जी दरअसल इससे एक कहानी जुडी हुई है जो इस प्रकार है. क्या है कहानी..? कहानी की मानें तो सरस्वती जी ब्रह्मा जी की बेटी थीं और ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के बाद सरस्वती जी को अपने तेज से उत्पन्न किया था इस वजह से कहते हैं कि सरस्वती जी की कोई मां नहीं थी. वहीं सरस्वती जी को विद्या की देवी कहा जाता है और कहानी के अनुसार सरस्वती माता बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक थीं इस कारण स्वयं ब्रम्हा जी उनकी ओर आकर्षित हो गए और उनके मन में सरस्वती माता से विवाह करने का विचार आ गया था. उनकी इस इच्छा को सरस्वती माता जान गई थीं और वो अपने पिता से विवाह नहीं करना चाहती थीं.

ऐसे में वह ब्रम्हा जी की नजरों से बचने का प्रयास करने लगीं लेकिन उनके ये सभी प्रयास असफल रहे और वह उनकी नजरों में रहीं. काफी प्रयासों के असफल होने के बाद अंत में सरस्वती जी को ब्रह्मा से विवाह करना पड़ा. वहीं ऐसा कहते हैं कि इससे देवलोक में उनकी बहुत आलोचना हुई और यही कारण है कि ब्रह्मा जी की पूजा नहीं की जाती. इसी के साथ सरस्वती पुराण में बताया गया है कि ब्रम्हा और सरस्वती ने 100 साल तक जंगल में पति-पत्नी के रूप में बिताया और इसी बीच ब्रम्हा और सरस्वती में प्रेम बना रहा और इन दोनों का एक पुत्र भी हुआ.

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मार्गशीर्ष मास में जरूर करें यह पाठ, Margashirsha Month, Aaj Ka Rashifal https://indlives.com/margashirsha-month-aaj-ka-rashifal/ Tue, 18 Dec 2018 18:48:37 +0000 http://indlives.com/?p=1406

मार्गशीर्ष मास में जरूर करें यह पाठ, Margashirsha Month, Aaj Ka Rashifal Margashirsha Month, Aaj Ka Rashifal आप सभी को बता दें कि अगहन यानी मार्गशीर्ष मास को भगवान श्री कृष्ण का महीना माना गया है और पुरानी और प्रचलित कथाओं और शास्त्रों के अनुसार इस महीने में गजेन्द्र मोक्ष, विष्णु सहस्त्रनाम तथा भगवद्‍गीता का […]

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मार्गशीर्ष मास में जरूर करें यह पाठ, Margashirsha Month, Aaj Ka Rashifal

Margashirsha Month, Aaj Ka Rashifal आप सभी को बता दें कि अगहन यानी मार्गशीर्ष मास को भगवान श्री कृष्ण का महीना माना गया है और पुरानी और प्रचलित कथाओं और शास्त्रों के अनुसार इस महीने में गजेन्द्र मोक्ष, विष्णु सहस्त्रनाम तथा भगवद्‍गीता का पाठ पढ़ने की बहुत महिमा मानी जाती है. कहते हैं कि इन्हें दिन में 2-3 बार अवश्य पढ़ना चाहिए क्योंकि इससे महालाभ होता है. वहीं इसी के साथ ही इस महीने में ‘श्रीमद्‍भागवत’ ग्रंथ को देखने भर की भी विशेष महिमा मानी जाती है. कहते हैं स्कंद पुराण के अनुसार घर में अगर भागवत हो तो इस मास में दिन में एक बार उसको प्रणाम करना चाहिए. इसी के साथ इस महीने में हफ्ते के किसी भी एक दिन गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र संपूर्ण पाठ करना चाहिए क्योंकि इससे बड़े से बड़े दोष से छुटकारा मिल जाता है और सारे काम सफल हो जाते हैं. तो आज हम बताने जा रहे हैं गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र संपूर्ण पाठ. Margashirsha Month, Aaj Ka Rashifal

दुनिया के सबसे ख़ुशनुमा देश क्या हमारा देश हैं इन में Ajab Gajab

Margashirsha Month, Aaj Ka Rashifal
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
गज और ग्राह लड़त जल भीतर, लड़त-लड़त गज हार्यो।
जौ भर सूंड ही जल ऊपर तब हरिनाम पुकार्यो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।

शबरी के बेर सुदामा के तन्दुल रुचि-रु‍चि-भोग लगायो।
दुर्योधन की मेवा त्यागी साग विदुर घर खायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।

पैठ पाताल काली नाग नाथ्‍यो, फन पर नृत्य करायो।
गिर‍ि गोवर्द्धन कर पर धार्यो नन्द का लाल कहायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
असुर बकासुर मार्यो दावानल पान करायो।
खम्भ फाड़ हिरनाकुश मार्यो नरसिंह नाम धरायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।

अजामिल गज गणिका तारी द्रोपदी चीर बढ़ायो।
पय पान करत पूतना मारी कुब्जा रूप बनायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।

कौर व पाण्डव युद्ध रचायो कौरव मार हटायो।
दुर्योधन का मन घटायो मोहि भरोसा आयो ।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
सब सखियां मिल बन्धन बान्धियो रेशम गांठ बंधायो।
छूटे नाहिं राधा का संग, कैसे गोवर्धन उठायो ।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।

योगी जाको ध्यान धरत हैं ध्यान से भजि आयो।
सूर श्याम तुम्हरे मिलन को यशुदा धेनु चरायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।

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