भगवान शिव के गले में लिपटे नाग के 10 रहस्य Dharmik totke
bhagwan shiv ke gale mein lipte naag ke 10 rahasya dharmik totke
आपने भगवान शिव (Shiv) के चित्र में उनके गले में लिपटे नाग को देखा होगा। आखिर यह नाग कौन था क्या है इसकी उत्पत्ति का रहस्य जानिए इस संबंध में 10 खास बातें।
1. भगवान शिव के गले में लिपटे नाग का नाम वासुकि है।
2. वासुनि नाग के पिता ऋषि कश्यप और माता कद्रू थीं।
3. वासुकि नाग के बड़े भाई का नाभ शेष (अनंत) और अन्य भाइयों का नाम तक्षक, पिंगला और कर्कोटक आदि था।
4. शेष नाग विष्णु के सेवक तो वासुकि शिव के सेवक बनें। वासुकि भगवान शिव के परम भक्त थे। वासुकि की भक्ति से प्रसन्न होकर ही भगवान शिव ने उन्हें अपने गणों में शामिल कर लिया था।
5. मान्यता है कि वासुकि का कैलाश पर्वत के पास ही राज्य था। यह भी कहा जाता है कि वासुकी को नागलोक का राजा माना गया है।
6. भगवान शिव के साथ ही वासुकि नाग की पूजा होती है। इसीलिए नागपंचमी पर शेषनाग के बाद वासुकि नाग की पूजा करना भी जरूरी है।
7. समुद्र मंथन के दौरान वासुकि नाग को ही रस्सी के रूप में मेरू पर्वत के चारों और लपेटकर मंथन किया गया था, जिसके चलते उनका संपूर्ण शरीर लहूलुहान हो गया था।
8. माना जाता है कि वासुकि के कारण ही नाग जाति के लोगों ने ही सर्वप्रथम शिवलिंग की पूजा का प्रचलन शुरू किया था।
9. वासुकी ने ही कुंति पुत्र भीम को दस हजार हाथियों के बल प्राप्ति का वरदान दिया था। जब भीम को दुर्योधन ने धोखे से विष पिलाकर गंगा नदी में फेंक दिया था तब भीम नागलोक पहुंच गए थे। वहां पर भीम के नानाजी ने वासुकि को बताया कि यह कौन है तब वासुनिक नाग ने भीष का विष उतारा और उसे दस हाजार हथियों का बल प्रदान किया।
10. वासुकी के सिर पर ही नागमणि होती थी। जब भगवान श्री कृष्ण को कंस की जेल से चुपचाप वसुदेव उन्हें गोकुल ले जा रहे थे तब रास्ते में जोरदार बारिश हो रही थी। इसी बारिश और यमुना के उफान से वासुकी नाग ने ही श्री कृष्ण की रक्षा की थी। हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि शेषनाग ने ऐसा किया था।
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