फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड एक्सप्रेसन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कमेंट किया है। अदालत ने कहा कि मौजूदा दौर में बोलने की आजादी के अधिकार का सबसे ज्यादा गलत इस्तेमाल हो रहा है। अदालत ने गुरुवार को तब्लीगी जमात की मीडिया रिपोर्टिंग के मामले की सुनवाई करते हुए ऐसा कहा।
केंद्र सरकार को फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने तब्लीगी मामले में मोटिवेटेड मीडिया रिपोर्टिंग के आरोपों पर केंद्र सरकार की खिंचाई की। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि इस मामले में अदालत में आप जो रवैया दिखा रहे हैं, वैसा नहीं चलेगा।
कोर्ट ने कहा कि सरकार ने जूनियर अफसर के जरिए एफिडेविट पेश कर दिया। इसमें टालमटोल वाला जवाब है और तब्लीगी जमात मामले के दौरान खराब रिपोर्टिंग को लेकर कोई डिटेल भी नहीं है। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा- आप कैसे कह सकते हैं कि खराब रिपोर्टिंग नहीं हुई थी?
जमीयत-उलेमा-हिंद ने अर्जी लगाई है
अदालत ने अब इन्फॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्ट मिनिस्ट्री से इस बात का डिटेल एफिडेविट मांगा है कि ऐसे मामलों में मोटिवेटेड मीडिया रिपोर्टिंग को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए। जमीयत-उलेमा-हिंद ने मरकज मामले की मीडिया कवरेज को मोटिवेटेड बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी। इसमें कहा गया है कि मीडिया गैर-जिम्मेदारी से काम कर रहा है। रिपोर्टिंग में ऐसा दिखाया जा रहा है जैसे मुसलमान कोरोना फैलाने की मुहिम चला रहे हैं।
सरकार ने कहा था- मीडिया को नहीं रोक सकते
इस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पहले जो एफिडेविट दिया, उसमें कहा गया था कि जमात के मुद्दे पर मीडिया को रिपोर्टिंग करने से नहीं रोक सकते। केंद्र ने प्रेस की स्वतंत्रता का हवाला दिया था।