आप भी ऑनलाईन शॉपिंग करते है तो आप के लिए खुशखबरी, पढ़ें वजह

  04 Aug 2018
आप भी ऑनलाईन शॉपिंग करते है तो आप के लिए खुशखबरी, पढ़ें वजह

अक्सर आप Amazon, Flipkart, Snapdeal आदि पर ऑनलाइन शॉपिंग करने से पहले किसी प्रोडक्ट का कस्टमर रिव्यू इस उम्मीद में पढ़ते हैं कि वहां से आपको प्रोडक्ट की क्वालिटी का पता चलेगा लेकिन जब सामान मंगाने पर आपको इस बात का एहसास होता है कि ये तो रिव्यू के बिलकुल उलट है जिस समान को सब अच्छा बोल रहे थे वो तो घटिया निकला।

ये सब है ऑनलाइन फर्जी रिव्यू का चक्कर जो अक्सर कंपनियां खुद करवाती हैं और ग्राहकों को ठगती है। लेकिन अब सरकार इस पर कड़ा कदम उठाने जा रही है इतना ही नहीं खराब प्रोडक्ट की जिम्मेदारी भी अब ऑनलाइन कंपनियों को उठानी होगी और वो सेलर की गलती बता कर उसे टाल नहीं पाएंगी। वाणिज्य और उपभोक्ता मंत्रालय ने ई-कॉमर्स के लिए नई गाइड लाइन बनाई है जिसके तहत अब प्रोडक्ट की फर्जी रेटिंग पर नकेल कसेगी और इसको रोकने को लिए अनफेयर बिजनेस प्रैक्टिस के तहत कानूनी कदम उठाए जाएंगे।

14 दिन में करना होगा रिफंड
इस गाइड लाइन के मुताबिक प्रोडक्ट फेक या डैमेज हुआ तो विक्रेता के साथ इ-कॉमर्स पोर्टल भी जिम्मेदार होगा। गलत या टूटा सामान पहुंचने पर 14 दिन के भीतर ग्राहक को रिफंड देना होगा। 30 दिन के भीतर ग्राहक की शिकायत पूरी तरह दूर करनी होगी। डिटेल्स के मुताबिक समान नहीं होने पर ग्राहक को सामान लौटने का अधिकार होगा। ई-कॉमर्स पर ऑनलाइन शॉपिंग को लेकर ये नई सख्त गाइडलाइन्स जल्द लागू होगी। ई-कॉमर्स पालिसी तय करने के लिए बने टास्कफोर्स की सब कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी है। वाणिज्य और उपभोक्ता मंत्रालय ने मिल कर ये गाइडलाइन्स तैयार किया है। निर्देश के मुताबिक पोर्टल पर विक्रेता का पूरा पता और कांटेक्ट नंबर देना जरूरी होगा। रिफंड और रिटर्न पालिसी को भी साफ साफ वेबसाइट पर डालना जरूरी होगा।

गौरतलब है कि ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ शिकायतों में इस साल 42 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। साल 2016-17 के मुकाबले शिकायतों में बढ़ोत्तरी के मामले पर सरकार गंभीर है। ई-कॉमर्स कंपनियों के कामकाज को लेकर सरकार सख्त हो गई है। डिलीवरी में देरी, गलत प्रोडक्ट, रिटर्न और रिप्लेसमेंट के साथ रिफंड को लेकर शिकायतें बढ़ रही हैं। ई-कॉमर्स सेक्टर के लिए अभी तक कोई सरकारी रेगुलेटर नहीं है। शिकायतों को लेकर उपभोक्ता नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पर ही अभी निर्भर हैं। हालांकि 60 फीसदी शिकायतों का निपटारा करने में हेल्पलाइन से मदद मिली है। नए बिल में कंपनियों को ग्राहकों का डेटा भी सुरक्षित रखने गारंटी देनी होगी। बिल के तहत नया कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी बनाने का प्रस्ताव है।

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