श्रावण मास विशेष : कैसे हुआ जन्म और मृत्यु से परे भगवान शिव का अवतरण Dharm Tips

  17 Jul 2020
श्रावण मास विशेष : कैसे हुआ जन्म और मृत्यु से परे भगवान शिव का अवतरण Dharm Tips

श्रावण मास विशेष : कैसे हुआ जन्म और मृत्यु से परे भगवान शिव का अवतरण Dharm Tips

shravan maas vishesh : kaise hua janam aur mrityu se pare bhagavaan shiv ka avataran

shravan maas vishesh : kaise hua janam aur mrityu se pare bhagavaan shiv ka avataran- आखिरकार भगवान शिव में ऐसा क्या है? जो उत्तर में कैलाश से लेकर दक्षिण में रामेश्वरम् तक वे एक जैसे पूजे जाते हैं। उनके व्यक्तित्व में कौन सा चुंबक है जिस कारण समाज के भद्रलोक से लेकर शोषित, वंचित, भिखारी तक उन्हें अपना मानते हैं? वे क्यों सर्वहारा के देवता हैं? शिव का व्यक्तित्व विशाल है। वे काल से परे महाकाल है। सर्वव्यापी हैं, सर्वग्राही हैं। सिर्फ भक्तों के नहीं देवताओं के भी संकटमोचक हैं। इस श्रावण के मौके पर आइए जानते हैं जन्म और मृत्यु से परे भोले भंडारी की उत्पत्ति कैसे हुई? shravan maas vishesh : kaise hua janam aur mrityu se pare bhagavaan shiv ka avataran

shravan maas vishesh : kaise hua janam aur mrityu se pare bhagavaan shiv ka avataran- हमारे शास्त्रों में भगवान शिव को संहारक का दर्जा मिला हुआ है। हर कोई शिव भक्त इस बात को जानना चाहता है कि आखिर भगवान शंकर का जन्म कैसा हुआ और इनके माता-पिता का क्या नाम है। अलग-अलग पुराणों में भगवान शिव के जन्म और उनके माता-पिता के विषय में कई कथाएं प्रचलित हैं। शिव पुराण के मुताबिक भगवान शिव को स्वयंभू माना गया है यानि इनकी उत्पत्ति स्वंय हुई हैं। भोलेनाथ जन्म और मृत्यु से परे हैं।
विष्णु पुराण में भगवान शिव के जन्म के संबंध में एक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार एक बार ब्रह्रमा जी को एक बच्चे की जरुरत थी तब उन्होंने इसके लिए तपस्या की। तभी अचानक उनकी गोद में रोते हुए बालक शिव प्रकट हुए। ब्रह्मा ने बच्चे से रोने का कारण पूछा तो उसने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया कि उसका कोई नाम नहीं है उसका नाम ‘ब्रह्मा’ भी नहीं है इसलिए वह रो रहा है। तब ब्रह्मा ने शिव का नाम रूद्र रखा जिसका अर्थ होता है रोने वाला।

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shravan maas vishesh : kaise hua janam aur mrityu se pare bhagavaan shiv ka avataran- शिव के ब्रह्मा पुत्र के रूप में जन्म लेने के पीछे भी विष्णु पुराण में एक पौराणिक कथा है। इसके अनुसार जब धरती, आकाश, पाताल समेत पूरा ब्रह्माण्ड जलमग्न था तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सिवा कोई भी देव या प्राणी नहीं था। तब केवल विष्णु ही जल सतह पर अपने शेषनाग पर लेटे नजर आ रहे थे। तब उनकी नाभि से कमल नाल पर ब्रह्मा जी प्रकट हुए।   shravan maas vishesh : kaise hua janam aur mrityu se pare bhagavaan shiv ka avataran

जब ये दोनों देव सृष्टि के संबंध में बातें कर रहे थे तो शिव जी प्रकट हुए। ब्रह्मा ने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया। तब शिव के रूठ जाने के भय से भगवान विष्णु ने ब्रह्मा को शिव की याद दिलाई। ब्रह्मा को अपनी गलती का एहसास हुआ और शिव से क्षमा मांगते हुए उन्होंने उनसे अपने पुत्र रूप में पैदा होने का आशीर्वाद मांगा। शिव ने ब्रह्मा की प्रार्थना स्वीकार करते हुए उन्हें यह आशीर्वाद प्रदान किया। shiv janam katha in hindi

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