Makar Sankranti आप सभी इस बात से वाकिफ ही हैं कि हर साल हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति मनाई जाती है. ऐसे में इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को है. तो आइए आज जानते हैं पुराणों के अनुसार मकर संक्रांति का महत्व. Makar Sankranti
Makar Sankranti
पौराणिक महत्व – आप सभी को बता दें कि पुराणों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर एक महीने के लिए जाते हैं, क्योंकि मकर राशि का स्वामी शनि है.
कहते हैं सूर्य और शनि का तालमेल संभव नहीं, लेकिन इस दिन सूर्य खुद अपने पुत्र के घर जाते हैं, इस कारण पुराणों में यह दिन पिता-पुत्र के संबंधों में निकटता की शुरुआत के रूप में देखा जाता है. वहीं इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत करके युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी. उन्होंने सभी असुरों के सिरों को मंदार पर्वत में दबा दिया था. इसलिए यह दिन बुराइयों और नकारात्मकता को खत्म करने का दिन भी माना जाता है. कहते हैं एक अन्य पुराण के अनुसार गंगा को धरती पर लाने वाले महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था.
उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद इस दिन गंगा समुद्र में जाकर मिल गई थी इस कारण से मकर संक्रांति पर गंगा सागर में मेला लगता है.
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