उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत चिकित्सकों और चिकित्सा शिक्षकों द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस करने के मामले में अब सख्ती बढ़ा दी गई है। सभी जिलों के अधिकारियों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से इस संबंध में 20 फरवरी तक रिपोर्ट मांगी गई है। हालांकि, अभी तक अधिकांश जिलों से Report प्राप्त नहीं हुई है।
हाईकोर्ट ने विभाग से Report तलब की थी
प्रदेश के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत डॉक्टरों और चिकित्सा शिक्षकों की प्राइवेट प्रैक्टिस को लेकर कई शिकायतें मिल रही हैं। इस संबंध में डॉ. अरविंद गुप्ता बनाम राज्य व अन्य मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने भी संबंधित विभाग से Report मांगी थी।
इस बीच, 10 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान यह मामला जनहित याचिका में बदल गया है। ऐसे में चिकित्सा स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने सभी जिलाधिकारियों, मुख्य चिकित्साधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी किए हैं।
अब तक मिली शिकायतों पर कार्रवाई
यदि किसी चिकित्सक या चिकित्सा शिक्षक के खिलाफ प्राइवेट प्रैक्टिस करने की शिकायतें आई हैं, तो संबंधित अधिकारियों को तुरंत एक समिति की बैठक आयोजित कर कार्रवाई के लिए शासन को संस्तुति भेजने के निर्देश दिए गए हैं। इस प्रक्रिया के लिए 20 फरवरी तक का समय दिया गया है।
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