अमिताभ बच्चन जी से सीखनी चाहियें ये 10 बातें amitabh bachchan bollywood
amitabh bachchan : जीवन की आपाधापी में कब वक़्त मिला, कुछ देर कहीं पर बैठ कभी यह सोच सकूँ, जो किया, कहा, माना उसमें क्या बुरा भला। amitabh bachchan
आपको हरिवंश amitabh bachchan जी की ये कविता जरुर पढ़नी चाहिए.
जीवन के सभी रूपों के दर्शन हम पलभर में कर सकते हैं. amitabh bachchan जी ने जब कविता पढ़ी होगी, तभी जीवन का अर्थ समझ गये होंगे. अमिताभ जी ने समाज से लिया कम है, बल्कि दिया बहुत ज्यादा है.
पिता हरिवंश राय बच्चन जी से, अमिताभ जी को संस्कार मिले. माँ तेजी बच्चन से अध्यात्म मिला और जब दोनों का मिलन हुआ, तो देश को इनके जैसे नायक मिले. जब तक भारत देश का वजूद रहेगा, बच्चन जी तबतक भारतीय इतिहास में याद किये जाते रहेंगे. अमिताभ बच्चन जी ने हमारे समाज को बहुत सी कीमती चीजें दी हैं, हम सभी इनसे बहुत सारी चीजें सीख सकते हैं, जिंदगी के पाठ हम इनसे सीख सकते हैं.
हम आपको बताने वाले हैं वो 10 बातें जो हम सबको अमिताभ बच्चन जी से सीखनी चाहिए.
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हार कर जीतना– अपने करियर के शुरूआती दौर में अमिताभ जी को सफलता नहीं मिल पा रही थी. दर्ज़नों फ़िल्में फ्लॉप हो चुकी थीं. अमित जी हिम्मत से खड़े रहे, और जब ज़ंजीर फिल्म आई, तो कामयाबी का स्वाद इनको मिला.
फिर 1995 में अमिताभ ने ‘अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ की शुरुआत की जो एक फिल्म प्रोडक्शन और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी थी. यह कुछ ख़ास नहीं कर पाई और जिसके कारण अमित जी को काफी नुकसान हुआ. आर्थिक रूप से जो समस्याएं इनके सामने आ रही थी, उनको सही करने करने के लिए इनको, फिर से फिल्म और छोटे पर्दे पर मेहनत करनी पड़ी.हम लोग जीवन में कितनी जल्दी हार मान जाते हैं, पर आप यहाँ अमित जी से हार कर जीतना सीख सकते हैं.
समय का पाबंद होना– आज हम लोग समय का बिल्कुल ध्यान नहीं रखते हैं. खासकर युवा पीढ़ी तो बिल्कुल भी अनुशासन में नही रहती है. पर अमिताभ बच्चनके लिए हमेशा एक बात कही जाती है कि अमित जी समय के पाबंद रहते हैं. आज अमित जी की कामयाबी के पीछे ये बात मुख्य रूप से छुपी हुई है, कि इन्होनें समय का आदर किया है, तभी समय ने इनका आदर किया है. समय का पाबंद होना हमें अमित जी हमेशा सिखाते हैं.
विनम्रता– इंसान को हमेसा विनम्र बने रहना चाहिए. पर जब हम कामयाबी को पाते हैं तो ये बात भुला देते हैं. हमने जब भी देखा अमित जी को औरों के प्रति विनम्र ही देखा. हाथ जोड़कर दूसरों से दुआ सलाम करते देखा. छोटे से इंसान से भी अमित जी इतने ही प्यार से मिलते हैं. शायद ही कभी आपने इनको गुस्से में देखा हो. अभिनय करते वक़्त जरुर पर्दे पर कई बार, हमें इनका गुस्सा मिल जाता है पर असलियत में वह ऐसा बिल्कुल नहीं करते हैं. तभी तो छोटे और नये निर्देशक भी अमित जी के साथ फिल्म बनाते वक़्त बिल्कुल सहज महसूस करते हैं.
अहंकारी भाव ना होना– अमिताभ जी ने एक बार अपने ब्लॉग पर लिखा था, “नहीं, हमारे पेशे में अहंकार नहीं है. मैं औरों की नहीं जानता, लेकिन कम से कम मैं तो अहंकारी नहीं हूं. मुझे अहंकार, आत्म-निष्ठा, आत्म दंभ शब्द समझ नहीं आते.मैं बाकी सभी की तरह ही एक साधारण इंसान हूं. जीविकोपार्जन के लिए बस कुछ अलग काम कर रहा हूं. मेरे लिए अहंकार का अस्तित्व नहीं है.” अमित जी शायद ही कभी ‘मैं’शब्द का प्रयोग करते हैं. मिली हुई कामयाबी को दूसरों के साथ सांझा करते हैं, और हार को अपना कारण मानते हैं. आज जीवन में ऐसा बहुत कम लोग कर पा रहे हैं, इन्हीं लोगों में से एक हैं, अमित जी. हमको ये बात अमित जी से सीखनी चाहिए और इसका पालन करना चाहिए. अहंकार हमेसा इंसान को खत्म करता है, बनाता बिल्कुल नहीं है.
जुनून– जुनून तो इनको जैसे विरासत में ही मिला था. हम सभी सपने तो पालते हैं, पर उसके लिए मेहनत करने से घबराते हैं. अमित जी अपने एक इंटरव्यू में कहते हैं कि ‘‘1995 मुश्किल वक्त था। एबीसीएल कर्ज में डूब गई थी। मैं दिवालिया हो गया था। एक जमाने में जो लोग मेरे साथ काम करना चाहते थे, वे आते थे और मेरे साथ गालीगलौच करते थे। एक रात, मैंने अपने आप से पूछा ‘कौन हूं मैं’ और फिर मैंने एहसास किया कि मैं यहां पर अभिनय करने के लिए आया था और मुझे वही करना चाहिए।’’ यही जज्बा और जुनून अमिताभ जी को महानायक बनाये हुए है. आज की युवा फौज को यही सीखने की जरूरत भी है. आँखों में सपना हो और दिल में जुनून तो मंजिल देर से सही पर मिल जरुर जाती है.
पारिवारिक जिम्मेदारी– अमित जी एक अच्छे पति भी हैं, अच्छे पिता भी, अच्छे ससुर भी और अच्छे दादा-नाना भी. एक व्यक्ति इतना व्यस्त रहने के बाद भी, पारिवारिक जिम्मेदारी कितने अच्छे से निभा रहा है. ये बात हमें इनसे सीखनी चाहिए. हम हमेशा बोल देते हैं कि मैं पैसा कमाऊ या परिवार देखूं, तो हमें ये बात अमित जी से जरुर सीखनी चाहिए.
मोहब्बत- मोहब्बत करना वैसे तो कोई हमें सीखा नहीं सकता है. पर जैसे हम मोहब्बत की कहानियों के किस्से सुनते और सुनाया करते हैं, वैसे ही हमें अमित जी से मोहब्बत करना सीखना चाहिए. किसी एक के लिए जीना और उसके प्रति समर्पित रहना, अमित जी से अच्छा और कोई नहीं सीखा सकता है.
सलीका– हमें हमेशा कहा जाता है कि तुम पर जिंदगी जीने का सलीका नहीं आता. आज के दौर में, ये समस्या बहुत आ है. सलीका हमें वर्तमान में केवल अमित जी से सीखना चाहिए. दूसरों से मिलते वक़्त, काम करते वक़्त, यहाँ तक की इनके कपड़ों में और अभिनय में भी, एक सलीका नज़र आता है, जिसको हमें यहाँ से सीखना चाहिए और जल्द से जल्द अपने जीवन में लागू कर देना चाहिए.
संस्कृति का पालन– फिल्मों से लेकर असल जिंदगी में, अमित जी ने अपनी संस्कृति का पालन हमेसा किया है. कई जगह अभिनय करते वक़्त ऐसे मौके जरुर आये, जब संस्कृति को छोड़ना पड़ रहा था, लेकिन इन्होनें वहां भी, अपने संस्कारों से किसी प्रकार का समझोता नहीं किया. शायद तभी आज बहुत सी जगह अमित जी ब्रांड एम्बेसडर बने हुए हैं और हमें हमारी संस्कृति से जुड़े रहने का सन्देश देते रहते हैं.
देश प्रेम – आज अमित जी भारत के बाहर जाकर, देश की माटी का प्रचार कर रहे हैं. भारत के बाहर भी इनकी अच्छी-खासी प्रसंशकों की संख्या मौजूद है. कई बार अमिताभ जी देश के फौजियो की खातिर अपना वक़्त निकाल चुके हैं और तो और कई बार देश की छवि से समझोते करने वाले विज्ञापनों को भी छोड़ चुके हैं. ऐसा देश प्रेम हमारे अन्दर भी होना चाहिए, जो आजकल बहुत कम लोगों में मिलता है.