बड़ा ऐलान अवैध कालोनी काटने वालों की होगी जायदाद जब्त,

पंजाब में अवैध कालोनियों के खिलाफ निकाय मंत्री नवजोत सुंह सिद्धू का एक्शन प्लान बेशक सीएम कैप्टन अमरेंद्र सिंह के समर्थन न मिलने से ठुस्स हो चुका है लेकिन अवैध कालोनियों के खिलाफ एक्शन क्या चीज़ होती है, यह यू.पी. के सी.एम.योगी आदित्यनाथ ने कर दिखाया है। इससे अवैध कालोनी में रहने वाले आम लोगों को तो राहत मिलेगी लेकिन उस कालोनी को बसाने वालों की राह मुश्किल हो जाएगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के सख्त तेवर के बाद शहरों में बसी या बनने वाली कालोनियों में रहने वालों को बड़ी राहत मिल गई है। अवैध कालोनी बसाने वालों की अब संपत्तियां जब्त कर वहां विकास के काम कराए जाएंगे।

प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण ने शासनादेश जारी करते हुए विकास प्राधिकरणों को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। ऐसी कालोनियों के 15 दिन में गूगल मैप तैयार करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

आवास विभाग शहरों में बनी अवैध कालोनियों में रहने वालों से पैसे लेकर इसे वैध करने के लिए नीति लाने वाला था। मुख्यमंत्री ने प्रस्तुतीकरण के दौरान कहा कि कालोनियों में रहने वालों से पैसा न लेकर दोषियों को दंडित किया जाए।

यूं होता है खेल

प्रमुख सचिव आवास ने इसके आधार पर शासनादेश जारी करते हुए कहा है कि विकास प्राधिकरण व आवास विकास परिषद से मकान न पाने वाले प्रापर्टी डीलरों से जमीन लेकर मकान बनवाकर रह रहे हैं।

किसानों की खेती की जमीन को अधिग्रहण व कब्जा होने का भय दिखाकर विकासकर्ता फर्जी विज्ञापन से लोगों को धोखा देकर मास्टर प्लान में ले आउट के विपरीत इसे मात्र चूना डालकर किसानों से सीधे रजिस्ट्री करा देते हैं।

इसमें प्रापर्टी डीलर की मात्र बिचौलिये की भूमिका होती है। जमीन बेचने के बाद वह चलता बनता है और जमीन लेने वाला मकान बनाने के बाद फंस जाता है।

प्रमुख सचिव ने कहा कि ऐसे लोगों से जमीन लेने वाले अपनी जमा पूंजी के अनुसार बाउंड्रीवाल व मकान बनवाने की प्रक्रिया शुरू करते हैं। वहीं विकास प्राधिकरण के अभियंता या कर्मचारियों को इसकी जानकारी होने तक काफी देर हो चुकी होती है।

इसके चलते शहरों में अवैध कालोनियां तेजी से बढ़ रही हैं। इनमें जरूरी सुविधाएं रहने वालों को नहीं मिलती हैं। इसके बाद अवैध कालोनियों को वैध करने के लिए विकास शुल्क व अन्य शुल्क के रूप में फिर से इनमें रहने वालों से ही वसूलता जाता है।

इस तरह से इन कालोनियों में रहने वालों को दो बार पैसे देने पड़ते हैं। इसके साथ ही विकास शुल्क, भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क, मानचित्र शुल्क, शमन शुल्क व अन्य निर्धारित शुल्क जमा न करने पर मकान गिराए जाने का डर लोगों में बना रहता है।

इससे केवल मध्यवर्गीय विकासकर्ता व प्रापर्टी डीलरों को फायदा हो रहा है और इनसे जमीन लेने वालों व राज्य सरकार का नुकसान हो रहा है।

इसीलिए अवैध कालोनी बनाने व बिना ले आउट पास कराए जमीन बेचने के लिए प्रापर्टी डीलर व मध्यवर्गीय विकासकर्ता ही असली दोषी होता है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद आवास विभाग ने यह महत्वपूर्ण फैसला किया है।

कड़े निर्देश दिए गए
– अवैध कालोनी बसाने वाले प्रापर्टी डीलर व विकासकर्ता की संपत्ति जब्त कर ऐसी कालोनियों में काम कराया जाएगा।
– अवैध कालोनी बसाने वा जमीन बेचने वालों को चिह्नित कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
– डीएम व विकास प्राधिकरण अवैध कालोनी बसाने से रोकने में विफल रहने वाले दोषी अफसरों/कर्मियों को चिह्नित करेंगे।
– अधिकारियों व कर्मियों की जवाबदेही तय की जाएगी। अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता व अवर अभियंताओं को उत्तरदायी बनाया जाएगा।
– रिमोर्ट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर के माध्यम से ऐसी कालोनियों का 15 दिन में गूगल मैप तैयार कर इसकी प्रमाणित कापी मंडलायुक्त व सीटीसीपी के पास रखी जाएगी।
– भविष्य में अवैध कालोनियां बसने से रोकने के लिए विकास क्षेत्र को जोन में बांटा जाएगा।
– अधिकारी व अभियंता के चार्ज छोड़ने पर प्रमाणित नक्शे से मिलान किया जाएगा कि कहीं अवैध कालोनी तो नहीं बनी।
– ऐसा होने पर संबंधित अधिकारी व अभियंता के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
– अवैध कालोनियों के निर्माण की रोकथाम के लिए नियमों को सरल किया जाएगा।
– सरकार जमीनों व प्रतिबंधित क्षेत्रों में बनी कालोनियों को हटाने का अभियान चलाया जाएगा।
– विकास प्राधिकरण मांग के अनुसार कालोनी बनाने की योजना तैयार करेंगे।
– अवैध निर्माण कराने में दोषी पाए जाने वाले अभियंताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।

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