भारत के “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत एक खास डेलीगेशन ने शनिवार को मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में 10 बड़े diplomatic outreach programmes आयोजित किए। इस डेलीगेशन का नेतृत्व जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद संजय कुमार झा कर रहे हैं। ये दौरा ऑपरेशन सिंदूर अभियान का आखिरी पड़ाव था। इससे पहले यह प्रतिनिधिमंडल जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और इंडोनेशिया जैसे देशों का दौरा कर चुका है।
पाकिस्तान ने जताई आपत्ति
इवेंट्स से पहले पाकिस्तान ने मलेशियाई सरकार से अनुरोध किया था कि इन सभी भारतीय कार्यक्रमों को रद्द कर दिया जाए। पाकिस्तान ने इसका कारण इस्लामी एकता (Islamic solidarity) और कश्मीर मुद्दा बताया। इस्लामाबाद ने कहा कि इन कार्यक्रमों से इस्लामिक समुदाय की भावनाएं आहत हो सकती हैं और भारत इसका राजनीतिक फायदा उठा सकता है।
मलेशिया का सख्त और साफ जवाब
लेकिन मलेशिया ने पाकिस्तान की मांग को ठुकरा दिया। वहां की सरकार ने कहा कि भारत का डेलीगेशन शांति और positive engagement के मकसद से आया है और कार्यक्रम पहले से तय हैं, इसलिए उन्हें मंजूरी दी जाएगी।
ऑपरेशन सिंदूर क्या है?
ऑपरेशन सिंदूर भारत सरकार की एक खास पहल है, जिसका मकसद विदेशों में रह रहे भारतीय मूल के लोगों से जुड़ना और उनकी समस्याओं को समझना है। खासकर, उन महिलाओं की बात करना जो मजबूरी में धर्म बदलने, जबरन शादी या उत्पीड़न जैसी स्थितियों का सामना करती हैं। इस अभियान के ज़रिए भारत, विदेशों में भी अपनी बात मजबूती से रख रहा है।
डेलीगेशन में कौन-कौन शामिल?
संजय कुमार झा के नेतृत्व में आए 9 सदस्यों वाले इस दल में अलग-अलग राजनीतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि के लोग शामिल थे। उन्होंने मलेशिया में भारतीय समुदाय के लोगों से मुलाकात की, वहां की सरकार के अधिकारियों से संवाद किया और भारतीय संस्कृति को लेकर कई कार्यक्रम भी आयोजित किए।
पाकिस्तान द्वारा धार्मिक मुद्दों का सहारा लेकर भारत के डिप्लोमैटिक मिशन को रोकने की कोशिश सफल नहीं हो सकी। मलेशिया ने स्पष्ट कर दिया कि वह स्वतंत्र फैसले लेता है और भारत के साथ अपने संबंधों को अहमियत देता है। यह भारत की सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी की एक और जीत मानी जा रही है।
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