शिव के अवतार थे दुर्वासा मुनि, इन्हीं के कारण करना पड़ा था समुद्र मंथन Aaj Ka Rashifal

  08 Dec 2018
शिव के अवतार थे दुर्वासा मुनि, इन्हीं के कारण करना पड़ा था समुद्र मंथन Aaj Ka Rashifal

शिव के अवतार थे दुर्वासा मुनि, इन्हीं के कारण करना पड़ा था समुद्र मंथन Aaj Ka Rashifal

Aaj Ka Rashifal भगवान शिव ने भी जनकल्याण के लिए अनेक अवतार लिए हैं। शिवपुराण के अनुसार, दुर्वासा मुनि भी शिवजी के ही अवतार थे। दुर्वासा मुनि बहुत ही क्रोधी थे। उन्होंने देवराज इंद्र को श्राप दिया, जिसके कारण समुद्र मंथन करना पड़ा। इसके अलावा श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण की मृत्यु के कारण भी दुर्वासा ऋषि ही थे। आगे जानिए दुर्वासा ऋषि से जुड़े खास प्रसंग…

इस कारण त्यागे थे लक्ष्मण ने प्राण
– वाल्मीकि रामायण के अनुसार, एक दिन काल तपस्वी के रूप में अयोध्या आया। काल ने श्रीराम से कहा कि- यदि कोई हमें बात करता हुआ देखे तो आपको उसका वध करना होगा। – श्रीराम ने काल को वचन दे दिया और लक्ष्मण को पहरे पर खड़ा कर दिया। तभी वहां महर्षि दुर्वासा आ गए। वे भी श्रीराम से मिलना चाहते थे।

हिंदू धर्म में यूं ही नहीं लगाते तिलक, Aaj ka rashifal, kundali

– लक्ष्मण के बार-बार मना करने पर वे क्रोधित हो गए और बोलें कि- अगर इसी समय तुमने जाकर श्रीराम को मेरे आने के बारे में नहीं बताया तो मैं तुम्हारे पूरे राज्य को श्राप दे दूंगा। – प्रजा का नाश न हो ये सोचकर लक्ष्मण ने श्रीराम को जाकर पूरी बात बता दी।जब श्रीराम ने ये बात महर्षि वशिष्ठ को बताई तो उन्होंने कहा कि- आप लक्ष्मण का त्याग कर दीजिए।

– साधु पुरुष का त्याग व वध एक ही समान है। श्रीराम ने ऐसा ही किया। श्रीराम द्वारा त्यागे जाने से दुखी होकर लक्ष्मण सीधे सरयू नदी के तट पर पहुंचे और योग क्रिया द्वारा अपना शरीर त्याग दिया।

इंद्र को दिया था श्राप
– ग्रंथों के अनुसार, एक बार ऋषि दुर्वासा ने देवराज इंद्र को पारिजात फूलों की माला भेंट की, लेकिन इंद्र ने अभिमान में उस माला को अपने हाथी ऐरावत को पहना दिया।

– ऐरावत ने उस माला को अपनी सूंड में लपेटकर फेंक दिया। अपने उपहार की ये दुर्दशा देखकर ऋषि दुर्वासा बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने इंद्र सहित पूरे स्वर्ग को श्रीहीन होने का श्राप दे दिया।

– तब सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए। भगवान विष्णु ने देवताओं से कहा कि तुम सभी दैत्यों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करो। इससे स्वर्ग में फिर से धन-संपत्ति के पूर्ण हो जाएगा। साथ ही अन्य अमृत भी मिलेगा। देवताओं ने ऐसा ही किया।

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