- बोले- Middle Class को सोने का अंडा देने वाली मुर्गी समझती है सरकार
- संसद में रखी बुजुर्गों की सब्सिडी बहाल करने की मांग,
- रेलवे में बढ़ते किराए और घटती सुविधाओं पर उठाए सवाल।
- ट्रंप की नीतियों से खतरे में पड़ीं लाखों नौकरियां, भारत में और बढ़ सकती है बेरोजगारी दर
- राघव चड्ढा बोले- रेल मंत्री को रेल से ज्यादा रील्स में है दिलचस्पी, यात्रियों की असल समस्याओं पर नहीं है कोई ध्यान
नई दिल्ली, 11 फरवरी, 2025: मंगलवार को राज्यसभा में बजट चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने सरकार की नीतियों पर कड़े सवाल उठाए और मिडिल क्लास, रेलवे, और प्रवासी भारतीयों की समस्याओं को राज्यसभा में खुलकर सामने रखा। उन्होंने कहा कि सरकार Middle Class लोंगो को सोने का अंडा देने वाली मुर्गी समझती है।
Middle Class लोगों को अनदेखा कर रही सरकार।
राघव चड्ढा ने कहा “गरीबों को सब्सिडी और स्कीम्स मिल जाती हैं, वहीं अमीरों के कर्ज माफ कर दिए जाते हैं, लेकिन Middle Classको कुछ नहीं मिलता। सरकार द्वारा इन लोगों को सोने का अंडा देने वाली मुर्गी समझा जाता है ।
इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगर अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, तो मांग भी बढ़ रही है, लेकिन यह मांग सिर्फ मिडिल क्लास लोगो से ही क्यों है। जनगणना और सर्वेक्षण भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि खाली जेबों के साथ Middle Class लोगों के अपने सपने और अरमान होते हैं और उनके बच्चों की आंखों में ख्यालों का आसमान होता है।
सांसद राघव चढ्डा ने कहा, 87,762 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि की मांग के लिए विधेयक का विनियोजन किया गया है। लेकिन यह राशि कहां से आएगी और इसका बोझ किस पर डाला जाएगा?
सरकार के लिए Middle Class सोने का अंडा देने वाली मुर्गी
सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि भारत की 140 करोड़ आबादी में से केवल 6.68% लोग ही इन छूटों का लाभ उठा पाते हैं। 8 करोड़ भारतीय कर दाखिल करते हैं, लेकिन उनमें से 4.90 करोड़ लोग शून्य आय दिखाते हैं, और केवल 3.10 करोड़ लोग ही टैक्स भुगतान करते हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि टैक्स का असली बोझ मिडिल क्लास पर ही है।
उन्होंने वित्त मंत्री की उस सोच को भी खारिज किया कि इस टैक्स छूट से खपत में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा, “यह खपत तब तक नहीं बढ़ेगी, जब तक जीएसटी दरें कम नहीं की जातीं। जीएसटी का भुगतान सभी करते हैं, आम आदमी जब दूध, सब्जी और दवाइयों पर भी टैक्स भरता है, तो उसकी जेब और हल्की होती जाती है।”
राघव चड्ढा ने कहा कि सरकार की नीतियां गरीबों और अमीरों के लिए अलग-अलग हैं। गरीबों को सब्सिडी और योजनाएं मिलती हैं, जबकि अमीरों के कर्ज माफ कर दिए जाते हैं। लेकिन Middle Class को कुछ नहीं मिलता। न सब्सिडी, न टैक्स में राहत और न ही किसी योजना का लाभ।
Middle Classके अरमान टैक्स के बोझ तले दबे
राघव चड्ढा ने कहा कि मिडिल क्लास सबसे बड़ा टैक्सदाता है लेकिन उसे सबसे कम लाभ मिलता है। सैलरी न बढ़ने के कारण , बचत नहीं हो पाती, और महंगाई लगातार बढ़ती जाती है। जब खाद्य पदार्थों की महंगाई 8 फीसदी से अधिक बढ़ती है, तो वेतन वृद्धि 3 फीसदी से भी कम होती है।
महंगाई और कर्ज के जाल में फंसा Middle Class
राघव चड्ढा ने कहा कि Middle Class सबसे बड़ा टैक्सदाता है लेकिन उसे सबसे कम लाभ मिलता है। सैलरी बढ़ती नहीं, बचत नहीं हो पाती, और महंगाई लगातार बढ़ती जाती है। जब खाद्य पदार्थों की महंगाई 8% से अधिक बढ़ती है, तो वेतन वृद्धि 3% से भी कम होती है।
उन्होंने कहा, “Middle Class को किताब, कॉपी, दवाइयां, मिठाइयां, कपड़े, मकान हर चीज पर टैक्स देना पड़ता है। मेहनत से कमाई गई हर चीज पर टैक्स लगाया जाता है। Middle Class के अरमान भी टैक्स के बोझ तले दब जाते हैं। आय स्थिर है, लेकिन खर्चे लगातार बढ़ते जा रहे हैं , हर मोर्चे पर Middle Class संघर्ष कर रहा है।”
उन्होंने आगे कहा कि Middle Class के लोग कर्ज के जाल में फंसे हुए हैं। “पूरी जिंदगी काम करने के बाद भी 2BHK घर खरीदने के लिए Middle Class को 20-25 साल के कर्ज में डूबना पड़ता है। सैलरी 7 तारीख को आती है, लेकिन मकान मालिक 1 तारीख को किराया मांगता है। बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए भी कर्ज लेना पड़ता है, और स्वास्थ्य आपातकाल के समय तो सोना तक गिरवी रखना पड़ता है। यह स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है।”
रेलवे की समस्याओं पर सरकार के खिलाफ बोले सांसद राघव चड्ढा।
नई दिल्ली। रेलवे की स्थिति पर राघव चड्ढा ने सरकार को घेरते हुए कहा कि रेलवे में सुविधाएं घटती जा रही हैं, जबकि किराया बढ़ता जा रहा है। वंदे भारत जैसी महंगी ट्रेनों में आम आदमी यात्रा नहीं कर सकता है।राघव चड्ढा ने आरोप लगाते हुए कहा कि जनता से प्रीमियम किराया वसूला जा रहा है और वंदे भारत और बुलेट ट्रेन जैसी महंगी परियोजनाएं केवल अमीरों के लिए हैं। गरीबों को इनका कोई लाभ नहीं है।
उन्होंने रेलों की रफ्तार पर बात करते हुए कहा, दुनिया भर में ट्रेनों की स्पीड बढ़ती जा रही है, लेकिन भारतीय रेलवे की रफ्तार की रफ़्तार बढ़ने की बजाए घटती जा रही है। वंदे भारत की स्पीड घटा दी गई है ,जबकि किराया 2013-14 के 0.32 रुपये प्रति किलोमीटर से बढ़कर 2021-22 में 0.66 रुपये हो गया है, जो 107 फीसदी की वृद्धि है। वंदे भारत जैसी महंगी ट्रेनें खाली चल रही हैं क्योंकि आम आदमी इनका लाभ नहीं उठा पाते , अब रेल यात्रा भी अब आम आदमी की पहुंच से बाहर होती जा रही है।
सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि आम आदमी मजबूरी में ही रेलवे का रुख करता है, लेकिन रेल मंत्री को रेल से ज्यादा रील्स में दिलचस्पी है। यात्रियों की असल समस्याओं पर ध्यान देने की बजाए उनका ध्यान सोशल मीडिया पर है।
उन्होंने कहा, 3AC और 2AC को ‘लक्ज़री’ माना जाता था, लेकिन अब इनकी हालत जनरल डिब्बों से भी खराब हो गई है। टिकट लेने के बावजूद भी यात्रियों को सीट नहीं मिल पाती । ट्रेनों में भीड़ इतनी बढ़ गई है कि लोग आलू की बोरियों की तरह एक-दूसरे के उपर पड़े रहते हैं। प्लेटफॉर्म पर गंदगी, गंदा पानी, और खाने में कीड़े-मकोड़े आम शिकायतें बन चुकी हैं। पिछले दो वर्षों में स्वच्छता संबंधी शिकायतों में 500 फीसदी की वृद्धि हुई है।
टिकट बुकिंग पर बोलते हुए राघव चड्ढा ने कहा, टिकट बुक करना भी मुश्किल हो गया है, जिससे लोग थर्ड-पार्टी ऐप्स का सहारा लेते हैं, जो भारी कमीशन वसूलते हैं। टिकट कैंसिल करने पर भी यात्रियों से भारी शुल्क वसूला जाता है। इसके अलावा स्टेशन पर मिलने वाला खाना भी महंगा हो चुका है। बिसलेरी की जगह नकली पानी बेचा जा रहा है और खाने में घटिया किस्म की सामग्री का उपयोग किया जा रहा है।
उन्होंने सरकार से सवाल किया कि 140 करोड़ लोगों में से कितने लोग बुलेट ट्रेन और वंदे भारत जैसी महंगी ट्रेनों में यात्रा कर सकते हैं? अगर 80 करोड़ भारतीयों को मुफ्त राशन देना पड़ता है, तो वही लोग 2,000-3,000 रुपये के टिकट कैसे खरीद पाएंगे ? जिनकी महीने भर की कमाई ही मात्र 8,000-10,000 रुपये है।
रेलवे बुजुर्गों को फिर से दे सब्सिडी
सांसद राघव चड्ढाने कहा कि देश को कुछ बुलेट ट्रेनों की नहीं, बल्कि हजारों किफायती सामान्य ट्रेनों की जरूरत है। महंगाई और बेरोजगारी के इस दौर में लोग सस्ती यात्रा की ओर ज्यादा रूझान रखते है। 2020 में रेलवे ने बुजुर्गों की यात्रा सब्सिडी बंद कर दी थी, जिससे 150 मिलियन सीनियर सिटिजंस प्रभावित हुए। राघव चड्ढा ने सवाल उठाया कि क्या हमारी रेलवे अब इतनी निर्मम हो गई है कि बुजुर्गों की सूखी हड्डियों को निचोड़कर पैसा कमाना पड़ रहा है? उन्होंने सरकार से आग्रह करते हुए कहा की बुजुर्गों की सब्सिडी को फिर से शुरू किया जाए, ताकि वे अपने जीवन के आखिरी वर्षों में सम्मानपूर्वक यात्रा कर सकें।
सांसद राघव चड्ढा ने रेल हादसों पर सवाल उठाते हुए कहा, की हमारे रेल मंत्री को रेलवे और जनता की सुरक्षा की कोई फिक्र नहीं है। रेल मंत्री ‘कवच सिस्टम’ की बात करते हैं, मगर हर हफ्ते कोई न कोई रेल दुर्घटना हो जाती है। पहले भारतीय रेलवे को सुरक्षित यात्रा का पर्याय माना जाता था, लेकिन आज कोई गारंटी नहीं है कि आप जहां जाना चाहते हैं वहां सुरक्षित पहुंच भी पाएंगे या नहीं । पिछले 5 वर्षों में 200 से अधिक रेल दुर्घटनाओं में 351 लोगों की जान गई और 1000 से अधिक लोग घायल हुए। इसके अलावा बालासोर रेल दुर्घटना में 293 लोग मारे गए और 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए, लेकिन जांच और कार्रवाई के नाम पर कोई कदम नहीं उठाया गया।
रेल सुरक्षा के नाम पर जो टैक्स आम आदमी से वसूला जाता है, उसका उपयोग सुरक्षा संसाधन बढ़ाने में नहीं बल्कि बड़े अधिकारियों के लिए लक्जरी सोफे और फुट मसाजर खरीदने में किया जा रहा है।
भारतीय लोगों की ऐसी स्थिति पर चुप क्यों है सरकार।
104 भारतीयों को अमेरिका से निर्वासित किए जाने की घटना का जिक्र करते हुए राघव चड्ढा ने कहा, “भारतीयों को हवाई जहाज में हथकड़ियों और बेड़ियों में बांधकर लाया गया। यह मानवता के खिलाफ है। सरकार को इस पर कड़ा विरोध करना चाहिए था, लेकिन हमारे विदेश मंत्रालय ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
उन्होंने कहा कि इन प्रवासियों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया, उन्हें 40 घंटे तक बेड़ियों में बांधकर रखा गया, वॉशरूम जाने की अनुमति भी नहीं दी गई और खाने पिने से भी बेहाल रखा गया । यह सब अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों के भी खिलाफ है।
उन्होंने भारत की प्रतिक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा भारत ने अपने नागरिकों को सम्मानपूर्वक वापस लाने के लिए विमान क्यों नहीं भेजा? वहीं, स्वीडन, डेनमार्क, नॉर्वे और ब्रिटेन जैसे देशों के नागरिकों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों नहीं किया जाता ?
ट्रंप की नीतियों से खतरे में पड़ीं लाखों नौकरियां
राघव चड्ढा ने अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन की नीतियों का हवाला देते हुए कहा कि एच-1बी वीजा प्रतिबंध और टैरिफ की वजह से भारतीय पेशेवरों और उद्योगों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय आईटी निर्यात, फार्मास्युटिकल्स, और ऑटोमोबाइल सेक्टर पर अमेरिकी टैरिफ से भारी नुकसान हो रहा है, जिससे लाखों नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। । 2023 में कुल 3.86 लाख एच-1बी आवेदनों में से 72% आवेदन भारतीयों के थे। इससे भारतीय प्रोफेशनल्स की बड़ी संख्या में नौकरियां चली जाएंगी। इससे अनुमानित 0.5 मिलियन भारतीयों के अमेरिका में नौकरी जाने की संभावना है। अमेरिका में अवैध प्रवासियों पर सख्ती और ग्रीन कार्ड आवेदनों में देरी से कई भारतीयों को नौकरी गंवानी पड़ सकती है। इससे भारत में बेरोजगारी दर और बढ़ेगी, और अमेरिका से लौटने वाले भारतीयों को एकीकरण में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
अप्रत्यक्ष करों का प्रभाव और जीएसटी का बोझ
राघव चड्ढा ने कहा कि भारत की 140 करोड़ आबादी में से केवल 6.68 फीसदी लोग ही इन छूटों का लाभ उठा पाते हैं। 8 करोड़ भारतीय इनकम टैक्स दाखिल करते हैं, लेकिन उनमें से 4.90 करोड़ लोग शून्य आय दिखाते हैं, और केवल 3.10 करोड़ लोग ही टैक्स भुगतान करते हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि टैक्स का असली बोझ Middle Class पर ही है।
रुपये की घटती वैल्यू से बढ़ रही महंगाई
राघव चड्ढा ने रुपये के गिरते मूल्य पर भी चिंता जताई। एसबीआई की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार रुपये में 5 फीसदी की गिरावट से मुद्रास्फीति में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी होती है। उन्होंने आगे कहा, “मई 2014 में डॉलर के मुकाबले रुपया 58.80 रुपये था, जो फरवरी 2025 में गिरकर 86.70 रुपये हो गया है। रुपये के कमजोर होने से पेट्रोल-डीजल महंगे हो गए हैं, जिससे हर चीज की कीमतें बढ़ रही हैं।
उन्होंने बताया कि भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है, और रुपये के कमजोर होने से ईंधन के दाम बढ़ने का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है। रुपये की घटती वैल्यू से खाद्य मुद्रास्फीति, ऊर्जा मुद्रास्फीति, स्वास्थ्य सेवा मुद्रास्फीति, शिक्षा मुद्रास्फीति और इलेक्ट्रॉनिक्स मुद्रास्फीति जैसी समस्याएं पैदा हो रही हैं, जिनका सीधा असर Middle Class पर पड़ता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स मुद्रास्फीति की बात करते हुए सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि भारत अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक्स और उनके कंपोनेंट्स का आयात करता है, जिसका निपटान यूएस डॉलर में किया जाता है। रुपये के अवमूल्यन के साथ स्मार्टफोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स की लागत लगातार बढ़ रही है। भारत में निर्मित इलेक्ट्रॉनिक्स भी महंगे हो रहे हैं क्योंकि आयातित घटकों की लागत बढ़ गई है।
उन्होंने कहा कि सैद्धांतिक तौर से कमजोर रुपये से निर्यात बढ़ना चाहिए, लेकिन भारतीय निर्यात में गिरावट आई है। चीन ने अपने युआन का अवमूल्यन कर निर्यात को बढ़ावा दिया है, जबकि भारत में व्यापार घाटा बढ़कर 202.42 बिलियन डॉलर हो गया है।
उन्होंने कहा, 2013 में एक प्रमुख भाजपा नेता और सांसद ने कहा था, “जब यूपीए सत्ता में आया था, तब डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत राहुल गांधी की उम्र के बराबर थी। आज यह सोनिया गांधी की उम्र के बराबर है और बहुत जल्द यह मनमोहन सिंह की उम्र को छू लेगा। यही स्थिति महंगाई को और बढ़ाएगी और आम आदमी को परेशान करेगी।”
सांसद राघव चड्ढा ने आगे कहा, पहले कुछ लोग रुपये के गिरने पर चिंता करते थे, मगर अब सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है। “मैं उनसे पूछना चाहता हूं अब कोई ध्यान क्यों नहीं देता? रुपये गिरने पर ज्ञान क्यों नहीं देता? रुपया का गिरना तो हर दिन जारी है, मगर अब कोई बयान क्यों नहीं देता?
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