भारत के प्रमुख UPI-आधारित भुगतान प्लेटफ़ॉर्मों में से एक, Google Pay ने अब क्रेडिट और डेबिट कार्ड के माध्यम से किए गए बिल भुगतान पर अतिरिक्त शुल्क लागू करना शुरू कर दिया है। पहले जो शुल्क कंपनी स्वयं उठाती थी, अब यह उपभोक्ताओं पर स्थानांतरित किया जा रहा है। यह शुल्क लेन-देन के मूल्य का 0.5% से 1% तक होगा, और साथ में लागू जीएसटी भी जोड़ा जाएगा।
क्रेडिट/डेबिट कार्ड लेन-देन पर शुल्क: जो उपयोगकर्ता बिजली, गैस जैसे उपयोगिता बिलों का भुगतान क्रेडिट या डेबिट कार्ड के माध्यम से करेंगे, उनसे अब प्रोसेसिंग शुल्क लिया जाएगा।
UPI बैंक लेन-देन बिना शुल्क के: यदि भुगतान UPI के जरिए सीधे बैंक खाते से किया जाता है, तो इस पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा।
उद्योग में समान रुझान: PhonePe और Paytm जैसे अन्य भुगतान प्लेटफ़ॉर्म भी इसी तरह के शुल्क बिल भुगतान, रिचार्ज और अन्य सेवाओं पर लागू करते हैं।
फिनटेक कंपनियों के लिए बढ़ती लागत: PwC के विश्लेषण के मुताबिक, फिनटेक कंपनियों को FY24 में UPI लेनदेन प्रसंस्करण के लिए 12,000 करोड़ रुपये की लागत का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उन्हें अपने राजस्व मॉडल में बदलाव करने की आवश्यकता महसूस हुई।
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के प्रयास: भारत सरकार ने 2020 में 2,000 रुपये तक के UPI लेनदेन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) को अनिवार्य रूप से समाप्त कर दिया था, ताकि डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिल सके। हालांकि, सरकार इन लेनदेन की लागत की प्रतिपूर्ति करती है, लेकिन प्लेटफ़ॉर्म अब भी उपयोगकर्ताओं से सीधे राजस्व उत्पन्न करने में संघर्ष कर रहे हैं।
इन तमाम चुनौतियों के बावजूद, UPI का उपयोग लगातार बढ़ रहा है। जनवरी 2025 में 23.48 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 16.99 बिलियन लेनदेन किए गए, जो साल दर साल 39% की वृद्धि को दर्शाता है।
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