interview

बोलता हैं इंटरव्यू में तजुर्बा

इंटरव्यू के वक़्त प्रभाव बनाने का सर्वाधिक माध्यम है आपकी ड्रेस, यानि की आपकी पोशाक. पहले की बात और थी कि इंटरव्यू देने की लिए लोग फॉर्मल कपड़ो की खरीदी करते थे.

फॉर्मल कपड़े और इंटरव्यू को तो समान्तर समझा जाता था. पर आज युग बदला है, विचार बदले हैं, और विचारधारा भी बदली है, अब आपके कपड़ों से ज्यादा आपका काम, आपकी रचनात्मक दृष्टी और आपका तजुर्बा बोलता है.

बहुत से कॉर्पोरेट्स हैं जिन्होंने फॉर्मल कपड़ों से नाता तोड़ दिया है. स्टार्ट-अप, एडवरटाइजिंग, आइ.टी आदि, यह सब क्षेत्रों में फॉर्मल कपडे अनिवार्य नहीं रहे. आज जब हमें इंटरव्यू के लिए बुलावा आता है, तब यह अनिवार्य हैं कि हम साफ़-सुथरे हो, दाढ़ी और मुछ को ट्रिम करें आदि. वैसे तो कई जगहों पर दाढ़ी और मुछ काटना भी अनिवार्य नहीं रहा. जब आप इंटरव्यू के लिए जाते हो तब आप से ज्यादा, आपकी पोशाक आपका पहला प्रभाव देती हैं लेकिन अब कॉर्पोरेट कंपनी को अब केवल आपके काम में, और उसके ज़रिये कंपनी को कितना फायदा होगा, उसमे ही दिलचस्पी हैं.

जब आपका बायोडाटा आपके तजुर्बे को बयाँ करता है और आपकी मानसिक उपस्थिति आपकी रचनात्मक दृष्टी को, तो बस आपको और किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं. इंटरव्यू में आप फुल स्लीव्स शर्ट और नीचे जीन्स और जूते भी पहनकर जा सकते हो, कुछ व्यवसायों में तो टी-शर्ट और शॉर्ट्स का भी वर्चस्व बढ़ गया है.

यह केवल बदलते वक़्त को बयाँ करता है जहाँ आपकी काबिलियत आपकी वेशभूषा से नहीं परन्तु आपकी क्षमता से हैं.