5 जून विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर हरियाणा सरकार ने एक बहुत बड़ा और महत्वाकांक्षी कदम उठाया है। राज्य के 5 जिलों में फैली करीब 25,000 हेक्टेयर बंजर (सूखी और बेकार) ज़मीन को फिर से हरा-भरा बनाने का काम शुरू हो चुका है। यह मिशन अरावली पर्वतमाला को बचाने और फिर से ज़िंदा करने के लिए शुरू किया गया है।
यह प्रोजेक्ट देश की पहली “Green Wall of India” योजना का पहला हिस्सा है, जिसका मकसद है गुजरात से लेकर दिल्ली तक एक हरित (green) बेल्ट बनाना जो ना सिर्फ पेड़ लगाए, बल्कि रेगिस्तान के फैलाव को भी रोके।
कहां-कहां होगा काम?
यह पर्यावरण मिशन हरियाणा के जिन 5 जिलों में शुरू किया गया है, वे हैं:
- गुरुग्राम
- फरीदाबाद
- नूंह
- रेवाड़ी
- महेंद्रगढ़
यह सभी जिले अरावली पर्वत श्रृंखला में आते हैं। सरकार ने यहां की 33,706 हेक्टेयर ज़मीन की जांच की, जिसमें से 24,990 हेक्टेयर को बंजर और बिगड़ा हुआ पाया गया।
काम कैसे होगा? तीन चरणों में मिशन पूरा किया जाएगा
- मिट्टी और पानी का संरक्षण (Soil & Water Conservation):
पहले ज़मीन की हालत सुधारी जाएगी ताकि वहां पेड़ लगाए जा सकें। बारिश का पानी ज़मीन में नीचे जा सके, इसके लिए चेक डैम्स, तालाब और कंटूर ट्रेंच बनाए जाएंगे। - देशी पेड़-पौधों की रोपाई (Native Plantation):
अरावली की जलवायु के हिसाब से 15-20 प्रकार के स्थानीय पेड़ लगाए जाएंगे। ये पेड़ गहरी जड़ वाले होंगे जो ज़मीन को मजबूत बनाएंगे और पानी को रोकेंगे।

- रोजगार और पर्यावरण सेवाएं (Livelihood & Ecosystem Services):
इस प्रोजेक्ट के ज़रिए गांवों में लोगों को रोजगार भी मिलेगा। नर्सरी तैयार की जाएगी, पौधे लगाए जाएंगे और ज़मीन का प्रबंधन भी किया जाएगा। साथ ही यह प्रोजेक्ट भूजल (groundwater) को रिचार्ज करेगा और carbon sequestration में मदद करेगा, जिससे वातावरण साफ रहेगा।
अरावली क्यों है इतनी ज़रूरी?
अरावली भारत की सबसे पुरानी पर्वतमालाओं में से एक है। यह न सिर्फ हरियाणा और दिल्ली को शुद्ध हवा देती है, बल्कि यह थार रेगिस्तान के आगे बढ़ने से भी रोकती है। अगर अरावली न रहे, तो रेगिस्तान दिल्ली तक पहुंच सकता है।
इसीलिए इस ज़मीन को फिर से हरा करना ज़रूरी है – ना सिर्फ पर्यावरण के लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी।
सरकार की अपील: सब मिलकर बनाएं इसे सफल
सरकार का कहना है कि यह सिर्फ सरकारी योजना नहीं है, बल्कि यह हम सबका मिशन है। स्थानीय लोगों को इसमें भाग लेना चाहिए – चाहे वो पेड़ लगाएं, नर्सरी में मदद करें या मिट्टी-पानी को बचाने में साथ दें।
नतीजा क्या होगा?
- अरावली फिर से हरी-भरी होगी
- गांवों में रोज़गार मिलेगा
- हवा साफ़ होगी
- भूजल बढ़ेगा
- रेगिस्तान रुकेगा
- जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद मिलेगी
यह मिशन ना केवल हरियाणा बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकता है। अगर हम सब साथ आएं, तो भारत की यह “Green Wall” सच में हकीकत बन सकती है।
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