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आर्थिक लाभ के लिए करें यह उपाय, बरसेगी समृद्धि Dharam, Aaj Ka Rashifal Dharam,  Aaj Ka Rashifal हर इंसान की जिंदगी में धन की जरूरत हमेशा बनी रहती है। वह चाहता है कि उसके जीवन में कभी धन की कमी महसूस न हो। धन के अभाव का उसको सामना न करना पड़े और सुख-समृद्धि के […]

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आर्थिक लाभ के लिए करें यह उपाय, बरसेगी समृद्धि Dharam, Aaj Ka Rashifal

Dharam,  Aaj Ka Rashifal हर इंसान की जिंदगी में धन की जरूरत हमेशा बनी रहती है। वह चाहता है कि उसके जीवन में कभी धन की कमी महसूस न हो। धन के अभाव का उसको सामना न करना पड़े और सुख-समृद्धि के साथ उसका जीवन व्यतीत हो। इसके लिए व्यक्ति हरसंभव उपाय करता है, लेकिन इसके बावजूद कई बार उसको सही राह पर चलने और विधि उपाय करने के बावजूद धन की कमी का सामना करना पड़ता है। हम आपको कुछ ऐसे शास्त्रोक्त उपायों को बता रहे हैं, जिससे आप अपने घर में सात्विक तरीके से अपने धन के अभाव को दूर कर सकते हैं और अपने जीवन में स्थाई सुख-समृद्धि का वास कर सकते हैं। Dharam,  Aaj Ka Rashifal

अपने घर में ऐसे लाएं सुख, शांति और समृद्धि Aaj Ka Rashifal

Dharam,  Aaj Ka Rashifal
1 अकस्मात धन प्राप्ति के लिए महालक्ष्मी मंदिर में लगातार सात शुक्रवार को धूप अगरबत्ती दान करें।

2 अतुल धन प्राप्ति के लिए पुष्प नक्षत्र में रविवार को बहेड़ा के जड़ और पत्ते लाएं और पूजा करने के बाद लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें और रोजाना धूप दीप दिखाकर प्रणाम करें।

3 गुरूवार को तुलसी के पौधे को दूध चढ़ाने से घर में लक्ष्मी का वास रहता है।

4 शुक्रवार को निर्धनों को गुड़-चना और मंगलवार को बंदरों को चना खिलाने से आय के स्त्रोत में वृद्धी होती है।

5 शयनकक्ष में झूठे बर्तन रखने से कारोबार में हानि होती है।

6 ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने से उधार नही रुकता है।

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भगवान विष्णु के 24 अवतार कौन से हैं, जानिए Aaj Ka Rashifal https://indlives.com/know-who-24-incarnations-lord-vishnu-aaj-ka-rashifal/ Thu, 27 Dec 2018 17:59:29 +0000 http://indlives.com/?p=1477

भगवान विष्णु के 24 अवतार कौन से हैं, जानिए Aaj Ka Rashifal Aaj Ka Rashifal  vishnu जब-जब पृथ्वी पर कोई संकट आता है तो भगवान अवतार लेकर उस संकट को दूर करते हैं। भगवान शिव और भगवान विष्णु ने कई बार पृथ्वी पर अवतार लिया है। भगवान विष्णु के 24 वें अवतार के बारे में […]

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भगवान विष्णु के 24 अवतार कौन से हैं, जानिए Aaj Ka Rashifal

Aaj Ka Rashifal  vishnu जब-जब पृथ्वी पर कोई संकट आता है तो भगवान अवतार लेकर उस संकट को दूर करते हैं। भगवान शिव और भगवान विष्णु ने कई बार पृथ्वी पर अवतार लिया है। भगवान विष्णु के 24 वें अवतार के बारे में कहा जाता है कि‘कल्कि अवतार’के रूप में उनका आना सुनिश्चित है।  vishnu

उनके 23 अवतार अब तक पृथ्वी पर अवतरित हो चुके हैं। इन 24 अवतार में से 10 अवतार विष्णु जी के मुख्य अवतार माने जाते हैं। यह है मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार, राम अवतार. कृष्ण अवतार, बुद्ध अवतार, कल्कि अवतार। आइए जानें विस्तार से….

शिव की पूजा करने वाले भोगते हैं यह श्राप shiv puja, aaj ka rashifal

vishnu
1- श्री सनकादि मुनि :
धर्म ग्रंथों के अनुसार सृष्टि के आरंभ में लोक पितामह ब्रह्मा ने अनेक लोकों की रचना करने की इच्छा से घोर तपस्या की। उनके तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने तप अर्थ वाले सन नाम से युक्त होकर सनक, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार नाम के चार मुनियों के रूप में अवतार लिया। ये चारों प्राकट्य काल से ही मोक्ष मार्ग परायण, ध्यान में तल्लीन रहने वाले, नित्यसिद्ध एवं नित्य विरक्त थे। ये भगवान विष्णु के सर्वप्रथम अवतार माने जाते हैं। Aaj Ka Rashifal
2- वराह अवतार :
धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने दूसरा अवतार वराह रूप में लिया था। वराह अवतार से जुड़ी कथा इस प्रकार है- पुरातन समय में दैत्य हिरण्याक्ष ने जब पृथ्वी को ले जाकर समुद्र में छिपा दिया तब ब्रह्मा की नाक से भगवान विष्णु वराह रूप में प्रकट हुए। भगवान विष्णु के इस रूप को देखकर सभी देवताओं व ऋषि-मुनियों ने उनकी स्तुति की। सबके आग्रह पर भगवान वराह ने पृथ्वी को ढूंढना प्रारंभ किया। अपनी थूथनी की सहायता से उन्होंने पृथ्वी का पता लगा लिया और समुद्र के अंदर जाकर अपने दांतों पर रखकर वे पृथ्वी को बाहर ले आए।
जब हिरण्याक्ष दैत्य ने यह देखा तो उसने भगवान विष्णु के वराह रूप को युद्ध के लिए ललकारा। दोनों में भीषण युद्ध हुआ। अंत में भगवान वराह ने हिरण्याक्ष का वध कर दिया। इसके बाद भगवान वराह ने अपने खुरों से जल को स्तंभित कर उस पर पृथ्वी को स्थापित कर दिया।
3- नारद अवतार :
धर्म ग्रंथों के अनुसार देवर्षि नारद भी भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। शास्त्रों के अनुसार नारद मुनि, ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से एक हैं। उन्होंने कठिन तपस्या से देवर्षि पद प्राप्त किया है। वे भगवान विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक माने जाते हैं। देवर्षि नारद धर्म के प्रचार तथा लोक-कल्याण के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहते हैं। शास्त्रों में देवर्षि नारद को भगवान का मन भी कहा गया है। श्रीमद्भागवतगीता के दशम अध्याय के 26वें श्लोक में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इनकी महत्ता को स्वीकार करते हुए कहा है- देवर्षीणाम्चनारद:। अर्थात देवर्षियों में मैं नारद हूं।
4- नर-नारायण :
सृष्टि के आरंभ में भगवान विष्णु ने धर्म की स्थापना के लिए दो रूपों में अवतार लिया। इस अवतार में वे अपने मस्तक पर जटा धारण किए हुए थे। उनके हाथों में हंस, चरणों में चक्र एवं वक्ष:स्थल में श्रीवत्स के चिन्ह थे। उनका संपूर्ण वेष तपस्वियों के समान था। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने नर-नारायण के रूप में यह अवतार लिया था।
5- कपिल मुनि :
भगवान विष्णु ने पांचवा अवतार कपिल मुनि के रूप में लिया। इनके पिता का नाम महर्षि कर्दम व माता का नाम देवहूति था। शरशय्या पर पड़े हुए भीष्म पितामह के शरीर त्याग के समय वेदज्ञ व्यास आदि ऋषियों के साथ भगवा कपिल भी वहां उपस्थित थे। भगवान कपिल के क्रोध से ही राजा सगर के साठ हजार पुत्र भस्म हो गए थे। भगवान कपिल सांख्य दर्शन के प्रवर्तक हैं। कपिल मुनि भागवत धर्म के प्रमुख बारह आचार्यों में से एक हैं। Aaj Ka Rashifal
6- दत्तात्रेय अवतार :
धर्म ग्रंथों के अनुसार दत्तात्रेय भी भगवान विष्णु के अवतार हैं। इनकी उत्पत्ति की कथा इस प्रकार है-
एक बार माता लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती को अपने पातिव्रत्य पर अत्यंत गर्व हो गया। भगवान ने इनका अंहकार नष्ट करने के लिए लीला रची। उसके अनुसार एक दिन नारदजी घूमते-घूमते देवलोक पहुंचे और तीनों देवियों को बारी-बारी जाकर कहा कि ऋषि अत्रि की पत्नी अनुसूइया के सामने आपका सतीत्व कुछ भी नहीं। तीनों देवियों ने यह बात अपने स्वामियों को बताई और उनसे कहा कि वे अनुसूइया के पातिव्रत्य की परीक्षा लें।
तब भगवान शंकर, विष्णु व ब्रह्मा साधु वेश बनाकर अत्रि मुनि के आश्रम आए। महर्षि अत्रि उस समय आश्रम में नहीं थे। तीनों ने देवी अनुसूइया से भिक्षा मांगी मगर यह भी कहा कि आपको निर्वस्त्र होकर हमें भिक्षा देनी होगी। अनुसूइया पहले तो यह सुनकर चौंक गई, लेकिन फिर साधुओं का अपमान न हो इस डर से उन्होंने अपने पति का स्मरण किया और बोला कि यदि मेरा पातिव्रत्य धर्म सत्य है तो ये तीनों साधु छ:-छ: मास के शिशु हो जाएं।
ऐसा बोलते ही त्रिदेव शिशु होकर रोने लगे। तब अनुसूइया ने माता बनकर उन्हें गोद में लेकर स्तनपान कराया और पालने में झूलाने लगीं। जब तीनों देव अपने स्थान पर नहीं लौटे तो देवियां व्याकुल हो गईं। तब नारद ने वहां आकर सारी बात बताई। तीनों देवियां अनुसूइया के पास आईं और क्षमा मांगी। तब देवी अनुसूइया ने त्रिदेव को अपने पूर्व रूप में कर दिया। प्रसन्न होकर त्रिदेव ने उन्हें वरदान दिया कि हम तीनों अपने अंश से तुम्हारे गर्भ से पुत्र रूप में जन्म लेंगे। तब ब्रह्मा के अंश से चंद्रमा, शंकर के अंश से दुर्वासा और विष्णु के अंश से दत्तात्रेय का जन्म हुआ।
7- यज्ञ :
भगवान विष्णु के सातवें अवतार का नाम यज्ञ है। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान यज्ञ का जन्म स्वायम्भुव मन्वन्तर में हुआ था। स्वायम्भुव मनु की पत्नी शतरूपा के गर्भ से आकूति का जन्म हुआ। वे रूचि प्रजापति की पत्नी हुई। इन्हीं आकूति के यहां भगवान विष्णु यज्ञ नाम से अवतरित हुए। भगवान यज्ञ के उनकी धर्मपत्नी दक्षिणा से अत्यंत तेजस्वी बारह पुत्र उत्पन्न हुए। वे ही स्वायम्भुव मन्वन्तर में याम नामक बारह देवता कहलाए।
8- भगवान ऋषभदेव :
भगवान विष्णु ने ऋषभदेव के रूप में आठवांं अवतार लिया। धर्म ग्रंथों के अनुसार महाराज नाभि की कोई संतान नहीं थी। इस कारण उन्होंने अपनी धर्मपत्नी मेरुदेवी के साथ पुत्र की कामना से यज्ञ किया। यज्ञ से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु स्वयं प्रकट हुए और उन्होंने महाराज नाभि को वरदान दिया कि मैं ही तुम्हारे यहां पुत्र रूप में जन्म लूंगा।
वरदान स्वरूप कुछ समय बाद भगवान विष्णु महाराज नाभि के यहां पुत्र रूप में जन्मे। पुत्र के अत्यंत सुंदर सुगठित शरीर, कीर्ति, तेल, बल, ऐश्वर्य, यश, पराक्रम और शूरवीरता आदि गुणों को देखकर महाराज नाभि ने उसका नाम ऋषभ (श्रेष्ठ) रखा।
9- आदिराज पृथु :
भगवान विष्णु के एक अवतार का नाम आदिराज पृथु है। धर्म ग्रंथों के अनुसार स्वायम्भुव मनु के वंश में अंग नामक प्रजापति का विवाह मृत्यु की मानसिक पुत्री सुनीथा के साथ हुआ। उनके यहां वेन नामक पुत्र हुआ। उसने भगवान को मानने से इंकार कर दिया और स्वयं की पूजा करने के लिए कहा।
तब महर्षियों ने मंत्र पूत कुशों से उसका वध कर दिया। तब महर्षियों ने पुत्रहीन राजा वेन की भुजाओं का मंथन किया, जिससे पृथु नाम पुत्र उत्पन्न हुआ। पृथु के दाहिने हाथ में चक्र और चरणों में कमल का चिह्न देखकर ऋषियों ने बताया कि पृथु के वेष में स्वयं श्रीहरि का अंश अवतरित हुआ है। Aaj Ka Rashifal
10- मत्स्य अवतार :
पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने सृष्टि को प्रलय से बचाने के लिए मत्स्यावतार लिया था। इसकी कथा इस प्रकार है- कृतयुग के आदि में राजा सत्यव्रत हुए। राजा सत्यव्रत एक दिन नदी में स्नान कर जलांजलि दे रहे थे। अचानक उनकी अंजलि में एक छोटी सी मछली आई। उन्होंने देखा तो सोचा वापस सागर में डाल दूं, लेकिन उस मछली ने बोला- आप मुझे सागर में मत डालिए अन्यथा बड़ी मछलियां मुझे खा जाएंगी। तब राजा सत्यव्रत ने मछली को अपने कमंडल में रख लिया। मछली और बड़ी हो गई तो राजा ने उसे अपने सरोवर में रखा, तब देखते ही देखते मछली और बड़ी हो गई। Aaj Ka Rashifal
राजा को समझ आ गया कि यह कोई साधारण जीव नहीं है। राजा ने मछली से वास्तविक स्वरूप में आने की प्रार्थना की। राजा की प्रार्थना सुन साक्षात चारभुजाधारी भगवान विष्णु प्रकट हो गए और उन्होंने कहा कि ये मेरा मत्स्यावतार है। भगवान ने सत्यव्रत से कहा- सुनो राजा सत्यव्रत! आज से सात दिन बाद प्रलय होगी। तब मेरी प्रेरणा से एक विशाल नाव तुम्हारे पास आएगी। तुम सप्त ऋषियों, औषधियों, बीजों व प्राणियों के सूक्ष्म शरीर को लेकर उसमें बैठ जाना, जब तुम्हारी नाव डगमगाने लगेगी, तब मैं मत्स्य के रूप में तुम्हारे पास आऊंगा।
उस समय तुम वासुकि नाग के द्वारा उस नाव को मेरे सींग से बांध देना। उस समय प्रश्न पूछने पर मैं तुम्हें उत्तर दूंगा, जिससे मेरी महिमा जो परब्रह्म नाम से विख्यात है, तुम्हारे ह्रदय में प्रकट हो जाएगी। तब समय आने पर मत्स्यरूपधारी भगवान विष्णु ने राजा सत्यव्रत को तत्वज्ञान का उपदेश दिया, जो मत्स्यपुराण नाम से प्रसिद्ध है। Aaj Ka Rashifal

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अपनी बेटी पर मोहित हो गए थे ब्रह्माजी, मिला था यह श्राप! Aaj Ka Rashifal https://indlives.com/brahma-got-fascinated-daughter-curse-aaj-ka-rashifal/ Tue, 18 Dec 2018 18:54:40 +0000 http://indlives.com/?p=1409 अपनी बेटी पर मोहित हो गए थे ब्रह्माजी, मिला था यह श्राप! Aaj Ka Rashifal Aaj Ka Rashifal आप सभी को बता दें कि हिंदू ग्रंथों और पुराणों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश को सृष्टि का निर्माता, पालनकर्ता और संहारक माने जाते हैं लेकिन कई लोगों के मन में ये सवाल आता है कि […]

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अपनी बेटी पर मोहित हो गए थे ब्रह्माजी, मिला था यह श्राप! Aaj Ka Rashifal

Aaj Ka Rashifal आप सभी को बता दें कि हिंदू ग्रंथों और पुराणों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश को सृष्टि का निर्माता, पालनकर्ता और संहारक माने जाते हैं लेकिन कई लोगों के मन में ये सवाल आता है कि विष्णु और महेश (शिव जी) के तो दुनियाभर में कई मंदिर हैं वहीं लोग घर में भी इनकी स्थापना कर इनकी पूजा करते हैं लेकिन ब्रह्मा की पूजा कभी नहीं की जाती आखिर क्यों..?Aaj Ka Rashifal

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Aaj Ka Rashifal
आप सभी को बता दें कि उनका केवल एक ही मंदिर है, जो पुष्कर में है. इसी के साथ आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर क्यों उनकी पूजा नहीं की जाती है. जी दरअसल इससे एक कहानी जुडी हुई है जो इस प्रकार है. क्या है कहानी..? कहानी की मानें तो सरस्वती जी ब्रह्मा जी की बेटी थीं और ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के बाद सरस्वती जी को अपने तेज से उत्पन्न किया था इस वजह से कहते हैं कि सरस्वती जी की कोई मां नहीं थी. वहीं सरस्वती जी को विद्या की देवी कहा जाता है और कहानी के अनुसार सरस्वती माता बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक थीं इस कारण स्वयं ब्रम्हा जी उनकी ओर आकर्षित हो गए और उनके मन में सरस्वती माता से विवाह करने का विचार आ गया था. उनकी इस इच्छा को सरस्वती माता जान गई थीं और वो अपने पिता से विवाह नहीं करना चाहती थीं.

ऐसे में वह ब्रम्हा जी की नजरों से बचने का प्रयास करने लगीं लेकिन उनके ये सभी प्रयास असफल रहे और वह उनकी नजरों में रहीं. काफी प्रयासों के असफल होने के बाद अंत में सरस्वती जी को ब्रह्मा से विवाह करना पड़ा. वहीं ऐसा कहते हैं कि इससे देवलोक में उनकी बहुत आलोचना हुई और यही कारण है कि ब्रह्मा जी की पूजा नहीं की जाती. इसी के साथ सरस्वती पुराण में बताया गया है कि ब्रम्हा और सरस्वती ने 100 साल तक जंगल में पति-पत्नी के रूप में बिताया और इसी बीच ब्रम्हा और सरस्वती में प्रेम बना रहा और इन दोनों का एक पुत्र भी हुआ.

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श्री राधा के इन 32 नामों का जाप Aaj Ka Rashifal, Shree Radha https://indlives.com/chanting-of-these-32-names-of-shri-radha-aaj-ka-rashifal-shri-radha/ Mon, 10 Dec 2018 17:26:26 +0000 http://indlives.com/?p=1324

श्री राधा के इन 32 नामों का जाप Aaj Ka Rashifal, Shree Radha कहते हैं कृष्ण और राधा का प्रेम सबसे अनोखा है और उनके प्रेम को आज भी दुनिया में सबसे ऊपर रखा जाता है.  से में आप सभी जानते ही हैं कि राधा का ही एक मात्र ऐसा नाम है, जो कृष्ण के पहले […]

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श्री राधा के इन 32 नामों का जाप Aaj Ka Rashifal, Shree Radha

कहते हैं कृष्ण और राधा का प्रेम सबसे अनोखा है और उनके प्रेम को आज भी दुनिया में सबसे ऊपर रखा जाता है.  से में आप सभी जानते ही हैं कि राधा का ही एक मात्र ऐसा नाम है, जो कृष्ण के पहले लिया जाता है. कहते हैं कि राधाकृष्ण यह दो नामों का संगम है जिनकी आत्मा एक ही है. वहीं राधा और कृष्ण की एक ही शक्ति है जो उनसे अलग नहीं की जा सकती है. आप सभी को बता दें कि स्वयं श्री कृष्ण राधा के नाम को लेकर अपने जीवन को सफल बनाते रहे हैं तो ऐसे में आज हम भी आपके जीवन को सफल बनाने के लिए राधा के 32 नाम आपको बताने जा रहे हैं जिनके निरंतर जाप से आप आपके जीवन में सफल हो सकते हैं और सब कुछ हांसिल कर सकते हैं और सबसे पहले अपने प्रेम को पा सकते हैं. आइए जानते हैं वह नाम.

राधा के 32 नाम

1 मृदुल भाषिणी

2 सौंदर्य राषिणी
3 : परम् पुनीता

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4 : नित्य नवनीता

5 : रास विलासिनी

6 : दिव्य सुवासिनी

7 : नवल किशोरी

8 : अति ही भोरी

9 : कंचनवर्णी

10 : नित्य सुखकरणी

11 : सुभग भामिनी

12 : जगत स्वामिनी

13 : कृष्ण आनन्दिनी

14 : आनंद कन्दिनी
15 : प्रेम मूर्ति

16 : रस आपूर्ति

17 : नवल ब्रजेश्वरी

18: नित्य रासेश्वरी

19 : कोमल अंगिनी

20 : कृष्ण संगिनी

21 : कृपा वर्षिणी

22: परम् हर्षिणी

23 : सिंधु स्वरूपा

24 : परम् अनूपा

25 : परम् हितकारी

26 : कृष्ण सुखकारी

27 : निकुंज स्वामिनी

28 : नवल भामिनी
29 : रास रासेश्वरी

30 : स्वयं परमेश्वरी

31: सकल गुणीता

32 : रसिकिनी पुनीता

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हनुमानजी को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय Aaj ka Rashifal, How to please Hanumanji https://indlives.com/how-to-please-hanumanji-aaj-ka-rashifal/ Sun, 09 Dec 2018 15:02:57 +0000 http://indlives.com/?p=1270

हनुमानजी को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय, Aaj ka Rashifal,हनुमानजी को प्रसन्न कैसे करें, How to please Hanumanji Aaj ka Rashifal धर्म ग्रंथों के अनुसार, हनुमानजी को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय हनुमान चालीसा का पाठ करना है। जो व्यक्ति रोज हनुमान चालीसा का पाठ करना है, उसकी इच्छा शक्ति भी बहुत मजबूत होती […]

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हनुमानजी को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय, Aaj ka Rashifal,हनुमानजी को प्रसन्न कैसे करें, How to please Hanumanji

Aaj ka Rashifal धर्म ग्रंथों के अनुसार, हनुमानजी को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय हनुमान चालीसा का पाठ करना है। जो व्यक्ति रोज हनुमान चालीसा का पाठ करना है, उसकी इच्छा शक्ति भी बहुत मजबूत होती है। Aaj ka Rashifal

How to please Hanumanji

जाने क्यों नही ब्रह्मा जी की पूजा होती Aaj Ka Rashifal

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, हनुमान चालीसा का पाठ करने की विधि बहुत आसान है, लेकिन कुछ लोग जानकारी के अभाव में कुछ गलतियां करते हैं। जानिए हनुमान चालीसा का पाठ करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए…

कुछ लोग नहाने के तुरंत बाद सिर्फ टॉवेल लपेटकर और भीगे शरीर से ही हनुमान चालीसा का पाठ करने बैठ जाते हैं। ये गलत तरीका है। जबकि सुबह स्नान आदि करने के बाद लाल धोती पहनकर हनुमानजी के चित्र या मूर्ति के सामने बैठकर नियमपूर्वक हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

2. कई बार लोग अस्वच्छ अवस्था (गंदे कपड़ों और रजस्वला स्त्री के स्पर्श के बाद) में ही हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। ऐसी गलतियां करने से बचना चाहिए।

3. हनुमान चालीसा का पाठ करते समय बैठने के लिए ऊनी या कुशा के आसन का उपयोग करना चाहिए। अन्य आसन का उपयोग करने से पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता।

4. हनुमान चालीसा का पाठ करते समय ध्यान सिर्फ ईश्वर भक्ति में ही लगा होना चाहिए। इधर-ऊधर की बातें सोचने से बचना चाहिए।

5. जिस स्थान पर हनुमान चालीसा का पाठ करें, वो जगह ही साफ-स्वच्छ होनी चाहिए। नहीं तो पूजा का पूरा फल नही मिल पाता।

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भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने सभी दु:खों मिट जाते हैं Aaj Ka Rashifal https://indlives.com/all-sadness-disappears-to-see-bhimashankar-jyotirlinga-aaj-ka-rashifal/ Sun, 09 Dec 2018 13:54:20 +0000 http://indlives.com/?p=1250

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने सभी दु:खों मिट जाते हैं Aaj Ka Rashifal Aaj Ka Rashifal महाराष्ट्र के पूणे से लगभग 110 किमी दूर सहाद्रि नामक पर्वत पर स्थित है . Aaj Ka Rashifal भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग। 12 प्रमुख ज्योतिर्लिगों में भीमाशंकर का स्थान छठा है। यह ज्योतिर्लिंग मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता […]

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भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने सभी दु:खों मिट जाते हैं Aaj Ka Rashifal

Aaj Ka Rashifal महाराष्ट्र के पूणे से लगभग 110 किमी दूर सहाद्रि नामक पर्वत पर स्थित है . Aaj Ka Rashifal भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग। 12 प्रमुख ज्योतिर्लिगों में भीमाशंकर का स्थान छठा है। यह ज्योतिर्लिंग मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। Aaj Ka Rashifal

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शंकर ने कुंभकरण के पुत्र भीमेश्वर का वध किया था।मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से व्यक्ति को समस्त दु:खों से छुटकारा मिल जाता है। यहीं से भीमा नदी भी निकलती है। इस ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कथा इस प्रकार है…कथा

शिव के अवतार थे दुर्वासा मुनि, इन्हीं के कारण करना पड़ा था समुद्र मंथन Aaj Ka Rashifal

भीम राक्षस का वध किया था भगवान शिव नेशिवपुराण के अनुसार, पूर्वकाल में भीम नामक एक बलवान राक्षस था। वह रावण के छोटे भाई कुंभकर्ण का पुत्र था। जब उसे पता चला कि उसके पिता की मृत्यु भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम ने की है तो वह बहुत क्रोधित हुआ।– भगवान विष्णु को पीड़ा देने के लिए उसने ब्रह्मा को तप कर प्रसन्न कर लिया। ब्रह्मा से वरदान पाकर वह राक्षस बहुत शक्तिशाली हो गया और उसने इंद्र आदि देवताओं को हरा दिया। इसके बाद उसने पृथ्वी को जीतना आरंभ किया। – यहां कामरूप देश के राजा सुदक्षिण के साथ उसका भयानक युद्ध हुआ।

अंत में भीम ने राजा सुदक्षिण को हराकर कैद कर लिया। राजा सुदक्षिण शिव भक्त था। कैद में रहकर उसने एक पार्थिव शिवलिंग बनाया उसी की पूजा करने लगा। – यह बात जब भीम को पता चला तो वह बहुत क्रोधित हुआ और राजा सुदक्षिण का वध करने के उद्देश्य से वहां पहुंचा। जब भीम ने सुदक्षिण से पूछा कि तुम यह क्या कर रहे हो? तब सुदक्षिण ने बोला कि मैं इस जगत के स्वामी भगवान शंकर का पूजन कर रहा हूं। – भगवान शिव के प्रति राजा सुदक्षिण की भक्ति देखकर भीम ने जैसे ही उस शिवलिंग पर तलवार चलाई, तभी वहां भगवान शिव प्रकट हो गए। प्रकट होकर भगवान शिव ने कहा कि- मैं भीमेश्वर हूं और अपने भक्त की रक्षा के लिए प्रकट हुआ हूं। भगवान शिव व राक्षस भीम के बीच भयंकर युद्ध हुआ।

– अंत में अपनी हुंकार मात्र से भगवान शिव ने भीम तथा अन्य राक्षसों को भस्म कर दिया। तब देवताओं व ऋषि-मुनियों ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि आप इस स्थान पर सदा के लिए निवास करें। इस प्रकार सभी की प्रार्थना सुनकर भगवान शिव उस स्थान पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थिर हो गए।

कब जाएं?यदि आपको भीमाशंकर मंदिर की यात्रा करनी है तो अगस्त और फरवरी महीने के बीच जाएं। वैसे आप ग्रीष्म ऋतु को छोड़कर किसी भी समय यहां आ-जा सकते हैं।

कहां रुकें?यहां आने वाले श्रद्धालु कम से कम तीन दिन जरूर रुकते हैं। यहां श्रद्धालुओं के लिए रुकने के लिए हर तरह की व्यवस्था की गई है। भीमशंकर से कुछ ही दूरी पर शिनोली और घोडग़ांव है, जहां आपको हर तरह की सुविधा मिलेगी।

कैसे पहुंचे?बस सुविधा- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर तक पहुंचने के लिए पुणे से बस सुविधा व टैक्सी आसानी से मिल जाती है। पुणे से एमआरटीसी की सरकारी बसें रोजाना सुबह 5 बजे से शाम 4 बजे तक चलती हैं, जिसे पकड़कर आप आसानी से भीमशंकर मंदिर तक पहुंच सकते हैं। महाशिवरात्रि या प्रत्येक माह में आने वाली शिवरात्रि को यहां पहुंचने के लिए विशेष बसों का प्रबन्ध भी किया जाता है।रेल सुविधा- मंदिर के सबसे पास का रेलवे स्टेशन पुणे है। पुणे से भीमाशंकर के लिए बस व टैक्सियां उपलब्ध है।

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शिव के अवतार थे दुर्वासा मुनि, इन्हीं के कारण करना पड़ा था समुद्र मंथन Aaj Ka Rashifal https://indlives.com/incarnations-of-shiva-were-durvasa-muni/ Sat, 08 Dec 2018 18:27:07 +0000 http://indlives.com/?p=1207

शिव के अवतार थे दुर्वासा मुनि, इन्हीं के कारण करना पड़ा था समुद्र मंथन Aaj Ka Rashifal Aaj Ka Rashifal भगवान शिव ने भी जनकल्याण के लिए अनेक अवतार लिए हैं। शिवपुराण के अनुसार, दुर्वासा मुनि भी शिवजी के ही अवतार थे। दुर्वासा मुनि बहुत ही क्रोधी थे। उन्होंने देवराज इंद्र को श्राप दिया, जिसके […]

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शिव के अवतार थे दुर्वासा मुनि, इन्हीं के कारण करना पड़ा था समुद्र मंथन Aaj Ka Rashifal

Aaj Ka Rashifal भगवान शिव ने भी जनकल्याण के लिए अनेक अवतार लिए हैं। शिवपुराण के अनुसार, दुर्वासा मुनि भी शिवजी के ही अवतार थे। दुर्वासा मुनि बहुत ही क्रोधी थे। उन्होंने देवराज इंद्र को श्राप दिया, जिसके कारण समुद्र मंथन करना पड़ा। इसके अलावा श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण की मृत्यु के कारण भी दुर्वासा ऋषि ही थे। आगे जानिए दुर्वासा ऋषि से जुड़े खास प्रसंग…

इस कारण त्यागे थे लक्ष्मण ने प्राण
– वाल्मीकि रामायण के अनुसार, एक दिन काल तपस्वी के रूप में अयोध्या आया। काल ने श्रीराम से कहा कि- यदि कोई हमें बात करता हुआ देखे तो आपको उसका वध करना होगा। – श्रीराम ने काल को वचन दे दिया और लक्ष्मण को पहरे पर खड़ा कर दिया। तभी वहां महर्षि दुर्वासा आ गए। वे भी श्रीराम से मिलना चाहते थे।

हिंदू धर्म में यूं ही नहीं लगाते तिलक, Aaj ka rashifal, kundali

– लक्ष्मण के बार-बार मना करने पर वे क्रोधित हो गए और बोलें कि- अगर इसी समय तुमने जाकर श्रीराम को मेरे आने के बारे में नहीं बताया तो मैं तुम्हारे पूरे राज्य को श्राप दे दूंगा। – प्रजा का नाश न हो ये सोचकर लक्ष्मण ने श्रीराम को जाकर पूरी बात बता दी।जब श्रीराम ने ये बात महर्षि वशिष्ठ को बताई तो उन्होंने कहा कि- आप लक्ष्मण का त्याग कर दीजिए।

– साधु पुरुष का त्याग व वध एक ही समान है। श्रीराम ने ऐसा ही किया। श्रीराम द्वारा त्यागे जाने से दुखी होकर लक्ष्मण सीधे सरयू नदी के तट पर पहुंचे और योग क्रिया द्वारा अपना शरीर त्याग दिया।

इंद्र को दिया था श्राप
– ग्रंथों के अनुसार, एक बार ऋषि दुर्वासा ने देवराज इंद्र को पारिजात फूलों की माला भेंट की, लेकिन इंद्र ने अभिमान में उस माला को अपने हाथी ऐरावत को पहना दिया।

– ऐरावत ने उस माला को अपनी सूंड में लपेटकर फेंक दिया। अपने उपहार की ये दुर्दशा देखकर ऋषि दुर्वासा बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने इंद्र सहित पूरे स्वर्ग को श्रीहीन होने का श्राप दे दिया।

– तब सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए। भगवान विष्णु ने देवताओं से कहा कि तुम सभी दैत्यों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करो। इससे स्वर्ग में फिर से धन-संपत्ति के पूर्ण हो जाएगा। साथ ही अन्य अमृत भी मिलेगा। देवताओं ने ऐसा ही किया।

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जाने क्यों नही ब्रह्मा जी की पूजा होती Aaj Ka Rashifal https://indlives.com/why-not-worship-brahma-ji/ Sat, 08 Dec 2018 18:14:56 +0000 http://indlives.com/?p=1203

Why not worship Brahma ji जाने क्यों ब्रह्मा जी की पूजा नही होती Aaj Ka Rashifal Aaj Ka Rashifal  हिंदू ग्रंथों और पुराणों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश को सृष्टि का निर्माता, पालनकर्ता और संहारक माना जाता हैं। Aaj Ka Rashifal लेकिन आप के मन में ये सवाल कई बार आता होगा कि विष्णु […]

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Why not worship Brahma ji जाने क्यों ब्रह्मा जी की पूजा नही होती Aaj Ka Rashifal

Aaj Ka Rashifal  हिंदू ग्रंथों और पुराणों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश को सृष्टि का निर्माता, पालनकर्ता और संहारक माना जाता हैं। Aaj Ka Rashifal लेकिन आप के मन में ये सवाल कई बार आता होगा कि विष्णु और महेश (शिव जी) के तो दुनियाभर में कई मंदिर हैं और लोग घर में भी इनकी स्थापना कर इनकी पूजा करते हैं। लेकिन ब्रह्मा की पूजा कभी नहीं की जाती। और उनका केवल एक ही मंदिर है, जो पुष्कर में है। इसका एक प्रसंग ब्रम्हा जी और सरस्वती के विवाह से जुड़ा हुआ है। इस प्रसंग का उल्लेख सरस्वती पुराण में किया गया है। Aaj Ka Rashifal

प्रसंग के अनुसार
क्या है प्रसंग?प्रसंग के अनुसार सरस्वती जी ब्रह्मा जी की बेटी थीं। ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के बाद सरस्वती जी को अपने तेज से उत्पन्न किया था। इसीलिए यह कहा जाता है कि सरस्वती जी की कोई मां नहीं थी। सरस्वती जी को विद्या की देवी कहा जाता है। प्रसंग के अनुसार सरस्वती मरता बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक थीं इस कारण स्वयं ब्रम्हा जी भी उनकी ओर आकर्षित हो गए और उनके मन में सरस्वती माता से विवाह करने का विचार आ गया।
सरस्वती जी जान गई थीं ब्रम्हा जी की इच्छासरस्वती माता ब्रम्हा जी की इच्छा को जान गई थीं। वो अपने पिता से विवाह नहीं करना चाहती थीं। वह ब्रम्हा जी की नजरों से बचने का प्रयास करने लगीं। लेकिन उनके ये सभी प्रयास असफल रहे। अंत में सरस्वती जी को ब्रह्मा से विवाह करना पड़ा। ऐसा माना जाता है कि इसकी देवलोक में बहुत आलोचना हुई और यही कारण है कि ब्रह्मा जी की पूजा नहीं की जाती।
100 सालों तक किया जंगलों में निवाससरस्वती पुराण में कहा गया है कि ब्रम्हा और सरस्वती ने 100 साल तक जंगल में पति-पत्नी के रूप में बिताया। इस दौरान ब्रम्हा और सरस्वती में प्रेम बना रहा। इन दोनों का एक पुत्र भी हुआ। इस पुत्र को स्वयंभू मनु के नाम से जाना गया। बता दें कि ब्रम्हा और सरस्वती के विवाह को लेकर कुछ और भी प्रसंग प्रचलित हैं। लोग अन्य प्रसंगों को भी कहते-सुनते रहते हैं। साथ ही अलग-अलग प्रसंगों की सत्यता को लेकर अलग-अलग दावे भी हैं।

शिवरात्रि की धूम के लिए मशहूर हैं ये जगहें Aaj ka Rashifal

इनके अमर होने के बारे में एक कथा है कि बचपन में लोमश मुनि को मृत्यु से बड़ा भय लगता था। इससे बचने के लिए उन्होंने भगवान शंकर की घोर तपस्या की। जब भगवान आशुतोष प्रसन्न हुए और उनसे वर मांगने को कहा तो उन्होंने कहा – “देवाधिदेव! यदि आप मुझसे प्रसन्न हैं तो मेरा यह नर तन अजर-अमर कर दीजिऐ क्योंकि मुझे मृत्यु से बड़ा भय लगता है। तब भगवान शंकर ने कहा – “लोमश! यह नहीं हो सकता। इस मृत्युलोक की सारी चीजें नश्वर हैं और आज नहीं तो कल सभी विनाश को प्राप्त होंगी। यह अटूट ईश्वरीय विधान है जिसको कोई भी नहीं बदल सकता। अतः तुम्हारे इस भौतिक शरीर को मैं अजर-अमर नहीं कर सकता किन्तु तुमने मुझे प्रसन्न किया है इसीलिए लम्बी आयु का वरदान माँग लो। तब लोमश ऋषि ने चालाँकि से कहा – “अच्छा! तो मैं यह मांगता हूँ कि एक कल्प के बाद मेरा एक रोम गिरे और इस प्रकार जब मेरे शरीर के सारे के सारे रोम गिर जाऐं तभी मेरी मृत्यु हो।” भगवान शंकर मुस्कुराये और ‘एवमस्तु’ कहकर तुरन्त अंर्त्ध्यान हो गऐ। आरम्भ में तो वे बड़े प्रसन्न हुए किन्तु जल्द ही अपने इस जीवन को जीते-जीते वे थक गए। उन्होंने मृत्यु की कामना भी की किन्तु वो संभव नहीं था क्यूंकि महादेव के वरदान के कारण उनके रोम की संख्या तक कल्प बीतने के बाद ही उनकी मृत्यु संभव थी। अपनी इसी वेदना को ऋषि लोमश श्रीराम के पिता महाराज दशरथ को कहते हैं। एक बार वे अयोध्या पहुँचे और देखा कि महाराज दशरथ अपने किले की मरम्मत करा रहे हैं। तब उन्होंने दशरथ से पूछा – “हे राजन! इतनी सुरक्षा की क्या आवश्यकता? क्या तुम भी चिरकाल तक जीना चाहते हो? अरे अधिक से अधिक तुम कई हजार साल जी लोगे लेकिन यहाँ देखो कि मैं मरना भी चाहूँ तो मर नहीं सकता।” तब उन्होंने दशरथ को महादेव द्वारा दिये गए वरदान की बात बताई और कहा – “हे राजन! आज अगर कोई मुझे मृत्यु दे सके तो मैं उसे अपनी सारी आयु और अपना समस्त पुण्य दे दूँ। लेकिन अभी तो मेरे बाएं पैर के घुटने तक ही रोम झड़े हैं। अभी पता नहीं मुझे और कितना जीना पड़े। मैंने महारुद्र को छलना चाहा और उसी का ये परिणाम है कि उनके ये वरदान भी मेरे लिए श्राप बन गया। इसीलिए हे राजन! ये जान लो कि किसी को भी ईश्वर से अपनी शक्ति के बाहर कुछ माँगना नहीं चाहिए।”बिहार में गया के पास जहानाबाद में लोमश ऋषि की मानव निर्मित गुफा है जिसका निर्माण मौर्य काल में अशोक के शासनकाल में बनाया गया था। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित रेवाल्सर शहर में लोमश ऋषि का मंदिर स्थित है। brahma wife,why lord vishnu is not worshipped,brahma meaning,brahma temple,lord brahma mantra,brahma family tree,how brahma died,lord brahma son,

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शनिदेव के बुरे प्रभाव के कारण अगर काम में आ रही है बाधा तो करें ये उपाय Aaj Ka Rashifal https://indlives.com/how-to-remove-bad-effects-of-shaniaaj-ka-rashifal/ Sat, 08 Dec 2018 18:01:26 +0000 http://indlives.com/?p=1200

शनिदेव के बुरे प्रभाव के कारण अगर काम में आ रही है बाधा तो करें ये उपाय Aaj Ka Rashifal, how to remove bad effects of shani Aaj Ka Rashifal : how to remove bad effects of shaniज्योतिष में कुल नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु बताए गए हैं। […]

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शनिदेव के बुरे प्रभाव के कारण अगर काम में आ रही है बाधा तो करें ये उपाय Aaj Ka Rashifal,

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Aaj Ka Rashifal : how to remove bad effects of shaniज्योतिष में कुल नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु बताए गए हैं। इन नौ ग्रहों में शनिदेव को क्रूर माना जाता है। शनि को प्रसन्न करने के लिए हर शनिवार तेल का दान जरूर करें। ये उपाय मेष से मीन तक, सभी राशि के लोग कर सकते हैं। पूजा-पाठ के साथ ही कुछ और शुभ काम भी करते रहना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति गरीबों की मदद करता है तो उसे शनि की विशेष कृपा मिलती है और हमारी हर बाधा दूर हो सकती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जानिए शनि को किन कामों से प्रसन्न कर सकते हैं…how to remove bad effects of shani

1. समय-समय पर गरीबों को काले तिल और तेल का दान करना चाहिए। काले चने, काली उड़द, काले कपड़े का भी दान करना चाहिए।

2. बारिश और धूप से बचने के लिए किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को छाते का दान करें।

3. रोज सुबह-शाम जब भी रोटी बनाएं तो अंतिम रोटी कुत्ते को खिलानी चाहिए।

4. किसी नेत्रहीन की मदद करें। अगर संभव हो सके तो उसकी दवाइयों का खर्च उठाएं।

5. हर शनिवार को शनि के लिए व्रत रखें। किसी भंडारे में अन्न का दान करें।

6. मांसाहार और नशे से दूर रहें। रोज सुबह मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं।

7. हर शनिवार पानी में काले तिल डालकर स्नान करें।

8. किसी सफाईकर्मी को नए कपड़ों का दान करें।

9. कभी भी माता-पिता, किसी गरीब, ब्राह्मण या घर-परिवार के लोगों का दिल न दुखाएं।

10. किसी मंदिर में पीपल का पौधा लगाएं और उसकी देखभाल करें।

व्रत विधि

– ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहा धोकर और साफ कपड़े पहनकर पीपल के वृक्ष पर जल अर्पण करें।

– लोहे से बनी शनि देवता की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं।

– फिर मूर्ति को चावलों से बनाए चौबीस दल के कमल पर स्थापित करें।

– इसके बाद काले तिल, फूल, धूप, काला वस्त्र व तेल आदि से पूजा करें।

– पूजन के दौरान शनि के दस नामों का उच्चारण करें- कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर।

– पूजन के बाद पीपल के वृक्ष के तने पर सूत के धागे से सात परिक्रमा करें।

– इसके बाद शनिदेव का मंत्र पढ़ते हुए प्रार्थना करें…

मंत्र- शनैश्चर नमस्तुभ्यं नमस्ते त्वथ राहवे। केतवेअथ नमस्तुभ्यं सर्वशांतिप्रदो भव॥

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लोमश ऋषि – भगवान शिव का वरदान जिनके लिए श्राप बन गया Aaj Ka Rashifal https://indlives.com/lomash-rishi-lord-shivas-boon-for-whom-curse-became-aaj-ka-rashifal/ Sat, 08 Dec 2018 17:47:28 +0000 http://indlives.com/?p=1197

लोमश ऋषि – भगवान शिव का वरदान जिनके लिए श्राप बन गया Aaj Ka Rashifal aaj ka rashifal लोमश ऋषि परम तपस्वी तथा विद्वान थे। वे बड़े-बड़े रोमों या रोओं वाले थे इसीकारण इनका नाम लोमश पड़ा। सप्त चिरंजीवियों के बारे में तो हम सबने सुना है लेकिन उसके अतिरिक्त भी कुछ ऐसे लोग है […]

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लोमश ऋषि – भगवान शिव का वरदान जिनके लिए श्राप बन गया Aaj Ka Rashifal

aaj ka rashifal लोमश ऋषि परम तपस्वी तथा विद्वान थे। वे बड़े-बड़े रोमों या रोओं वाले थे इसीकारण इनका नाम लोमश पड़ा। सप्त चिरंजीवियों के बारे में तो हम सबने सुना है लेकिन उसके अतिरिक्त भी कुछ ऐसे लोग है जिनके बारे में मान्यता है कि वे अमर हैं। उनमे से एक लोमश ऋषि भी हैं। अमरता का अर्थ यहाँ चिरंजीवी होना नहीं है बल्कि उनकी अत्यधिक लम्बी आयु से है। लोमश ऋषि ने युधिष्ठिर को ज्ञान की गूढ़ बातें बताई थी जिससे वे एक योग्य राजा बने। एक बार लोमश ऋषि भगवत कथा कर रहे थे। उसी भीड़ में बैठा एक व्यक्ति उन्हें बार-बार टोक रहा था। वो कभी एक प्रश्न पूछता तो कभी दूसरा। अंत में इससे क्रोधित होकर लोमश जी ने कहा – “रे मुर्ख! तू क्यों कौवे की तरह काँव-काँव कर रहा है? जा अगले जन्म में तू कौवा ही बन।” उनके इस वचन के कारण उस व्यक्ति को श्राप लग गया किन्तु उसने विनम्रता से उसे स्वीकार कर लिया।

क्रोध शांत होने के पश्चात लोमश ऋषि को अत्यंत खेद हुआ और उस व्यक्ति की विनम्रता देख कर उन्होंने उसे वरदान दिया कि अगले जन्म में वो कौवा जरूर बनेगा लेकिन वो इतना पवित्र होगा कि जहाँ भी वो रहेगा वहाँ कलियुग का प्रभाव नहीं पड़ेगा। ऋषि के श्राप के कारण वो व्यक्ति अगले जन्म में महान “काकभशुण्डि” के रूप में जन्मा। उन्होंने ही गरुड़ को भगवान शिव द्वारा कहा गया रामायण कथा सुनाया जिससे गरुड़ की अज्ञानता जाती रही।

अमर होने के बारे में एक कथा है कि बचपन में लोमश मुनि को मृत्यु से बड़ा भय लगता था। इससे बचने के लिए उन्होंने भगवान शंकर की घोर तपस्या की। जब भगवान आशुतोष प्रसन्न हुए और उनसे वर मांगने को कहा तो उन्होंने कहा – “देवाधिदेव! यदि आप मुझसे प्रसन्न हैं तो मेरा यह नर तन अजर-अमर कर दीजिऐ क्योंकि मुझे मृत्यु से बड़ा भय लगता है। तब भगवान शंकर ने कहा – “लोमश! यह नहीं हो सकता। इस मृत्युलोक की सारी चीजें नश्वर हैं और आज नहीं तो कल सभी विनाश को प्राप्त होंगी। यह अटूट ईश्वरीय विधान है जिसको कोई भी नहीं बदल सकता। अतः तुम्हारे इस भौतिक शरीर को मैं अजर-अमर नहीं कर सकता किन्तु तुमने मुझे प्रसन्न किया है इसीलिए लम्बी आयु का वरदान माँग लो। तब लोमश ऋषि ने चालाँकि से कहा – “अच्छा! तो मैं यह मांगता हूँ कि एक कल्प के बाद मेरा एक रोम गिरे और इस प्रकार जब मेरे शरीर के सारे के सारे रोम गिर जाऐं तभी मेरी मृत्यु हो।

सूर्य पहला राजयोग, कैसे मिलेगा फल, aaj ka Rashifal kundali

” भगवान शंकर मुस्कुराये और ‘एवमस्तु’ कहकर तुरन्त अंर्त्ध्यान हो गऐ। आरम्भ में तो वे बड़े प्रसन्न हुए किन्तु जल्द ही अपने इस जीवन को जीते-जीते वे थक गए। उन्होंने मृत्यु की कामना भी की किन्तु वो संभव नहीं था क्यूंकि महादेव के वरदान के कारण उनके रोम की संख्या तक कल्प बीतने के बाद ही उनकी मृत्यु संभव थी। अपनी इसी वेदना को ऋषि लोमश श्रीराम के पिता महाराज दशरथ को कहते हैं। एक बार वे अयोध्या पहुँचे और देखा कि महाराज दशरथ अपने किले की मरम्मत करा रहे हैं।

तब उन्होंने दशरथ से पूछा – “हे राजन! इतनी सुरक्षा की क्या आवश्यकता? क्या तुम भी चिरकाल तक जीना चाहते हो? अरे अधिक से अधिक तुम कई हजार साल जी लोगे लेकिन यहाँ देखो कि मैं मरना भी चाहूँ तो मर नहीं सकता।” तब उन्होंने दशरथ को महादेव द्वारा दिये गए वरदान की बात बताई और कहा – “हे राजन! आज अगर कोई मुझे मृत्यु दे सके तो मैं उसे अपनी सारी आयु और अपना समस्त पुण्य दे दूँ। लेकिन अभी तो मेरे बाएं पैर के घुटने तक ही रोम झड़े हैं। अभी पता नहीं मुझे और कितना जीना पड़े। मैंने महारुद्र को छलना चाहा और उसी का ये परिणाम है कि उनके ये वरदान भी मेरे लिए श्राप बन गया। इसीलिए हे राजन! ये जान लो कि किसी को भी ईश्वर से अपनी शक्ति के बाहर कुछ माँगना नहीं चाहिए।”बिहार में गया के पास जहानाबाद में लोमश ऋषि की मानव निर्मित गुफा है जिसका निर्माण मौर्य काल में अशोक के शासनकाल में बनाया गया था। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित रेवाल्सर शहर में लोमश ऋषि का मंदिर स्थित है।

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