Kurukshetra: “कलाकारों ने उजागर की हरियाणवी संस्कृति की विशिष्टता।

Kurukshetra। रविवार को अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड शिल्प मेला समापन हुआ। ये मेला सात फरवरी से शुरू हुआ था, जिसमें कलाकारों ने अपनी अद्भुत प्रतिभा का प्रदर्शन किया, जिससे वे खूब सराहे गए। सूरजकुंड मेले की चौपाल दो के मंच पर हरियाणा कला और सांस्कृतिक कार्य विभाग और हरियाणा कला परिषद ने मुख्य कार्यक्रम आयोजित किए।

हरियाणा कला परिषद के निदेशक, नागेंद्र शर्मा ने बताया कि इस बार सूरजकुंड मेले में पहली बार सांग कलाकारों को अपनी कला दिखाने का अवसर मिला। जींद के प्रसिद्ध सांग कलाकार वेद प्रकाश अत्री और उनके दल ने ‘विश्वामित्र सांग’ का शानदार मंचन किया, जिसने सूरजकुंड महायज्ञ में एक नई आभा जोड़ दी। इस सांग में दिखाया गया कि स्वर्ग लोक से देवता महर्षि विश्वामित्र का तप भंग करने के लिए अप्सरा मेनका को पृथ्वी पर भेजा जाता है। मेनका पवन देव और कामदेव के साथ धरती पर आकर विश्वामित्र का तप भंग कर देती हैं। जब विश्वामित्र तप भंग करने का कारण पूछते हैं, तो मेनका उनसे विवाह का प्रस्ताव रखती हैं। इस प्रस्ताव पर विश्वामित्र विवाह करने को तैयार हो जाते हैं, और उनके साथ मेनका से शकुंतला का जन्म होता है। इस प्रकार, विविध रागनियों के माध्यम से कथा का क्रम आगे बढ़ता है।

रविवार को सोनीपत से सांग कलाकार श्योनाथ त्यागी ने सेठ ताराचंद के किस्से पर आधारित सांग प्रस्तुत किया। कुरुक्षेत्र से रिचा चौहान और जींद से करण सैनी व संदीप सैनी के दल ने हरियाणवी नृत्यों के जरिए दर्शकों को मनोरंजन प्रदान किया। कलाकारों के प्रदर्शन ने दर्शकों से भरपूर तालियां बटोरीं। इस अवसर पर कला एवं सांस्कृतिक विभाग से कला अधिकारी रेनू हुड्डा, सुमन दांगी, हरियाणा कला परिषद के कार्यालय प्रभारी धर्मपाल गुगलानी, विकास शर्मा, विशाल चोपड़ा और राजेश कुमार उपस्थित थे।

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