उत्तर प्रदेश का Sambhal हाल ही में फिर सुर्खियों में है। इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल के दौरान 1978 के दंगों से संबंधित एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। पत्र में दावा किया गया है कि इस दंगे में कुल 16 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से 8 मामलों को मुलायम सिंह यादव ने वापस ले लिया था।
यह पत्र 1993 में तत्कालीन विशेष सचिव न्याय आरडी शुक्ला द्वारा मुरादाबाद के जिलाधिकारी को लिखा गया था, लेकिन मुरादाबाद जिला प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं की है। 1978 के दंगों में बलवा, आगजनी और लूटपाट जैसे गंभीर आरोप थे, जिनमें रिजवान, मुनाजिर, मिंजार और इरफान जैसे मुस्लिम आरोपी शामिल थे। इसके अलावा, बनवारी लाल गोयल के खंडसारी कारखाने में लूटपाट, आगजनी और लगभग 20 हिंदू लोगों की हत्या कर शवों को जलाने का भी आरोप था। पत्र के अनुसार, दंगों के मामलों को वापस लेने का प्रस्ताव था, लेकिन वायरल होने के बाद, तत्कालीन हिंदू दंगा पीड़ितों ने दावा किया कि 1995 तक केस चलाए गए थे, हालांकि वे उस समय मिले मुआवजे को बेहद कम मानते हैं और आरोपियों के कोर्ट से छूट जाने का भी आरोप लगाते हैं।
खौ़फनाक मंजर
इस दंगे में मारे गए पीड़ितों के परिजनों ने बताया कि संभल में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे। यह विवाद जल्द ही क्षेत्र के सबसे भयावह दंगों में से एक बन गया, जिसमें लोगों को चाकुओं से गोद दिया गया और कुछ को जिंदा जलाया गया। इस दंगे में 184 लोग मारे गए थे, जिनमें से 180 हिंदू थे, और इसमें जामा मस्जिद के इमाम मुहम्मद हुसैन की हत्या भी शामिल थी, जो 1976 में हुए दंगों का शिकार हुए थे।
पीड़ितों को आज तक नहीं मिला इंसाफ
पीड़ित विष्णु रस्तोगी ने बताया कि 29 मार्च 1978 को सूर्योदय के साथ सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे। मार-काट, आगजनी, फायरिंग, और हथियारों से हमले शुरू हो गए थे, और शहर की सड़कों पर हिंसा का तांडव मच गया था। पीड़ितों का कहना है कि अब यह पत्र सामने आने के बाद उन्हें महसूस हुआ कि किस तरह उनके साथ अन्याय हुआ था और आज तक उन्हें इंसाफ नहीं मिला। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि मामले की पुनः जांच हो और उन्हें न्याय मिले।
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