एक समय था जब Gold के दाम 17 साल तक गिरते रहे, और हो गया था इतना सस्ता।

सोने की कीमत अब सर्राफा बाजार में 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के पार जा चुकी है, जबकि कभी यह 100 रुपये से भी कम में मिल जाता था. सोने के बढ़ते भाव का एक लंबा इतिहास है. स्वतंत्रता के समय, गोल्ड केवल 88 रुपये प्रति 10 ग्राम में मिलता था, लेकिन धीरे-धीरे इसके दाम बढ़े और आज यह 1 लाख रुपये के स्तर को पार कर चुका है. लंबे समय में, गोल्ड ने निवेशकों को अधिक मुनाफा दिया है, लेकिन एक ऐसा दौर भी आया जब सोने का भाव 17 साल तक लगातार गिरता रहा. उस समय गोल्ड में निवेश करने वाले लोग चिंतित थे और कई लोग इसे बेचने का फैसला करने लगे. 17 सालों तक सोने का भाव गिरकर 63 रुपये तक पहुंच गया, और उसे इस स्तर तक पहुंचने में 3 से 4 साल का समय लगा.

17 साल तक गिरता रहा Gold

बात 1947 की है, जब देश आजाद हुआ तब 10 ग्राम सोने का भाव 88.62 रुपये था, लेकिन इसके बाद जब स्‍टॉक मार्केट से लेकर ग्‍लोबल स्‍तर पर स्थिरता आई तो Gold का भाव घटने लगा. वहीं डॉलर मजबूत होता रहा और करीब 17 सालों तक इसके दाम में उतार-चढ़ाव आता गया. 17 साल बाद 1964 में 10 ग्राम सोने की कीमत (Gold Price) 63.25 रुपये पहुंच गई. हालांकि 4 साल बाद, 1967 में 100 रुपये के पार पहुंच गया.

इस फैसले ने Gold के भाव और बढ़ा दिए

63 रुपये के नीचे फिर कभी सोना नहीं पहुंचा और फिर हर दिन बढ़ोतरी होने लगी. उस समय के अमेरिकी राष्‍ट्रपति निक्‍सन शॉक ने 15 अगस्त 1971 को डॉलर को गोल्‍ड से अलग करने का फैसला लिया और डॉलर के बदले Gold की अदला-बदली बंद कर दी. जिसके बाद गोल्‍ड कभी 100 रुपये प्रति 10 ग्राम के नीचे नहीं आया, बल्कि हर साल करीब दोगुनी रफ्तार से भागने लगा और साल 1980 तक 1,330 रुपये के पार पहुंच गया.

5 साल में Gold रेट में आई गजब तेजी!

सोने की कीमतों में बीते पांच साल में आए बदलाव पर नजर डालें, तो साल 2020 से अब तक इसकी कीमत दोगुनी हो चुकी है. साल 2020 में 10 ग्राम सोने का भाव 50,151 रुपये था और अब अप्रैल 2025 में ये 1 लाख के पार पहुंच गया है. इस बीच मार्च 2023 में Gold ने 60,000 रुपये प्रति 10 ग्राम का लेवल पार किया था और फिर अप्रैल 2024 में ये 70,000 रुपये पर पहुंचा था. इस साल 2025 में अब तक सोने ने 32 फीसदी का रिटर्न दिया है.

क्‍यों बढ़ी इसकी कीमत?

मार्केट के जानकार कहते हैं कि मौजूदा समय में सोने की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर, कमजोर डॉलर, डिमांड और शेयर बाजारों में अनिश्चितता की स्थिति है. ग्लोबल शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव जारी है. मुद्राओं में कमजोरी से केंद्रीय बैंकों ने सोने की खरीदारी बढ़ा दी है. भारतीय रिजर्व बैंक भी ऐसा ही कर रहा है. दुनिया के कई हिस्सों में जियोपॉलिटिकल तनाव बना हुआ है. जानकारों की मानें तो जब भी संकट उत्पन्न हुआ हुआ. सुरक्षित निवेश के लिहाज से सोने को सपोर्ट मिला है.

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