Haryana में अब जमीन की माप के लिए पारंपरिक चेन सर्वे की जगह अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा। राज्य सरकार ने इसके लिए 300 रोवर्स खरीदे हैं, जो लार्ज स्केल मैपिंग प्रोजेक्ट के तहत काम करेंगे। पहले जमीन के सीमांकन के लिए पटवारी चेन का सहारा लेते थे, लेकिन अब सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन सर्वे और सीओआरएस आधारित जियो-रिफ्रेशिंग सिस्टम जैसी तकनीकों को अपनाया जा रहा है।
अधिकारियों के अनुसार, रोवर आधारित डिजिटल सीमांकन से प्रॉपर्टी के लेन-देन, जमीन के दाखिल-खारिज की प्रक्रिया और बैंक लोन अथवा सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना अब पहले से कहीं अधिक सरल और तेज हो जाएगा।
जनता को सटीक, जियो-रेफरेंस्ड मैप उपलब्ध कराकर Haryana का लक्ष्य नागरिकों का विश्वास बढ़ाना और अपनी भूमि प्रशासन प्रणाली को आधुनिक बनाना है।
17 मई तक चलेगी ट्रेनिंग
नई तकनीक के यूज के लिए Haryana सरकार ने पटवारियों और कानूनगो के लिए स्टेट लेवर ट्रेनिंग कार्यक्रम शुरू कर दिए हैं। चंडीगढ़ में भारतीय सर्वेक्षण विभाग के भू-स्थानिक निदेशालय द्वारा आयोजित यह ट्रेनिंग 23 अप्रैल को शुरू हो चुकी है, 17 मई तक यह ट्रेनिंग प्रोग्राम चलेगा।
Haryana के भूमि अभिलेख निदेशक को भेजे गए एक लेटर के बाद निदेशालय द्वारा एक जिलावार कार्यक्रम साझा किया गया है, जिसमें जिला अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि प्रशिक्षण सत्रों के लिए पूरी तरह से चार्ज किए गए रोवर्स के दो सेट, सीओआरएस यूजर आईडी और पासवर्ड के साथ तैयार रहें।

रिकॉर्ड में नहीं हो सकेगी हेराफेरी
भूमि सीमांकन के लिए नई प्रणाली में सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन सर्वेक्षण और CORS-आधारित जियो-रिफ्रेशिंग का उपयोग किया जाएगा। अपडेट किए गए कैडस्ट्रल मानचित्रों को सैटेलाइट डेटा पर सुपरइम्पोज़ किया जाएगा और भू-नक्शा पोर्टल में एकीकृत किया जाएगा, जिससे नागरिक ऑनलाइन भूमि सीमाओं तक पहुँच और सत्यापन कर सकेंगे। अधिकारियों ने कहा कि इस दृष्टिकोण से भूमि विवाद, रिकॉर्ड में हेराफेरी और बिचौलियों पर निर्भरता काफी कम हो जाएगी।
पहले फेज में 440 गांव में शुरू होगा प्रोजेक्ट
शुरुआती चरण में, 22 पायलट गांव, प्रत्येक जिले से एक, पहले ही ततिमा (भूमि पार्सल मानचित्र) अपडेट पूरा कर चुके हैं। इस सफलता के आधार पर, सरकार ने अगले चरण के लिए 440 अतिरिक्त गांवों की पहचान की है। इसका उद्देश्य 2025-26 तक भू-नक्शा पोर्टल में ततिमा को पूरी तरह से अपडेट करना और एकीकृत करना है।
इसके अतिरिक्त, सरकार रोवर्स का उपयोग करके सीमांकन के लिए एक समान शुल्क संरचना को अंतिम रूप दे रही है, जिसके लिए शीघ्र ही जिलों को सूचित कर दिया जाएगा।
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