holi पर यह मंत्र पढ़ सफलता के सारे दरवाजे खुल जाएंगे success mantra holi

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holi पर यह मंत्र पढ़ सफलता के सारे दरवाजे खुल जाएंगे success mantra holi

success mantra holi  सुख और समृद्धि के लिए पढ़ें होली का शुभ मंत्र – ‍होली पर कई सारे टोटके और मंत्र आजमाए जाते हैं।

success mantra holi  लेकिन सही मायनों में मात्र एक ही मंत्र है जिसके जप से होली पर पूजा की जाती है और इसी शुभ मं‍त्र से सुख, समृद्धि और सफलता के द्वार खोले जा सकते हैं। अहकूटा भयत्रस्तै:कृता त्वं होलि बालिशै: अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम: इस मंत्र का उच्चारण एक माला, तीन माला या फिर पांच माला विषम संख्या के रूप में करना चाहिए।

होलिका दहन, होली पूजा का दिन और मुहूर्त उज्जैन holi special

success mantra holi  दीपावली, शिवरात्रि और नवरात्र की रात के समान ही होलिका दहन की रात को भी महत्व बताया गया है। शास्‍त्रों में इन चार महारा‌त्रियों बहुत ही शुभ बताया गया है। इनमें आप थोड़े ही प्रयत्न से अपने सोए हुए भाग्य को जगा सकते हैं। होली के दिन स्वास्‍थ्य और धन लाभ के लिए जानें वाले कुछ उपायों के बारे में।

आपके परिवार में यदि कोई लंबे समय से बीमार चल रहा है तो इसके‌ लिए होली की रात को सफेद कपड़े में 11 गोमती चक्र, नागकेसर के 21 जोड़े और 11 कोड़ियां बांधकर कपड़े में चंदन का इत्र लगाएं। इस पोटली को रोगी पर सात बार उतारें और फिर किसी शिव मंदिर में अर्पित करें। इससे रोगी ठीक होने लगेगा।

अगर आप आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं तो होली पर चंद्र टोटका करें। होली की रात को चंद्रमा के उदय होने के बाद अपने घर की छत या मुडेर पर चांदी की प्लेट पर कुछ सूखे छुहारे और मखाने रखकर खड़े हो जाएं। शुद्ध देशी घी के दीपक और धूप चंद्रमा को अर्पित करें और दूध से अर्घ्य प्रदान करें। बच्चों को इन मखानों और छुहारों का प्रसाद बांटें। आर्थिक संकट दूर होगा।

होली की राख को घर के चारों ओर और दरवाजे पर छिड़कें। ऐसा करने से घर में नकारात्मक शक्तियों का घर में प्रवेश नहीं होता है। माना जाता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।

ऐसा माना जाता है कि होलिका दहन की रात को अगर घर के सभी सदस्यों को सरसों का उबटन बनाकर पूरे शरीर पर मालिश करें और और फिर जो मैल निकले उसे होलिका में डाल दें, इससे दूसरे के जादू टोने का असर खत्म होता है।

नजर दोष से मुक्ति पाने के लिए गाय के गोबर में जौ, अलसी, कुश मिलाकर छोटा उपला बनाएं और फिर इसे घर के मुख्य दरवाजे पर लटका दें। ऐसा करने से नजर दोष, और टोने-टोटके से घर सुरक्षित रहता है।

होलिका दहन के बाद अगली सुबह यानी धुलैंडी के दिन होलिका की राख को माथे पर लगाएं। इसे लगाने का सही तरीका है बायीं ओर से दायीं ओर तीन रेखा खींचें। माथे पर इस त्रिपुण्ड को लगाने से 27 देवता प्रसन्न होते हैं।

होली पर हुड़दंग तो आम बात है लेक‌िन इस साल होली से पहले ही हुड़दंग मचा हुआ है और लोग एक दूसरे पूछ रहे हैं क‌ि होली कब है। अगर आप भी इस उलझन में हैं क‌ि होली का त्योहार क‌िस द‌िन मनाएं 23 मार्च को या 24 को तो अपनी इस उलझन को दूर कर लीज‌िए और जान‌िए पंचांग के अनुसार होल‌िका दहन और होली का त्योहार मनाना क‌िस द‌िन शुभ है।

सबसे पहले यह जान ली‌ज‌िए क‌ि होली पर दुव‌िधा की स्‍थ‌ित‌ि क्यों बनी। दरअसल होल‌िका दहन प्रदोष व्याप‌िनी पूर्ण‌िमा त‌िथ‌ि में भद्रारह‌ित काल में क‌िया जाता है। इस वर्ष पूर्ण‌िमा त‌िथ‌ि 22 और 23 मार्च दोनों द‌िन है। 22 मार्च को दोपहर 3 बजकर 13 म‌िनट से पूर्ण‌िमा त‌िथ‌ि शुरु हो रही है साथ यह प्रदोष व्याप‌िनी भी है। इसल‌िए बहुत से ज्योत‌िषी कह रहे हैं क‌ि होल‌िका दहन 22 तारीख को क‌िया जाएगा और धुलंडी या रंग-गुलाल का त्योहार 23 तारीख को मनाया जाएगा।

लेक‌िन कई ज्योत‌िषी धर्मस‌िंधु, ब्रह्मवैवर्तपुराण का हवाला देते हुए कह रहे हैं क‌ि 22 मार्च को पूर्ण‌िमा त‌ि‌थ‌ि है लेक‌िन यह भद्रा व्यप्त भी है। 23 मार्च को पूर्ण‌िमा प्रदोष व्याप‌िनी नहीं और 3 बजकर 15 म‌िनट पर खत्म भी हो रही है। लेक‌िन तीन प्रहर से अध‌िक समय रहने के कारण इस द‌िन होल‌िका दहन करना शास्‍त्रानुकूल उच‌ित है।

धर्मस‌िंधु और में बताया गया है क‌ि यद‌ि पूर्ण‌िमा दोनों द‌िन प्रदोषव्याप‌िनी हो तब दूसरे द‌िन होल‌िका दहन करना चाह‌िए क्योंक‌ि पहले द‌िन भद्रा का दोष रहता है। साथ ही यह भी बताया गया है क‌‌ि य‌द‌ि दूसरे द‌िन पूर्ण‌िमा सूर्योदय से साढ़े तीन प्रहर तक या उससे भी अध‌िक समय तक हो और प्रत‌िपदा बढ़ गई हो तब प्रदोष व्याप‌िनी प्रत‌िपदा में ही होल‌िका दहन क‌िया जाना चाह‌िए। और इस वर्ष होल‌िका दहन को लेकर इसी तरह की स्‍थ‌ित‌ि बनी हुई है। ब्रह्मवैवर्त पुराण और भव‌िष्य पुराण में भी इसी तरह की बात कही गई है।

ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है क‌ि द‌िन के समय होल‌िका दहन नहीं करना चाह‌िए इसल‌िए 23 तारीख को वृद्ध‌िगाम‌िनी प्रत‌िपदा में संध्या काल में 4 बजकर 55 म‌िनट से 5 बजकर 31 म‌िनट तक होल‌िका दहन करना शास्‍त्रानुकूल उच‌ित रहेगा।

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